Raag Ratlami Fake Tombs-फलफूल रहा है नकली बाबाओं की फर्जी मजारों का धन्धा,मजारों पर लगते है मेले,देते है मोटी कमाई
-तुषार कोठारी
रतलाम। बेशकीमती सरकारी जमीनों को हडप कर मोटी कमाई करने सबसे कारगर तरीका मजार बनाने का है। पहले चार ईंटे रखकर उस पर हरा कपडा लगा दिया जाता है,फिर एक दो हफ्ते बाद धीरे धीरे से एक नन्ही सी एकाध फीट की पक्की मजार बना दी जाती है। वक्त गुजरने के साथ साथ मजार बडी होती जाती है और आसपास की सरकारी जमीन पर फैलने लगती है। देखते ही देखते मजार बनाने वाले की कमाई बढती जाती है।
शानदार कमाई वाले इस बिजनेस माडल को देखना हो तो सैलाना रोड पर बंजली के नजदीक देखिए। रतलाम में एयरपोर्ट नही है,मगर एयरपोर्ट वाले बाबा की फर्जी मजार ने सडक़ किनारे की महंगी सरकारी जमीन के बडे हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है। दो दशक पहले यहां कुछ नहीं था,लेकिन पहले चार ईंटे और हरा कपडा,फिर नन्ही सी पक्की मजार और फिर आज वाला सीन तैयार हो गया।
अब इस फर्जी मजार पर फर्जी बाबा के नाम का उर्स भी चालू हो चुका है। मजार चलाने वाले की इमारत चार मंजिला हो चुकी है। उर्स में तमाम धर्मभीरू लोग आएंगे,चढावा चढाएंगे और मन्नतें पूरी होने की उम्मीदें लेकर चले जाएंगे। मजार चलाने वाले की कमाई में और इजाफा हो जाएगा।
देश के कई सूबों में इस तरह की फर्जी नकली मजारों को हटाने की मुहिम चल रही है। हमारे सूबे के मुखिया ने भी इसी तरह के आदेश जारी किए थे। सरकारी कारिन्दों को पता है कि शहर में कहां कहां सरकारी जमीनों पर फर्जी और नकली मजारें है। लेकिन सरकार के आदेश के बावजूद जिला इंतजामिया के अफसरों को पता नहीं किसका डर सताता है कि वो सरकारी हुक्म की तामील भी नहीं कर पाते। बडे अफसरों को डर सताता है,तो नीचे वाले कारिन्दे मजारों की कमाई में हिस्सा बंटाई कर लेते है।
कुल मिलाकर नकली बाबाओं की फर्जी मजारों का धन्धा खूब फलफूल रहा है।