सोयाबीन से किसानों का मोहभंग, देश में घट रही बुवाई, सोयाबीन के रकबे में 5% से अधिक की कमी दर्ज की गई
सोयाबीन के किसान हतोत्साहित होकर बुवाई घटा रहे हैं। इस वर्ष सोयाबीन के रकबे में 5% से अधिक की कमी दर्ज की गई है। मीडिया से चर्चा के दौरान देश की प्रमुख संस्था सोपा (सोयाबीन प्रोससर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत आज भी खाद्य तेलों की घरेलू आवश्यकता का 60% से अधिक आयात करता है।
पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेताओं ने कई अवसरों पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर बल दिया है, लेकिन यह नीतियों में नजर नहीं आ रहा। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसानों के कल्याण के लिए तेलों में आत्मनिर्भरता अत्यंत आवश्यक है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए घरेलू तेलहन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करना जरूरी है, किंतु सस्ते आयातित खाद्य तेलों की निरंतर आमद ने घरेलू तेलहन की कीमतें दबा दी हैं। मंडियों में सोयाबीन की कीमतें पूरे विपणन वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे रहीं।
सरकार को हस्तक्षेप कर लगभग 20 लाख टन सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदना पड़ा, जिससे भारी राजकोषीय व्यय हुआ। खरीदी गई फसल के भंडारण और नीलामी में भी सरकार को लगभग 2,000 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा।
यह कदम जल्द उठाना चाहिए
पाठक ने कहा कि भारत की तिलहन अर्थव्यवस्था को बचाने और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नीति में तत्काल सुधार आवश्यक है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क बढ़ाने और किसानों के लिए भावांतर भुगतान योजना लागू करने पर शीघ्र निर्णय लिया जाए। ये कदम किसानों को न्यायपूर्ण मूल्य दिलाने, राजकोषीय बोझ घटाने और देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।