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Chhattisgarh News: जीआईएस तकनीक से राजधानी में पहली बार बनेंगे सब स्टेशन, अंडरग्राउंड वायरिंग से बनेगा 33/11 केवी का स्टेशन 

 

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर वितरण कंपनी ने प्रदेश में पहली बार राजधानी रायपुर में जीआईएस तकनीक से 33/11 केवी का सब स्टेशन बनाने का फैसला किया है। इसके लिए नयापारा बिजली दफ्तर के स्थान को लगभग फाइनल कर लिया गया है। यहां पर दो फीडर बनेंगे। इसमें से एक फीडर में पुराने मंत्रालय के सब स्टेशन और दूसरे फीडर में ईदगाह भाठा के सब स्टेशन से 33 केवी की अंडर ग्राउंड लाइन आएगी। जीआईएस तकनीक की खासियत यह है कि इसमें सामान्य सब स्टेशन में लगने वाले स्थान का महज 30 फीसदी स्थान ही लगता है। राजधानी में वैसे भी स्थान की कमी है। ऐसे में अब राजधानी में बढ़ते लोड को देखते हुए आने वाले समय में जीआईएस तकनीक से

कम स्थान में बनेगा सब स्टेशन

राजधानी रायपुर में नए सब स्टेशन बनाने के लिए अब स्थान की कमी होने लगी है। ऐसे में पॉवर वितरण कंपनी ने फैसला किया है कि आने वाले समय में कम स्थान में बनने वाले सब स्टेशन जी आईएस तकनीक से बनाए जाएंगे। इस तकनीक से ट्रांसमिशन कंपनी ने रावणभाठा में 2016 में 132/33 केवी का 63 एमवीए वाला सब स्टेशन बनाया था जो बीते 9 साल से अच्छे से चल रहा है। एक तरफ जहां ट्रांसमिशन कंपनी अब 400 केवी के दो नए सब स्टेशन जीआईएस तकनीक से बनाने की योजना पर काम कर रही है, वहीं वितरण कंपनी ने भी अब इस तकनीक को अपनाने का फैसला किया है।

लगातार बढ़ रहा है लोड

पॉवर कंपनी के अधिकारियों का कहना है राजधानी रायपुर में लगातार लोड बढ़ रहा है। ऐसे में अब इसके लिए नए सब स्टेशन बनाने की जरूत है। लेकिन नए सब स्टेशन के लिए बड़े स्थान नहीं मिल पाते हैं। यही वजह है कि अब जीआईएस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। नयापारा के दफ्तर में करीब तीन हजार वर्ग फीट जमीन पड़ी है। इस पर ही 33/11 केवी के सब स्टेशन बनाकर इसमें दो फीडर बनाए जाएंगे। ये फीडर 10-10 एमवीए के होंगे।

यह है जीआईएस तकनीक

इस तकनीक के बारे में पॉवर कंपनी के अधिकारी बताते हैं सामान्य तकनीक एयर इंसुलेटेड होती है. जबकि जीआईएस तकनीक गैस इंसुलेटेड रहती है। इसमें सल्फर हेक्साफ्लोराइड से इंसुलेटेड करके ऊर्जा को नियंत्रित और सप्लाई किया जाता है। इसमें जिस गैस का इस्तेमाल किया जाता है, वह 40 साल तक खराब नहीं होती है। इसी के साथ इसमें सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें स्थान बहुत कम लगता है। पॉवर कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक जीआईएस पूरी तरह इंडोर होता है। सिस्टम में बड़ी बड़ी पाइप लाइने होती है, जिसमें गैस भरी जाती है। इसमें सब स्टेशन के उपकरण स्टॉल किए जाते हैं।