देसी चना की बिजाई मध्य अक्तूबर तक और काबुली चने की बिजाई इस माह के आखिरी सप्ताह में करें। बारानी इलाकों में उन्नत किस्म हरियाणा चना नं. 1 बोएं। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि जहां सिंचाई का साधन हो या वर्षा अच्छी होती हो वहां हरियाणा चना नं. 1 और हरियाणा काबुली नंबर 1 किस्में बोएं। नम क्षेत्रों में सी 235 व हरियाणा चना नं. 3 किस्मों की बिजाई करें। हरियाणा चना नंबर 5 की राज्य के सभी क्षेत्रों में बिजाई की जा सकती है। हरियाणा चना नंबर 3 का 30-32 किलोग्राम व अन्य देसी किस्मों का 15-18 किलोग्राम तथा काबुली चने का लगभग 36 किलोग्राम व हरियाणा चना नंबर 1 का 20 से 22 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ काफी है।
बिजाई से पहले करें
उपचारः बिजाई से पहले बीज का क्रमशः कीटनाशक व फफूंदनाशक टीके से उपचार करें। दीमक से बचाने के लिए 850 मिली मोनोक्रोटोफास 36 एसएल या 1500 मिली क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी कोपानी में मिलाकर कुल 2 लीटर घोल बनाएं। ऐसे 2 लीटर घोल से 1 क्विंटल बीज को बीजने के एक दिन पूर्व पक्के फर्श या पॉलिथीन की शीट पर फैलाकर उपचारित करें। इसके बाद फफूंदनाशक बाविस्टिन 2.5 ग्राम या जैविक फफूंदनाशक ट्राईकोडरमाविरिडी बायोडरमा 4 ग्राम एंड वीटावैक्स 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से करें।
पोरा विधि से करें बिजाई, 10 सेमी गहराई तक डालें बीज
बिजाई 'पोरा' विधि से 2 खुड़ों का फासला 30 सेंटीमीटर रखकर इस प्रकार करें कि बीज 10 सेंटीमीटर गहरा पड़े। इससे कम गहराई पर पड़ने पर उखेड़ा रोग लगने का भय रहता है। जहां खेत में आल की कमी हो तो 2 खूड़ों का फासला 45 सेंटीमीटर रख कर बिजाई के समय 12 किलोग्राम यूरिया व 100 किलोग्राम सुपरफास्फेट प्रति एकड़ ड्रिल करें। यदि डीएपी मिल जाए तो 34 किग्रा डीएपी ही प्रति एकड़ बिजाई के समय बीज के नीचे ड्रिल करें। चने के बीज कोराइजोबियम का टीका अवश्य लगाए और बहुत रेतीली जमीन में 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।
सरसों की बुवाई इसी माह कर लें पूरी, तना गलन रोग से बचाव को बीजोपचार जरूरी
सरसों व राया की बिजाई इस महीने के तीसरे सप्ताह तक और तारामीरा की महीने भर तक कर सकते हैं। देसी सरसों की उन्नत किस्मबी एसएच नंबर 1, वाईएसएच 0401, राया की किस्म आरएच 30, वरुणा, लक्ष्मी, आरएच 781 व तारामीरा की फसल टी 27 ही बोयें। इन सभी फसलों के लिए 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ काफी रहता है। तना गलन रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम नामक दवा 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचार करें। सरसों व राया के बीज का उपचार एजोटो बैक्टर टीके के साथ लाभदायक है। इन फसलों को कतारों में 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बोजें। बिजाई 'पोरा' विधि से करें। बारानी क्षेत्र के लिए राया आरएच 30, वरुणा टी 59, आरएच 0119, आरएच 0406, आरएच 781 व आरएच 819 ही बोयें तथा कतार से कतार का फासला 45 सेंटीमीटर रखे।