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गेहूं की नई पछेती किस्म 1309 विकसित, 40 डिग्री तापमान में भी देगी अच्छी पैदावार, जाने गेहूं बिजाई का सही समय

 

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुभाग ने गेहूं की पछेती किस्म डब्ल्यूएच 1309 विकसित की है। यह 35 से 40 डिग्री तापमान में भी अच्छी पैदावार देगी। इस किस्म का हरियाणा की राज्य बीज उप समिति द्वारा अनुशंसा की गई है।

HAU के कुलपति प्रो. BR काम्बोज ने बताया कि धान की कटाई में देरी, जलभराव या अन्य कारणों से हरियाणा के 15 से 20 प्रतिशत क्षेत्र में गेहूं की बिजाई में देरी हो जाती है। इसके मद्देनजर विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने गेहूं की अधिक पैदावार देने वाली नई पछेती किस्म डब्ल्यू एच 1309 विकसित की है।

सिंचित परिस्थितियों के परीक्षणों में उपरोक्त किस्म ने औसत उपज 55.4 क्विंटल/हैक्टेयर दर्ज की है और इसकी अधिकतम उपज 64.5 क्विंटल/हैक्टेयर है। हरियाणा के विभिन्न जिलों में खेतों किए प्रयोगों में इसकी औसत उपज 54.3 क्विंटल/हैक्टेयर रही, जो चेक किस्म डब्ल्यू एच 1124 48.2 क्विंटल/हैक्टेयर की तुलना में 12.7 प्रतिशत अधिक रही।

जनवरी के प्रथम सप्ताह तक इसकी बुवाई की जा सकती है। इस किस्म की पैदावार 40-50 क्विंटल/हैक्टेयर रही। यह किस्म पीला रतुआ, भूरा रतुआ व अन्य बीमारियों के प्रति रोगरोधी है। यह किस्म जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है। यह लंबी बालियां, शीघ्र पकाव एवं मोटे दाने वाली उन्नत किस्म है।

अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि डब्ल्यू एच 1309 की बिजाई का उचित समय 1 से 20 दिसंबर है और बीज की मात्रा 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है।

कृषि कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि डब्ल्यूएच 1309 किस्म 83 दिन में बालियां निकालती हैं तथा 123 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की बालियां लंबी व भूरे रंग की है। इस किस्म की ऊंचाई 98 सेंटीमीटर है, जिससे इसके गिरने का खतरा न के बराबर है।

इसमें 13.2 प्रतिशत प्रोटीन, हेक्टोलीटर वजन 81.9 केजी/एचएल व अवसादन मान 54 मिली है। अतः पौष्टिकता व चपाती बनाने के लिए यह किस्म अच्छी है।