यौन शोषण बच्चों का हुआ और पुलिस ने आरोपी भी उन्ही को बना दिया,यौन शोषण करने वाली महिलाओं पर पुलिस मेहरबान,सीडब्ल्यूसी ने सही कार्यवाही के लिए एसपी को लिखा पत्र
रतलाम,19 जून (इ खबरटुडे)। पिछले दिनों शहर में नाबालिग बालकों के साथ महिलाओं द्वारा यौन शौषण किए जाने की दो अलग अलग घटनाएं हुई। इन घटनाओं में नाबालिग बालकों के हितों का संरक्षण किया जाना चाहिए था,लेकिन पुलिस ने इसके एन उलट काम किया। एक घटना में तो नाबालिग बालक पर ही बलात्कार का प्रकरण बना दिया,जबकि यौन शोषण करने वाली महिलाओं पर वो धाराएं ही नहीं लगाई गई,जो लगाई जाना थी। इस सम्बन्ध में बाल कल्याण समिति न्यायपीठ द्वारा पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर सही कार्यवाही करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि विगत 10 जून को शहर के हाट की चौकी क्षेत्र में एक पैैंतीस वर्षीय महिला ने एक सत्रह वर्षीय नाबालिग युवक के घर पंहुचकर जमकर हंगामा किया था। महिला उक्त युवक से निकाह करने पर अडी हुई थी। बाद में युवक के पिता ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने बडी मशक्कत से उक्त महिला को समझा बुझा कर वहां से रवाना किया। बाद में पुलिस थाना दीनदयाल नगर पर उक्त महिला के विरुद्ध लैैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पाक्सो एक्ट) के तहत प्रकरण दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया।
इस प्रकरण में यह तथ्य भी सामने आए थे कि आरोपी महिला पूर्व से दो बार विवाहित होकर उसे दो बच्चे भी है। उक्त महिला,सत्रह वर्षीय युवक को बाकायदा जान से मारने की धमकी देकर उसका यौन शोषण करती थी। ऐसी स्थिति में पुलिस को उक्त महिला के विरुद्ध लैैंगिक उत्पीडन के लिए दण्ड की धारा 12 भी लगाई जाना चाहिए थी,लेकिन दीनदयाल नगर पुलिस ने आरोपी महिला के विरुद्ध यह धारा नहीं लगाई।
दूसरे प्रकरण में तो पुलिस ने और बडा कमाल कर दिखाया। दूसरा प्रकरण शहर के विरीया खेडी क्षेत्र का था,जिसमें एक पच्चीस वर्षीय विवाहित महिला ने चौदह वर्षीय बालक का यौन उत्पीडन किया था। इस मामले में शहर के महिला पुलिस थाने ने नाबालिग बालक को ही बलात्कार का आरोपी बना दिया और उसे पन्द्रह दिनों तक जेल में रहना पडा। दूसरी ओर यौन शोषण करने वाली महिला के विरुद्ध कोई कार्यवाही ही नहीं की गई।
इस प्रकरण की खासियत यह थी कि पच्चीस वर्षीय विावहित महिला ने पहले तो चौदह वर्षीय बालक को अपने जाल में फंसाकर उसका यौन शोषण किया,लेकिन बाद में जब इस बात की जानकारी विवाहिता के पति को लग गई,तो महिला ने महिला थाने पर पंहुचकर बालक के खिलाफ ही बलात्कार की रिपोर्ट ही दर्ज करवा दी। महिला पुलिस थाने के अधिकारियों ने भी बिना कोई जांच पडताल किए चौदह वर्षीय बालक को बलात्कार का आरोपी बनाते हुए उसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली और उसे गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया।
दोनो प्रकरणों की सुनवाई के पश्चात बाल कल्याण समिति न्यायपीठ ने दोनो पुलिस थानों के लापरवाही भरे गैर जिम्मेदाराना व्यवहार को देखते हुए पुलिस अधीक्षक को लिखे पत्र में कहा है कि हाट की चौकी क्षेत्र के बालक के मामले में जहां आरोपी महिला के विरुद्ध लैैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 12 भी लगाई जाना चाहिए। वहीं विरीयाखेडी क्षेत्र के चौदह वर्षीय बालक के मामले में महिला को आरोपी बनाते हुए उसके विरुद्ध पाक्सो एक्ट की धारा 7,8 और 12 तथा झूठी शिकायत करने के लिए धारा 211 बीएनएस व ब्लैकमेलिंग की धारा 38(4) बीएनएस का प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए था। जो कि महिला पुलिस थाने द्वारा नहीं किया गया।
बाल कल्याण समिति ने एसपी को लिखे पत्र में एसपी से निवेदन किया है कि उक्त दोनो मामलों में विधि सम्मत कार्यवाही करवाएं जिससे कि बालकों को संरक्षण मिल सके और उन्हे उचित न्याय प्राप्त हो सके।