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 गुनगुनी धूप सी कहानियों का विमोचन : शब्दों में संवेदनाओं की तपिश और समाज का सच

 
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रतलाम, 02 मई (इ खबर टुडे)। पॉवर हाउस रोड स्थित प्रेस क्लब भवन का दृश्य कुछ अलग ही था। मंच सजा था, शब्दों की गरिमा और संवेदनाओं की ऊष्मा वहां उपस्थित हर व्यक्ति के मन को छू रही थी। अवसर था वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका वैदेही कोठारी की नवीनतम पुस्तक “गुनगुनी धूप सी कहानियां” के विमोचन का। यह संग्रह न केवल कहानियों का संकलन है, बल्कि नारी संवेदनाओं, सामाजिक संघर्षों और जीवन की बारीक अनुभूतियों का आईना है।

23 वर्षों की पत्रकारिता का अनुभव, लेखन में संवेदना की भाषा
वैदेही कोठारी पत्रकारिता में 23 वर्षों से सक्रिय हैं। उनके लेख देशभर की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। लेखन के प्रति उनका समर्पण और विषयों की सामाजिक गहराई ने उन्हें एक सशक्त स्त्री स्वर के रूप में स्थापित किया है। वर्तमान में वे बाल कल्याण समिति की सक्रिय सदस्य भी हैं। समाज के उपेक्षित वर्गों विशेषकर बच्चों और महिलाओं के लिए उनकी संवेदनशील दृष्टि उनकी कहानियों में स्पष्ट परिलक्षित होती है।

विमोचन समारोह में प्रबुद्धजनों का संगम
इस गरिमामय आयोजन की मुख्य अतिथि रहीं पूर्व मंत्री, महू विधायक और प्रखर नेत्री श्रीमती उषा ठाकुर। उन्होंने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि “रचनात्मक लेखन समाज की वैचारिक चेतना को जाग्रत करता है। वैदेही कोठारी की यह पुस्तक न केवल साहित्यिक रचना है, बल्कि सामाजिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का प्रयास भी है।” उन्होंने राष्ट्रप्रेम, लव जिहाद, और हवन जैसे विषयों पर भी अपने विचार प्रकट किए और कहा कि संस्कारयुक्त परिवार ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव होते हैं।

बाबा सत्यनारायण मौर्य का व्यंग्य में सजीव चिंतन
समारोह के विशेष अतिथि अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चिंतक, कवि और कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य रहे। उन्होंने मालवी और हिन्दी दोनों भाषाओं में अपने विशिष्ट व्यंग्यात्मक लेकिन मर्मस्पर्शी शैली में कहा कि “आज भावनाओं का स्थान तकनीक ने ले लिया है, ऐसे में वैदेही जैसे लोग समाज को उसकी आत्मा की याद दिला रहे हैं।” उन्होंने सरलता, लक्ष्य और जड़ों से जुड़े रहने की महत्ता को उजागर किया।

भाजपा जिला प्रभारी प्रदीप पाण्डेय का ओजस्वी वक्तव्य
भाजपा जिला प्रभारी प्रदीप पाण्डेय ने लेखन को व्यापक प्रभाव वाली विधा बताते हुए कहा कि “एक कलमकार समाज को दिशा देता है। यह किताब वैदेही की संघर्ष यात्रा, उनकी सामाजिक चेतना और स्त्रियों की मनःस्थिति को बेहद संजीदगी से प्रस्तुत करती है।”

डॉ. प्रवीणा दवेसर ने की पुस्तक समीक्षा
समारोह की अध्यक्षता कर रही शिक्षाविद् डॉ. प्रवीणा दवेसर ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा, “यह पुस्तक एक दर्पण है, जिसमें हम अपने समाज, संबंधों और आंतरिक द्वंद्व को देख सकते हैं। 'नंदिनी' जैसी कहानी पाठक को भीतर तक झकझोर देती है। हर कहानी पाठक के अंतर्मन को छूने की ताकत रखती है।”

श्वेता नागर ने अतिथियों का किया स्वागत और लेखिका का परिचय कराया
शिक्षिका एवं साहित्यकार श्वेता नागर ने स्वागत भाषण देते हुए वैदेही कोठारी के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि वैदेही की रचनाएं देश की दर्जनों पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं और उनका लेखन केवल शब्दों का संकलन नहीं बल्कि भावनाओं की प्रस्तुति है।

लेखिका ने जताया आभार, फिर भीगी आंखों से कहा – "बस लिखते रहना है"
लेखिका वैदेही कोठारी ने मंच से सभी साहित्यप्रेमियों, श्रोताओं, और रचनाकारों का भावुक होकर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा – “यह मेरे लिए केवल किताब का विमोचन नहीं है, बल्कि मेरी आत्मा की उन अनुभूतियों का उत्सव है जिन्हें मैंने कहानियों के रूप में उकेरा है। जब समाज का हर तबका, हर स्त्री, हर संघर्षशील आत्मा इन पंक्तियों में खुद को पाए – वही मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी।”

उल्लेखनीय उपस्थिति और आयोजन की गरिमा
कार्यक्रम का संचालन अदिति मिश्रा ने कुशलता से किया। प्रारंभ में अतिथियों ने सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्वलन किया। स्वागतकर्ता दल में वैदेही कोठारी के साथ खुशबू जांगलवा,  दैनिक स्वदेश इंदौर के संदीप निरखीवाले (इंदौर),नेपथ्य पत्रिका के संपादक तुमुल सिन्हा (भोपाल), दैनिक गुरु एक्सप्रेस मंदसौर के संपादक आशुतोष नवाल और अमित राव (देवास), मौजूद रहे।

कार्यक्रम में विशेष रूप से लेखिका इंदु सिन्हा, रतलाम प्रेस क्लब अध्यक्ष मुकेशपुरी गोस्वामी, लेखक आशीष दशोत्तर, डॉ. प्रदीप सिंह राव, वरिष्ठ पत्रकार तुषार कोठारी, वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी सहित कई गणमान्य साहित्यकार, बुद्धिजीवी और पत्रकारगण उपस्थित थे।

वैदेही कोठारी का यह प्रयास स्त्रियों की आवाज, संघर्ष और सामर्थ्य को समाज के हर कोने तक पहुंचाने की एक सशक्त कड़ी बनेगा – इसमें कोई संदेह नहीं।