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Chhattisgarh Rail Corridor : ईस्ट रेल कॉरिडोर बदल देगा छत्तीसगढ़ की तस्वीर, 55 प्रतिशत काम हुआ पूरा 

धरमजयगढ़ की ओर से निर्माण कार्य चल रहा है, जो अब करतला ब्लॉक में दिखने लगा है। करतला ब्लॉक के बांधापाली, केरवाद्वारी तक ही काम तेजी से चल रहा है
 
 

रेलवे विभाग का प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदलने वाला है। रेलवे के ईस्ट रेल कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है। उरगा-धरमजयगढ़ के बीच 65.5 किलोमीटर तक काम होगा। इसमें 55 फीसदी काम हो चुका है और यह ईस्ट रेल कॉरिडोर  2027 तक होगा पूरा हो जाएगा। हालाकि छत्तीसगढ़ के ईस्ट रेल कॉरिडोर का सर्वे कार्य वर्ष पेज 2017 में पूरा हो गया था। सर्वे के बाद निर्माण एजेंसी ने दिसंबर 2017 से काम शुरू तो किया, लेकिन गति काफी धीमी रही। यही कारण है कि 8 सालों में केवल 55 फीसदी ही काम हो पाया है।

कोविड के कारण ढाई साल तक काम पूरी तरह ठप रहा। अब जाकर काम में तेजी दिखने लगी है। धरमजयगढ़ की ओर से निर्माण कार्य चल रहा है, जो अब करतला ब्लॉक में दिखने लगा है। करतला ब्लॉक के बांधापाली, केरवाद्वारी तक ही काम तेजी से चल रहा है। मौके पर कार्यरत एजेंसी के कर्मचारियों के अनुसार वर्ष 2027 तक काम पूरा होने की उम्मीद है।

निर्माण एजेंसी का अधिक फोकस वेस्ट रेल कॉरिडोर (गेवरारोड- पेंड्रारोड) पर था, जिसके कारण इतना विलंब हुआ है। ईस्ट रेल कॉरिडोर में 65.5 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछानी है, जिसमें 47 किलोमीटर का हिस्सा कोरबा जिले में है, जहां से रेल लाइन गुजर रही है, उसका 80 फीसदी हिस्सा हाथी प्रभावित है। इस वजह से रेल लाइन पर 6 स्थानों में अंडरब्रिज के साथ अन्य स्थानों पर रोड ओवरब्रिज का काम भी साथ-साथ हो रहा है।

नोनबिर्स से रामपुर को जोड़ने वाली सड़क सहित क्षेत्र की अन्य सड़कों पर रोड ओवरब्रिज बनाया जा रहा है। नोनबिर्रा से रामपुर के बीच बांधापाली में निर्माण एजेंसी ने कैंप बनाकर सामग्री तैयार करने के साथ स्टाफ के लिए आवास सुविधा भी दे रखी है। रेललाइन का काम बांधापाली से केवराद्वारी होते हुए उरगा से जुड़ेगी। इस क्षेत्र में काम तेजी से चल रहा है।

6 रेलवे स्टेशन बनेंगे, इनमें 3 कोरबा जिले में ही होंगे

रेल लाइन के साथ उरगा से धरमजयगढ़ के बीच 6 रेलवे स्टेशन बनाने का काम चल रहा है। धसकामुड़ा, खड़गांव और हाटी स्टेशन रायगढ़ तो बिनारा, डोंगाआमा व भैसमा स्टेशन कोरबा जिले में बनेगा। रेल कॉरिडोर का काम पूरा होने के साथ ही क्षेत्र के कोल ब्लॉक से हर साल 2 करोड़ टन से अधिक कोयला रेल मार्ग से परिवहन होगा। इससे न सिर्फ सड़क मार्ग पर यातायात का दबाव कम होगा। वरन भारी वाहनों के आवागमन से अनियंत्रित चाल से होने वाली दुर्घटनाओं पर भी विराम लगेगा।

पांच साल तक चला था सर्वे का काम

ईस्ट रेल कॉरीडोर के लिए इंजीनियरिंग और ट्रैफिक सर्वे का काम 2012 से 2017 के बीच किया था। यातायात की संभावनाओं पर खरा उतरने के बाद रेलमार्ग के निर्माण को हरी झंडी मिली। 2016 में सरकार ने प्रदेश में 884 किमी रेललाइन के विस्तार के लिए रेल मंत्रालय, कोल मंत्रालय के साथ मिल ज्वाइंट वेंचर कंपनी का गठन किया था, लेकिन बीच में ही प्रक्रिया रुक गई। कुछ साल बाद प्रक्रिया शुरू हुई तो इसी बीच कोरोना महामारी का दौर हावी हो गया।

2026 में पूरा हो जाएगा गेवरारोड-पेंड्रारोड रेल कॉरिडोर

केंद्र सरकार का फोकस रेल कॉरिडोर पर है। कोयला व रेल मंत्रालय दोनों की ओर से इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने में रुचि है। यही कारण है कि 135 किमी लंबी गेवरारोड से पेंड्रारोड रेल कॉरिडोर का काम पहले शुरू किया था। पसान क्षेत्र में काम की गति धीमी है, पर माना जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट 2026 में हर हाल में पूरा हो जाएगा। उरगा से कुसमुंडा के बीच बायपास रेल लाइन बिछ गई है, कमीशनिंग करनी है। वेस्ट कॉरिडोर के पूरा होते ही कमिशनिंग का काम कराने के साथ रेलवे कोल डिस्पैच शुरू करेगा।