भावांतर शुरू होने से पहले ही उज्जैन जिले के किसान सोयाबीन बेच रहे है। मंडी में पिछले साल से कम कीमत मिलने के बाद भी अक्टूबर के 13 दिनों में सोयाबीन आयक ने रिकार्ड तोड़ दिया। पिछले साल से 238.65 टन सोयाबीन ज्यादा बेच डाले। संभाग के बाकी 6 जिले के किसानों ने भावांतर का लाभ लेने उपज बिक्री रोक दी। इससे 27 मंडियों की आवक कम हो गई। संभाग के 7 जिलों की कुल 42 मंडियों में 41081 क्विंटल सोयाबीन आवक घट गई।
भावांतर को लेकर किसानों में असमंजस है। किसान संघ ने भी भावांतर की जगह तय एमएसपी 5328 रुपए में सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी की मांग उठा दी।
इधर, भावांतर की घोषणा होते ही व्यापारियों ने माल की क्वालिटी व नमी का हवाला देते हुए सोयाबीन के दाम 4300-4500 रु. से घटाकर 3400-3900 रुपए कर दिए। योजना को लेकर किसानों को रूख जानने दैनिक भास्कर ने 7 जिलों की कुल 42 अनाज मंडियों का एनालिसिस किया, तो चौंकाने वाली बात सामने आई। सिर्फ उज्जैन जिले के किसानों को भावांतर पर भरोसा नहीं है।
उन्होंने भावांतर से पहले ही 1 से 13 अक्टूबर के बीच पिछले साल की आवक का रिकार्ड तोड़ते हुए 8 हजार 98 क्विंटल ज्यादा सोयाबीन बेच डाले। मंडी सचिव अश्विनी सिन्हा ने बताया कि पिछले साल इस अवधि तक 44959 क्विंटल आवक हुई थी। इस साल 53057 क्विंटल आवक हुई है। किसान अपनी जरूरतों के लिए सोयाबीन बेच रहे होंगे।
जबकि 24 अक्टूबर से पहले सोयाबीन बेचने वालों को भावांतर योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इससे उन्हें प्रति क्विंटल औसतन 800-1000 रुपए का नुकसान होगा। वहीं पंजीयन करवाकर योजना शुरू होने के बाद उपज बेचने वाले किसानों को प्रति क्विंटल औसतन 800-1 हजार या इससे ज्यादा (मॉडल रेट से एमएसपी 5328 रुपए) के अंतर के हिसाब से जो भी तय हो वह राशि सरकार से अलग से मिलेगी। उज्जैन जिले में 18 अक्टूबर तक भावांतर योजना में 113041 किसानों ने पंजीयन करवाया है।
6 जिले में भावांतर के लिए रोकी बिक्री
उज्जैन जिले को छोड़कर संभाग के शाजापुर, आगर-मालवा, देवास, मंदसौर, नीमच, रतलाम कुल 6 जिले के किसानों ने भावांतर का लाभ लेने सोयाबीन की बिक्री रोक दी। वे योजना शुरू होने के बाद ही अपनी उपज बेचने के मूड में है। यही वजह हैं कि इन 6 जिलों की कुल 27 अनाज मंडियों में पिछले साल की तुलना सोयाबीन की आवक काफी कम रही। हालांकि इन जिलों की कुल 8 मंडी ऐसी है जहां पिछले साल से ज्यादा आवक हुई है। इनमें बागली, हाटपिपलिया, सोनकच्छ, दलोदा, सीतामऊ, आलोट, अकोदिया, मक्सी और शुजालपुर मंडी शामिल है।
समर्थन मूल्य पर उपज खरीदें सरकार
सरकार की मंशा किसानों काने सोयाबीन के सही दाम देने की है तो समर्थन मूल्य पर इसकी खरीदी करें। भावांतर में मॉडल रेट व अन्य नियमों में स्पष्टता नहीं है। 6 साल पहले 2018-19 में हुई भावांतर खरीदी के ही मप्र के किसानों को 250 करोड़ रुपए अब तक नहीं दिए। जिसमें उज्जैन के 10 करोड़ रुपए है। इस कारण किसानों को अब भी भरोसा नहीं है। कमलसिंह आंजना, प्रदेश अध्यक्ष भारतीय किसान संघ
राज्य स्तर पर तय होगा मॉडल रेट
#24 अक्टूबर से मंडी में उपज बेचने वाले पंजीकृत किसान ही भावांतर भुगतान योजना के पात्र होंगे। मॉडल रेट प्रदेश स्तर से तय होंगे। पूरे संभाग की बात करें तो उज्जैन को छोड़ बाकी जिले के किसानों ने भावांतर का फायदा लेने के लिए अभी सोयाबीन बिक्री रोक ली है। इससे मंडी की आवक घटी है।
- एम. एस. मुनिया, संयुक्त संचालक मंडी बोर्ड उज्जैन