इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए, 30 अक्टूबर 2025 को रतलाम ‘ई’ केबिन से बजरंगगढ़ के मध्य लगभग 68.7 किलोमीटर लंबे खंड में एक साथ ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली का कमीशन कर रतलाम मंडल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह कमीशनिंग कार्य मंडल रेल प्रबंधक अश्वनी कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व तथा वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (समन्वय) आर.एस. मीना एवं मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर स्पेशल कार्य दिव्या पारीक के कुशल मार्गदर्शन तथा पर्यवेक्षकों और कर्मचारियों के उत्कृष्ट कार्य शैली के कारण संपन्न हुआ।

इस कार्य को 8-8 घंटों की दो शिफ्टों में रिकॉर्ड समयावधि में रतलाम ‘ई’ से बजरंग गढ़ तक पूर्ण करने के साथ ही रतलाम मंडल ने भारतीय रेल के इतिहास में अब तक का सबसे लंबा ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (ABS) सेक्शन सफलतापूर्वक कमीशंड किया है। इसके साथ ही रतलाम मंडल में ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग की कुल कवरेज 66 किलोमीटर से बढ़कर लगभग 135 किलोमीटर हो गई है।
नवीन सिग्नलिंग प्रणाली में ट्रेन संचालन की दक्षता बढ़ाने हेतु इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग विजुअल डिस्प्ले यूनिट एवं ऑटो सेक्शन इंडिकेशन विजुअल डिस्प्ले यूनिट की व्यवस्था की गई है। विश्वसनीय एक्सल काउंटिंग और ट्रेन डिटेक्शन के लिए मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर का प्रयोग किया गया है।
ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली से ट्रेन संचालन की सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। यह प्रणाली अधिक ट्रेनों के संचालन की अनुमति देती है और कम समय में अधिक गाड़ियों का परिचालन संभव बनाती है। इसमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता कम होती है, जिससे संचालन त्रुटिहीन बनता है। डेटा लॉगिंग एवं रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की सुविधा से संपूर्ण निगरानी प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली बनती है। यह प्रणाली ऊर्जा की खपत को भी कम करती है और आधुनिक तकनीक के साथ रेलवे को भविष्य के लिए तैयार करती है।
ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली रेलवे संचालन को सुरक्षित, तीव्र, सटीक और भविष्य में उच्च गति व अधिक आवृत्ति वाली ट्रेनों के संचालन के लिए उपयुक्त बनाती है। यह निःसंदेह आधुनिक रेलवे की रीढ़ है। इस सफलता का श्रेय रतलाम मंडल के संकेत एवं दूरसंचार विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की अथक मेहनत, गहन योजना और विभिन्न विभागों के बीच उत्कृष्ट समन्वय को जाता है।


