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देशी और काबुली चने की नई किस्म की ईजाद, बपर पैदावार देगा, अरब देशों में इस गुणवत्ता की डिमांड

 

देशी और काबुली चने की दो ऐसी नई किस्में जो न सिर्फ उत्पादन अधिक देंगी बल्कि बीमारी से भी लड़ेंगी। राजमाता कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के वैज्ञानिकों ने वर्षों की मेहनत से इन्हें ईजाद किया है। पहली राजविजय काबुल ग्राम 2024 है और दूसरी राजविजय काबुल ग्राम 2022 (देशी चने) है।
 वैज्ञानिकों का दावा है कि इन किस्मों पर उकटा रोग का कोई असर नहीं होगा। भारत सरकार ने काबुली चने को दक्षिण भारत में (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना) व देशी चने को यूपी, बिहार, झारखंड के लिए अधिसूचित किया है। काबुली ग्राम की गुणवत्ता अच्छी होने से अरब देशों में इसकी मांग भी अधिक है और निर्यात की दर भी अच्छी मिल सकेगी। दक्षिण भारत में सफल प्रयोग के बाद इनको मप्र के लिए भी तैयार किया जाएगा।

खेती की तैयारी, बढ़ेगा उत्पादन

काबुल ग्राम चना व राजविजय ग्राम 2022 ( देशी चना) किस्मों को विकसित करने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि केंद्र शासन ने इनको अधिसूचित कर दिया है। अब ये किस्में किसानों को उत्पादन के लिए भी मिल सकेंगी।

 किसान इससे औसत उत्पादन 18-19 की तुलना में प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल तक उत्पादन ले सकेंगे। देशी चने को बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड में उगाया जाएगा। इसे काटने के लिए मजदूर की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसे हार्वेस्टर से काटा जा सकेगा, क्योंकि पौधों में 30 सेंटीमीटर से ऊपर चने व फूल आता है।

आकर्षक रंग व आकार

काबुली चना आकार में डॉलर चने के समान और रंग में चमकदार है। पौधे 30 सेमी से अधिक बड़े होते हैं।

मशीन से कटाई

देशी चना किस्म हार्वेस्टर से आसानी से काटी जा सकती है।

निर्यात की तैयारी

 काबुली चना अरब देशों में निर्यात के लिए उपयुक्त है।

अभी तक प्रचलित डॉलर व काबुली चने की किस्मों की तुलना में ये नई किस्में बेहद प्रभावी रही हैं। भारत सरकार ने इसे तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के लिए उपर्युक्त पाया। वैज्ञानिक इसे मालवा-निमाड़ के लिए तैयार करेंगे।

चमकदार रंग और आकार के कारण इन किस्मों का निर्यात अरब देशों में बढ़ने की उम्मीदें लगाई हैं।