दक्षिणी हरियाणा में सरसों तेल के दामों में उछाल, 200 रूपये क्विंटल की तेजी आई
दक्षिणी हरियाणा की प्रमुख मंड़ियों में सरसों एक्सपैलर तेल में 200 रुपए प्रति क्विंटल की एक बार फिर तेजी आई है। व्यापारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रमुख रबी तिलहन, सरसों, की उपलब्धता तथा आयातित खाद्य तेलों की उपलब्धता सामान्य से कमजोर बनी होने के कारण बाजार की धारणा मजबूती को समर्थन मिल रहा है।
दक्षिणी हरियाणा की चरखी दादरी मंड़ी में सरसों तेल एक्सपैलर में 200 रुपए की तेजी आई। यहां स्थित व्यापारी भारत भूषण ने बताया कि मजबूत लिवाली बनी होने से सरसों तेल एक्सपैलर नवीनतम तेजी लेकर 13,800/13,900 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गया।
इससे पूर्व इसमें 300 रुपए की मंदी आई थी। उन्होंने आगे बताया कि आवक सामान्य से कमजोर बनी होने के कारण नॉन कंडीशन सरसों ढ़ेरी आधार पर 100 रुपए तेज होकर 6200/6300 रुपए और कंडीशन सरसों भी इतनी ही तेज होकर 6400/6500 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई।
इसी प्रकार, हांसी मंड़ी में भी सरसों तेल एक्सपैलर 200 रुपए तेज होकर 13,900/14,000 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। यहां स्थित व्यापारियों ने बताया कि सरसों की आवक कमजोर बनी होने तथा क्षेत्र की अन्य मंड़ियों में भी तेजी आने के समाचारों के बाद यहां भी इस प्रमुख रबी तिलहन की कीमत 100 रुपए तेज होकर 6150/6200 रुपए प्रति क्विंटल हो गई।
भिवानी मंडी में सरसों तेल एकसपैलर 200 रुपए तेज होकर 13,900/14,000 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गया। इसके समर्थन में सरसों भी 6200/6300 रुपए प्रति क्विंटल 100 रुपए तेज हुई। यहां स्थित व्यापारी बाबूलाल सिंघल ने बताया कि सरसों की आवक तथा उपलब्धता सामान्य से तंग बनी होने तथा आयातित खाद्य तेलों की उपलब्धता भी सामान्य से कमजोर बनी होने के कारण बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है।
गौरतलब है कि चालू तेल तिलहन वर्ष 2024-25 के छठे महीने यानी अप्रैल, 2025 में देश में खाद्य तेलों का आयात घटता हुआ बीते पांच वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बीते अप्रैल महीने में पाम तेल के आयात में गिरावट आने के कारण खाद्य तेलों का कुल आयात इतना नीचा हुआ है।
बहरहाल, एसईए के नवीनतम आंकड़ों के अनसार अप्रैल, 2025 में कुल 8,91,558 टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है। एक वर्ष पूर्व के आलोच्य महीने में इनकी 13,18,528 टन मात्रा का आयात हुआ था।
इससे पता चलता है कि पिछले सीजन की तुलना में इस बार इन तेलों के आयात में 32 प्रतिशत की गिरावट आई है। नवीनतम आयात में अखाद्य तेलों की 29 हजार टन मात्रा भी शामिल है। नवीनतम आयात मई, 2020 के बाद का सबसे नीचा है।
इसे मिलाकर चालू तेल-तिलहन वर्ष की पहली छमाही यानी नवम्बर, 2024-अप्रैल, 2025 अवधि में देश में इन तेलों का कुल 66,97,700 टन आयात हुआ है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य छमाही में इनकी 71,48,643 टन मात्रा का आयात हुआ था। इससे पता चलता है कि समीक्षागत छमाही में इन तेलों के आयात में 6 प्रतिशत कमी आई है। एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया है कि खाद्य तेल आयात में नेपाल से होने वाला इनका आयात शामिल नहीं है।
अपने नवीनतम आंकड़ों में एसोसिएशन ने बताया कि चालू मई महीने के आरंभ में विभिन्न बंदरगाहों पर कुल 7 लाख टन खाद्य तेलों उपलब्ध थे। इसमें क्रूड पाम तेल की 1.55 लाख टन, आरबीडी पामोलीन की 1.10 लाख टन, डिगम्ड सोयाबीन तेल की 1.35 लाख टन तथा कूड सूरजमुखी तेल की 3 लाख टन मात्रा शामिल है।
इसके अलावा पाईप लाईन, घरेलू उत्पादन तथा खपत 6.51 लाख टन होने का अनुमान है। इस प्रकार, वर्तमान महीने के आरंभ में देश में खाद्य तेलों की कुल 13.51 लाख टन उपलब्धता थी, जोकि इससे एक महीना पूर्व रही 16.66 लाख टन उपलब्धता की अपेक्षा 3.15 लाख टन नीची है।
व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि घरेलू तथा आयातित खाद्य तेलों की उपलब्धता सामान्य से कमजोर बनी होने तथा मानसून सीजन शुरू होने में भी अब एक महीने से भी कम का ही समय शेष होने की वजह से बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। अतः आने वाले समय में भी सरसों और सरसों एक्सपैलर तेल मजबूत ही बना रहने के आसार व्यक्त किए जा रहे हैं।