हरियाणा में वायु प्रदूषण कम करने के लिए 'क्लीन एयर' प्रोजेक्ट शुरू होगा। यह एआई फॉर रेजीलायंट जॉब्स अर्बन एयर क्वालिटी एंड नेक्स्ट जेनरेशन स्किल (अर्जुन) की ओर से संचालित किया जाएगा, जो 5 साल चलेगा। इस पर 3500 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसे विश्व बैंक ने मंजूरी दी है।
धुआं कम करने के लिए परिवहन, कृषि, इंडस्ट्रीज और शहरों पर फोकस किया जाएगा। एनसीआर के जिलों में 200 ई-चार्जिंग स्टेशन बनेंगे। यह प्राइवेट एजेंसी को वित्तीय सहायता देकर बनाए जाएंगे। 10 हजार इलेक्ट्रिक ऑटो खरीदने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। प्रथम चरण में गुरुग्राम में 200, सोनीपत में 100 और फरीदाबाद में 200 ई-बसें चलाई जाएंगी। रोड पर चल रहे 17 लाख पुराने वाहनों हटाए जाएंगे। ओवरएज वाहनों की टेस्टिंग के लिए ऑटोमेटिड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) लगेंगे, ताकि इन वाहनों को स्क्रैप किया जा सके। अर्जुन नोडल बॉडी के रूप में काम करेगा।
इसमें सीईओ, संयुक्त सीईओ, सीएफओ, तकनीकी और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के साथ कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (पीएमयू) की स्थापना की जाएगी। संबंधित विभागों के नोडल अधिकारियों और अर्जुन प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। राज्य, जिला और यूएलबी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण सत्र होंगे। मास्टर प्रशिक्षकों की पहचान होगी। प्रोजेक्ट के सफल संचालन के लिए चेयरमैन एवं सीएम के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेश खुल्लर कई बैठकें ले चुके हैं। अर्जुन के सीईओ डॉ. जे गणेशन ने बताया कि यह प्रोजेक्ट 2026 में शुरू होगा। 5 साल में जीरो फसल अवशेष बर्निंग के अलावा प्रदेश को प्रदूषण मुक्त करने की योजना बनाई गई है।
बदलाव ई-ऑटो खरीदने पर 15 से 35 हजार रु. मिलेंगे
इलेक्ट्रिक ऑटो खरीदने पर 15,000 से 35,000 रुपए तक मिलेंगे।
300 इंडस्ट्रीज पर सीईएमएस डिवाइस लगेंगे। इनसे प्रदूषण का डेटा मिलेगा।
एनसीआर में 200 ई-चार्जिंग स्टेशन सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाएंगे।
एनसीआर में पहले 20 हजार वाहनों के लिए 1.50 लाख तक का प्रोत्साहन।
30 हजार पुराने ऑटो को स्क्रैप करने और उन्हें ई-ऑटो से बदलने पर प्रति वाहन
15 हजार रुपए तक का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा।
एटीएस पुराने वाहनों की पहचान करेंगे। इस पर 210 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
अत्यधिक प्रदूषणकारी कोयला/पेट-कोक/तेल बॉयलरों को स्वच्छ ईंधन विकल्पों
में बदला जाएगा। 300 उद्योगों में सीईएमएस उपकरणों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन, धूल और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नीति बनेगी।
बायोमास संयंत्रों, बिकेटिंग संयंत्रों, व और आईओसीएल 2 जी इथेनॉल संयंत्र से
पराली का प्रबंधन होगा। भूसे के प्रयोग की योजना बनेगी। आग की घटनाओं की जिला-स्तरीय निगरानी की जाएगी। कृषि विभाग फसल अवशेष की निगरानी रखेगा।
राज्यस्तर पर बड़ी और 12 मिनी लैब का होगा निर्माण
एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग के लिए सैटेलाइट बेस्ड एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग सिस्टम लगेंगे, ताकि प्रदूषण फैलाने वाले की पहचान हो सके। 10 सीएएक्यूएम लगेंगे। राज्यस्तर पर बड़ी और 12 मिनी लैब का निर्माण होगा। रियल टाइम निर्णय के लिए डिसिजन स्पोर्ट सिस्टम का निर्माण होगा। उद्योगों में लगे ब्वायलरों को पीएजी और बॉयोमास में बदला जाएगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए मिलेगी सब्सिडी
पूरे प्रदेश में 500 ई-बसें चलाई जाएंगी। एनसीआर के जिलों में मोबिलिटी प्लान बनेगा। हर शहर में बस स्टॉप पर चार्जिंग स्टेशन होंगे। पुराने/अस्वच्छ वाहनों को हटाया जाएगा। नए तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए और पुराने तिपहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए परिवहन पर 1688 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

