Independence Day 2025: 1947 के बाद भारत में बनाए गए ये बड़े कानून, हर नियम का पालन करना है जरूरी
Independence Day 2025 : ब्रिटिश शासन से हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. आजादी के बाद भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. भारत के लिए ऐसे कानूनों की जरूरत थी जो नागरिकों के हित में हो.
साथ ही इन कानूनों से देश में व्यवस्था बनी रहे. संविधान लागू होने से पहले कई अहम कानून बनाए गए, जिन पर आज भी देश की व्यवस्था आधारित है. इन कानूनों ने भारत को लोकतांत्रिक ढांचे में ढालने में अहम भूमिका निभाई.
ये कानून सामाजिक न्याय, श्रमिक अधिकार, प्रशासन, भाषा, नागरिकता और व्यक्तिगत कानून बनाए गए. आइये जानते है आजादी से पहले कौन से जरूरी कानून बनाए गए.
1. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947
इस नियम ने भारत और पाकिस्तान को दो अलग-अलग डोमिनियन के रूप में स्थापित किया. साथ ही इस कानून के तहत गवर्नर जनरल और प्रांतीय सरकारों की शक्तियों को बताया गया.
2. औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947
इस कानून के तहत श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच विवाद सुलझाया गया. इसमें मध्यस्थता और लेबर कोर्ट का प्रावधान है.
3. फैक्ट्री अधिनियम, 1948
इस कानून के तहत फैक्ट्री में काम की शर्तें, काम के घंटे, मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर कई नियम बनाए गए.
4. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत कामगारों को वेतन दिलाने के लिए इस नियम को लागू किया गया. इस नियम के तहत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी सुरक्षा मिली.
5. भाषा अधिनियम, 1948
इस कानून के तहत कोई भी सरकारी काम हिंदी और अंग्रेजी भाषा को मान्यता दी गई. इससे सरकारी कामकाज कानून अंतरिम व्यवस्था के रूप में लागू किया गया था.
6. नागरिकता संबंधी प्रारंभिक प्रावधान
इस कानून के तहत नागरिकता तय करने के अस्थायी नियम बनाए गए. जिससे भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में स्थायी रूप दिया गया.
7. सार्वजनिक ऋण अधिनियम (संशोधित)
इस कानून के तहत स्वतंत्र भारत में सरकारी उधारी, बॉन्ड और निवेश से जुड़े प्रावधान को भी तय किया गया.
8. अवसर समानता के प्रारंभिक कानून
इस कानून के तहत लोगों और रोजगार में भेदभाव खत्म करने के लिए इस नियम को लागू किया गया.
9. राष्ट्रपति और गवर्नर वेतन अधिनियम, 1951
इस कानून के तहत उच्च संवैधानिक पदों पर काम कर रहे लोगों के वेतन, भत्ते और सुविधाएं तय के नियम को लागू किया गया.
10. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
इस कानून के तहत भारत में हिंदू विवाह, तलाक, पुनर्विवाह और दहेज जैसे मुद्दों के लिए आधुनिक कानूनी व्यवस्था बनाई गई.