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Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में बड़ा फैसला, शराब पीते मिलने पर होगा पांच हजार रुपये का जुर्माना 

पत्थलगांव विकासखंड के जोराडोल पंचायत के कोदोपारा गांव और कोतबा चौकी क्षेत्र अंतर्गत बुलडेगा पंचायत की महिलाओं और ग्रामीणों ने अवैध शराब के खिलाफ सशक्त और संगठित आंदोलन शुरू कर दिया है।

 

जशपुर जिले के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में नशे के खिलाफ एक नई जागरूकता की लहर उठी है। पत्थलगांव विकासखंड के जोराडोल पंचायत के कोदोपारा गांव और कोतबा चौकी क्षेत्र अंतर्गत बुलडेगा पंचायत की महिलाओं और ग्रामीणों ने अवैध शराब के खिलाफ सशक्त और संगठित आंदोलन शुरू कर दिया है। दोनों गांवों में रैली निकालकर ग्रामीणों ने न केवल नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाई, बल्कि स्वयं भी नशा न करने का संकल्प लिया।

कोदोपारा और बुलडेगा पंचायतों में महिलाओं की भूमिका इस आंदोलन में सबसे अहम रही। महिलाओं ने एक समिति का गठन किया है और साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि गांव में अवैध शराब का कारोबार नहीं रुका, तो वे पुलिस और प्रशासन के सहयोग से कड़ी कार्रवाई करेंगी। इस सामाजिक पहल से नशे के अवैध धंधे से जुड़े लोगों में खलबली मच गई है। कोतबा चौकी प्रभारी बृजेश यादव ने महिलाओं को इस आंदोलन में हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि समाज जब खुद आगे आता है, तो प्रशासन को भी कार्रवाई करने में बल मिलता है।

बुलडेगा की महिलाओं ने पुलिस से की कार्रवाई और गश्त की मांग

बुलडेगा पंचायत की महिलाओं ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कोतबा पुलिस चौकी में आवेदन देकर अवैध महुआ शराब के कारोबार को रोकने की मांग की है। उनका कहना है कि गांव में हो रहे अवैध शराब के निर्माण और बिक्री से उनके परिवार विशेष रूप से बच्चे और किशोर प्रभावित हो रहे हैं। शराब की लत के कारण
घरों में झगड़े, घरेलू हिंसा और सामाजिक अशांति बढ़ गई है। महिलाओं ने पुलिस से मांग की है कि वे नियमित रूप से गश्त करें और शराब कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई करें। यह पहल दर्शाती है कि अब महिलाएं केवल घर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ नेतृत्व भी कर रही हैं।

शराबबंदी करने लिए कठोर निर्णय

जोराडोल के कोदोपारा गांव में ग्रामीणों ने मिलकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। गांव में अब कोई भी व्यक्ति यदि शराब बनाता या पीता पकड़ा जाता है, तो उस पर ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। यह निर्णय सामूहिक रूप से लिया गया है और इसकी निगरानी खुद ग्रामीण करेंगे। महिलाओं ने इस निर्णय को अपने आत्मसम्मान से जोड़ा है। उनका कहना है कि वे अब देशी शराब न तो बनने देंगी और न ही किसी को पीने की अनुमति देंगी।

उन्होंने कसम खाई है कि वे नशामुक्त गांव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। उनका यह भी कहना है कि आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण जशपुर जैसे इलाकों में नशे की समस्या अधिक गंभीर होती जा रही है, जिसके कारण अनेक परिवार बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं और सड़क दुर्घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है।