Ratlam News: रतलाम संभाग में बनेगा पहला आर्टिफिशियल वेटलैंड, 2 करोड़ 71 लख रुपए होंगे खर्च
Ratlam News: मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम संभाग में पहले आर्टिफिशियल वेटलैंड बनाने की तैयारी फिर शुरू हो गई है। अमृत सागर तालाब पर बनने वाले संभाग के पहले आर्टिफिशियल वेटलैंड का प्रोजेक्ट नगर निगम के - हाथ से निकलते-निकलते बचा है। दरअसल, बोहरा बाखल वाले नाले पर राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में बनाए जाने वाले वेटलैंड की नोडल एजेंसी एको (पर्यावरण नियोजन और समन्वय संगठन) है। दिसंबर 2024 तक एप्को के पोर्टल पर प्रोजेक्ट लाइव था, लेकिन बाद में अचानक हट गया। इससे फंड ही नहीं मिल पा रहा था।
इसका खुलासा तब हुआ जब काफी कोशिशों के बावजूद बजट का मामला लंबा खिंचते देख अधिकारियों ने खोज-खबर ली। बाद में कमिश्नर ने एको के अफसरों से बात करके समस्या बताई, तब जाकर प्रोजेक्ट पोर्टल पर लाइव हो पाया। इसके बाद फंड मिलने का रास्ता साफ हो गया है। निगम ने ठेकेदार फर्म से कर लिया है।
5 माह की लेटलतीफी के कारण वेटलैंड अब दिसंबर 2026 तक ही फंक्शनल हो पाएगा। स्वींग्स तकनीक आधारित आर्टिफिशियल वेटलैंड बनाने पर 2.71 करोड़ रुपए खर्च होंगे। काश्यप की पहल पर मंजूर हुआ था प्रोजेक्ट बता दें कि 5 साल पहले भी तालाब के सौंदर्याकरण की योजना लगभग बंद हो गई थी। कैबिनेट मंत्री चेतन्य काश्यप ने प्रयास करके केंद्र सरकार के झील संरक्षण योजना में मंजूरी दिलवाई। पहली किस्त में 6.85 करोड़ रुपए मिले थे।
इस प्रकार रहेगी रतलाम संभाग के प्रथम आर्टिफिशियल वेटलैंड बनाने की योजना
तालाब के सौंदर्याकरण की पूरी योजना पर लगभग 22.84 करोड़ रुपए खर्चा आएगा। पहले चरण में 12.43 एग्रीमेंटलच करोड़ के काम हो चुके हैं। इसमें गैबियन वॉल, पाल की स्टोन पीचिंग, वॉच टॉवर, एडमिन ब्लॉक, टॉयलेट ब्लॉक, दो एंट्री गेट, लाइटिंग और त्रिपोलिया गेट तरफ मिनी चौपाटी बन चुकी है। अब आर्टिफिशियल वेटलैंड बनना है
आर्टिफिशियल वेटलैंड बनने के बाद यह मिलेगा लाभ
अभी अमृत सागर तालाब का पानी नाले के गंदे पानी की वजह से बदबूदार हो रहा है, जिस पर जलकुंभी जम जाती है। इससे 12 से ज्यादा कॉलोनियों के रहवासी परेशान हैं। वेटलैंड बनने के बाद रहवासियों की ये दोनों समस्याएं खत्म हो जाएंगी। निगम द्वारा त्रिपोलिया गेट तरफ से आ रहे नाले को पहले ही डायवर्ट कर त्रिवेणी रोड वाले नाले में मिला दिया गया है।
बहते हुए साफ हो जाएगा गंदा पानी
इस योजना के तहत नाले पर सबसे आगे होगा से भरा हुआ प्रायमरी टैंक बनाया जाएगा, जिससे गुजरने पर बड़ी गंदगी नीचे बैठ जाएगी। यहां से पानी चरणबद्ध एक मीटर गहराई वाले बजरी, पत्थर, कोयला, चूना पत्थर आदि से भरे 9 टैंकों से गुजरेगा। 65 प्रतिशत तक फिल्टर हो जाएगा। टैंकों से बाहर निकला पानी 75 से 80 प्रतिशत तक ट्रीटेड होगा।