Movie prime

 राज्य पेंशनरों ने प्रधानमंत्री के नाम दिया मेगा मेमोरेण्डम  

 पेंशनरों में विभेद न करने और वित्त विधेयक निरस्त करने की प्रमुख मांग
 
 

रतलाम,23 जून (इ खबर टुडे) । आल इंडिया स्टेट पेंशनर्स फेडरेशन नई दिल्ली के आव्हान पर 23 जून को अखिल भारतीय स्तर के साथ यहां भी सभी पेंशनर संगठनों ने बड़ी संख्या में पेंशनरों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री के नाम एक मेगा मेमोरेण्डम कलेक्टोरेट में जिलाधीश के नाम डिप्टी कलेक्टर मैडम आरची हरित को राज्य पेंशनरों के हस्ताक्षरों  वाला पत्रकों की एक फाईल के साथ भेंट किया। यह फाईल भी मेगा मेमोरेण्डम के साथ माननीय प्रधानमंत्री को भेजी जाना है।

माननीय प्रधानमंत्री के नाम मेगा मेमोरेण्डम देने रतलाम के पेंशनर संगठन यथा पेंशनर समाज, प्रमुख पेंशनर एसोसिएशन, प्रोग्रेसिव पेंशनर एसोसिएशन, विद्युत मण्डल पेन्शनर एसोसिएशन, पुलिस पेंशनर एसोसिएशन, मण्डी बोर्ड पेंशनर एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष पेंशनरों के साथ आस-पास की तहसीलों, जावरा और गांवों के पेंशनर भी उपस्थित रहे।

मेगा मेमोरेण्डम में संसद में पारित वित्त विधेयक 25.03.2025 को रद्द करने, पेंशनरों में विभेद नहीं करने की प्रमुख मांग थी।

मेमोरेण्डम में माननीय प्रधानमंत्रीजी का ध्यान माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल रिट पिटीशन क्र. 592941/1980 डी.एस. नाकरा जजमेन्ट में उल्लेखित टिप्पणियों की ओर आकृष्ट किया गया। निर्णय में कहा गया कि पेंशन एक लोकहितकारी कदम है यह उन कर्मचारियों के लिए सामाजिक  आर्थिक न्याय सुनिश्‍चित करता है जिन्होंने अपने यौवन काल में नियोक्ता के लिए पसीना बहाया और ऊर्जा खर्च कीहै।

पेंशन का प्रावधान इस लक्ष्य से किया गया है कि पेंशनर अपने जीवन के संध्या काल में अभावमुक्त एवं गरिमापूर्ण आत्मसम्मान पूर्ण जीवन यापन करे। बढ़ती कीमतों और गिरती क्रय शक्ति का दंश निरन्तर प्रत्येक पेंशनर भोगता है।

माननीय उच्चतम न्यायाधीश द्वारा दिए गए निर्णय के प्रकाश में ही अतीत या विगत और नवीन पेंशनरों के संबंध में पेंशन में निष्पक्षता प्रदर्शित की गई है। सातवें केन्द्रीय वेतनमान में 01.01.2016 के पूर्व और  और पश्‍चात और आज दिनांक तक सेवानिवृत्त पेंशनरों के मध्य पेंशन निष्पक्षता का प्रदर्शन किया गया है।
ज्ञापन में यह भी स्मरण कराया गया है कि पेंशन एक प्रापर्टी है और 44 वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संपत्ति का मौलिक अधिकार है। अतएव सिविल सर्विस (पेंशन) अधिनियम 1972 को पूर्व प्रभावित तिथि से संशोधित करना न्यायिक दृष्टि से तर्क संगत नहीं है।

मेगाज्ञापन में मांग की गई है कि पूर्व और 01.01.2016 के बाद पेंशनरों में निष्पक्षता और समानता की अनुशंसा 7 वें केन्द्रीय वेतन आयोग ने भी की है। माननीय प्रधानमंत्रीजी आपके ही  नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने इसे स्वीकृत किया है। अतः अब आपके ही नेतृत्व में वर्तमान सरकार द्वारा पेंशनरों में विभेद करना नैतिक दृष्टि से उचित नहीं है।

अ.भा. राज्य पेंशनर महासंघ आपसे अनुरोध करता है कि आप संबंधित अधिकारियों को संपूर्ण प्रकरण पर पुनः विचार के लिए निर्देशित करे ताकि विधेयक से प्रभावित होने वाले पेंशनर पेंशन लाभ से वंचित न हो।

इस अवसर पर अंत में विद्युत मंडल के वरिष्ठ पेंशनर एवं नेता अरविन्द सोनी ने संबोधित करते हुए पेंशनरों से भ्रामक समाचरों से प्रभावित नहीं होने का आग्रह किया और कहा कि जब तक अधिकृत तौर पर घोषणा नहीं होती है विश्‍वास नहीं करें। साथ ही जब भी फेडरेशन का आव्हान हो बड़ी संख्या में आन्दोलन में भागीदारी करे। अंत में श्री सोनी ने पेंशनरों का आभार प्रदर्शन किया। ज्ञापन का वाचन सुरेन्द्र छाजेड़ ने किया और सभी संगठन पदाधिकारियों ने जिलाधीश ने नाम पर डिप्टी कलेक्टर को मेगा मेमोरेण्डम भेंट किया।