सरसों की बिजाई 20 सितंबर के बाद शुरू कर सकते हैं किसान, जाने बीज के अनुसार सही समय
सरसों की बिजाई 20 सितंबर के बाद शुरू हो जाएगी। राज्य में लगभग 5 लाख हेक्टेयर रकबे में सरसों की बिजाई होती है। प्रमुख उत्पादक जिलों में रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी दादरी, हिसार और फतेहाबाद शामिल हैं। इन जिलों में ही सर्वाधिक सरसों बोई जाती है। फिलहाल किसानों ने खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल में वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डॉ. बलबीर सिंह के अनुसार जैसे ही दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास ठहरेगा किसान सरसों की बिजाई कर सकते हैं। अभी दिन का तापमान अधिक है। इसलिए किसान जल्दबाजी न करें। तब तक खेतों को अच्छे तरीके से तैयारी कर लें।
ऐसे डालें उर्वरक : सिंचित अवस्था में फास्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट और आधी
नाइट्रोजन बिजाई से पहले डालें। फसल में फास्फोरस और गंधक की आवश्यकता पूरी करने के लिए सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करें, क्योंकि इसमें 12% गंधक होती है। यदि फास्फोरस की पूर्ति के लिए डीएपी का प्रयोग करना है तो उसमें 2 कट्टे (100 किग्रा) जिप्सम प्रति एकड़ की बिजाई से पहले की जुताई के समय या बिजाई पूर्व सिंचाई के समय दें।
मुख्य किस्में : आरएच-30, आरबी-55,
आरएच-8812 (लक्ष्मी), आरएच-731, आरएच- 819, आरएच- 9304, आरएच 9801 (स्वर्ण ज्योति), आरएच-9801, आरएच-725, आरएच-1424, आरएच-1706 किस्में प्रमाणित हैं। ये सिंचित और बारानी दोनों क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं।
खेत की तैयारी व बिजाई : बीज के अच्छे
अंकुरण के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करना जरूरी है। सरसों के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए। खरीफ की फसल कटाई के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करें। इसके बाद हैरो या कल्टीवेटर से 2-3 जुताई कर पाटा लगा दें, ताकि खेत समतल और नमीयुक्त हो जाए। इसके अलावा सिंचित अवस्था में प्रति एकड़ सवा किलोग्राम बीज काफी है। बारानी हालत में जमीन में नमी के अनुसार 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ डालें।
बिजाई : सरसों कतार में 30 सेमी के फासले पर 4 से 5 सेमी गहरी हल से पोरा या ड्रिल विधि से बोई जाती है। बिजाई के 3 सप्ताह बाद पौधों की छंटाई करते हैं।
ध्यान रखने योग्य कुछ बातें
भूमि की किस्म व पानी की उपलब्धता के हिसाब से सही फसल (तोरिया, सरसों, तारामीरा) का चुनाव करें।
खेत को अच्छे से तैयार करें व सिफारिश की गई किस्मों की ही बिजाई करें।
फसल की बिजाई ठीक समय पर सिफारिश की गई बीज-मात्रा द्वारा पौधों में ठीक अंतर रखकर करें।
सिफारिश किए गए उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग करें।
फसल को कीड़ों-मकोड़ों, खासकर चेपे से बचाने के लिए ठीक प्रकार की दवाई का छिड़काव समय पर करें।
समय पर कटाई करें, ताकि फसल में बिखराव न हो, विशेषकर तोरिया की सामयिक कटाई करें।
पाले के प्रकोप से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करें।