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Chhattisgarh News: दुर्ग में 16.97 करोड़ से कचरा प्रोसेसिंग के लिए लगेगा इंटीग्रेटेड प्लांट, होगी रिसाइकिलिंग

 

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ प्रदेश के दुर्ग शहर की लचर सफाई व्यवस्था के बीच शासन ने स्वच्छ भारत मिशन-2.0 के अंतर्गत 16.97 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है। इस राशि का उपयोग 2016 में बने एसएलआरए सेंटरों को और अधिक बेहतर बनाने में खर्च किया जाएगा। गीला-सूखा कचरा से खाद बनाने की दिशा में व्यापक स्तर पर कार्य किया जाएगा। शहर में इस समय 10 से ज्यादा एसएलआरएम सेंटर संचालित हैं, सभी में कचरे से खाद बनाने के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। यहां कचरा अघोषित रूप से एसएलआरएम सेंटरों में डंप किया जा रहा है।

बाद में इसे शहर के आउटर में अन्यत्र फेंक दिया जा रहा है। बता दें कि शासन स्तर पर 16.97 करोड़ रुपए की स्वीकृति 2026 तक शहर के कचरा मुक्त बनाने के उद्देश्य से जारी की है। इस राशि से एसएलआरएम सेंटरों का मेंटेनेंस किया जाना है। बेलिंग मशीन से लेकर अन्य उपकरण खरीदे जाने हैं। उरला में नया इंटीग्रेटेड प्लांट बनेगा, जहां कचरा रिसाइकिल किया जाएगा। राज्य तकनीकी कमेटी की स्वीकृति जारी कर दी है। अब इसे लेकर निविदा की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। बता दें कि इसे लेकर सामान्य सभा और महापौर परिषद से अनुमति आवश्यक की गई है। सूखे और गीले कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए नए सेंटर बनेंगे। प्रोसेसिंग प्लांट बनेंगे। पुराने संयंत्रों का उन्नयन एवं विकास किया जाएगा।

स्वीकृत कामों की होगी मानिटरिंग, भेजनी होगी रिपोर्ट

जारी आदेश के अनुसार परियोजना अनुसार को लागू करने की जिम्मेदारी नगर पालिक निगम दुर्ग को दी गई है। निगम को तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही निर्माण कार्य प्रारंभकरना होगा। इसके अलावा परियोजना की प्रगति रिपोर्ट प्रतिमाह स्टेट नोडल एजेंसी सूडा को भेजनी होगी। निर्माण केवल सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमोदित डीपीआर, नक्शे और ले-आउट के अनुसार ही होगा। कार्य केवल नगर निगम की स्वामित्व वाली अथवा प्रावधिक आवंटन प्राप्त भूमि पर ही किया जाएगा। किसी भी प्रकार के बदलाव के लिए सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा।

आगामी दिनों में क्लस्टर बनाकर सेमरिया में प्लांट डालने की तैयारी

जानकारी के मुताबिक आगामी दिनों में मिलाई, रिसाली, मिलाई-चरोदा, दुर्ग, कुम्हारी, उतई, जामुल निकायों का क्लस्टर बनाकर सेमरिया में 400 टन कचरा निष्पादन का प्लांट लगाने की तैयारी है। वर्तमान में इंदौर और रायपुर में इस प्रकार का प्लांट संचालित है। इसके लिए गीला सूखा से सीएनजी सहित बायोगैस तैयार किया जाएगा। वर्तमान सूख कचरे को रिसाइकिल कर उपयोग के लायक बनाया जाएगा। बचा हुआ प्लास्टिक कचरा सीमेंट फैक्ट्रयों को दिया जाएगा, जिससे सीमेंट में मिलाया जाएगा। इस कार्ययोजना पर तेजी से काम चल रहा है। आगामी सालभर के अंदर इस योजना का क्रियान्वयन किया जाना है।