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  Raag Ratlami SIR पंजा पार्टी के पास नहीं है एसआइआर पर नजर रखने वाले एजेन्ट,एसआइआर से परेशान है दोनो,वोटर भी कर्मचारी भी
 
 

-तुषार कोठारी

रतलाम। पंजा पार्टी के पप्पू युवराज एक बार एटम बम और दूसरी बार हाईड्रोजन बम के नाम पर फुस्सी फटाके फोड चुके है। उनके एटम बम और हाईड्रोजन बम के फुस्सी निकलजाने से पंजा पार्टी के लोगों में भारी निराशा है। पंजा पार्टी वालों को पहले लगा था कि शायद एटम बम और हाईड्रोजन बम फोडने से पंजा पार्टी ताकतवर हो जाएगी,लेकिन हुआ इसका ठीक उलटा। पंजा पार्टी की बची खुची ताकत भी इन फुस्सी बमों की आवाज को दूर तक पंहुचाने की कोशिश में जाया हो गई। इसका नतीजा ये है कि जिस एसआईआर को युवराज पप्पू वोट चोरी बता रहे है उस एसआइआर में पंजा पार्टी वालों का नामोनिशान तक नजर नहीं आ रहा है।

बिहार के एसआइआर को रुकवाने के चक्कर में पंजा पार्टी समेत कई पार्टियों ने सबसे बडी अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्हे उम्मीद थी कि बडी अदालत एसआइआर को रोक देगी,लेकिन यहां भी इसका ठीक उलटा हुआ। बिहार का एसआइआर तो रुका नहीं,देश के कई सारे राज्यों में अब एसआइआर शुरु हो चुका है।

एसआइआर की प्रक्रिया में चुनाव आयोग के साथ साथ पार्टियों का भी बडा रोल होता है। सरकार हर पोलिंग बूथ के लिए बूथ लेवल आफिसर बीएलओ तैनात करती है तो पार्टियों को भी बूथ लेवल एजेन्ट तैनात करने का मौका देती है। ताकि तमाम पार्टियों के एजेन्ट एसआइआर पर सीधी नजर रख सके। अगर कहीं कोई गडबडी हो रही हो तो पार्टि के एजेन्ट उसे सामने लेकर आए।

अब पंजा पार्टी की हालत देखिए कि एसआइआर शुरु हो चुका है,लेकिन पंजा पार्टी के पास बूथों पर तैनात करने के लिए एजेन्ट ही नहीं है। फूल छाप पार्टी वाले एजेन्ट बीएलओ के साथ लोगों के घर घर जा रहे है और एसआइआर के बहाने अपनी पार्टी का नाम भी घर घर तक पंहुचा रहे हैैं। लेकिन पंजा पार्टी वालों के पास एजेन्ट ही नहीं है। कही कहीं कुछ बूथों पर जरुर पंजा पार्टी के एजेन्ट नजर आ जाते है,लेकिन ज्यादातर जगहों पर पंजा पार्टी का कोई एजेन्ट तैनात नहीं है।

पंजा पार्टी के पप्पू युवराज को हरियाणा चुनाव के साल भर बाद याद आया कि वहां वोट चोरी हो गई थी। जबकि चुनाव के वक्त भी हर बूथ पर हर पार्टी को अपने एजेन्ट तैनात करने को कहा जाता है,ताकि चुनाव में बूथ पर अगर कोई गडबड हो रही हो तो पार्टी का एजेन्ट उस गडबड को सामने ला सके और गडबड को ठीक करवा सके। पंजा पार्टी वालों ने चुनाव के वक्त जानबूझ कर अपने एजेन्ट तैनात नहीं किए थे,ताकि चुनाव के साल भर बाद उन्हे ये कहने का मौका मिल सके कि चुनाव में वोट चोरी की गई थी। अब यहां एसआइआर की भी यही कहानी है। अभी एसआइआर चल रहा है तो पंजा पार्टी के एजेन्ट मौजूद नहीं है। इसका सीधा सा मतलब ये है कि दो चार महीनों या सालभर बाद पंजा पार्टी के पप्पू युवराज मध्यप्रदेश के एसआइआर को भी वोट चोरी का प्रयास बता देंगे। 

इधर पंजा पार्टी में बचे खुचे नेता इस बात से हैरान है कि उनके युवराज हर बार कोई ना कोई ऐसा बखेडा खडा कर देते है,जिस पर सफाई देना पंजा पार्र्टी वालों को भारी पडने लगता है। ये समस्या उपर दिल्ली से लगाकर यहा शहर के गली मोहल्लो तक एक जैसी है। बहरहाल एसआइआर चल रहा है और पंजा पार्टी वाले इसे चुपचाप देख रहे हैैं।

एसआइआर से परेशान है वोटर भी,कर्मचारी भी

एसआइआर शुरु हो चुका है और कई सारे वोटर इससे परेशान है। दूसरी तरफ एसआइआर के काम में लगे सरकारी कर्मचारी भी व्यवस्थाओं के ना होने से हैरान परेशान है। शहर की गरीब बस्तियों में रहने वाले कई वोटरो को यह डर सता रहा है कि अगर 2003 वाली वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं मिला तो उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। इसी डर के चलते लोग अपने अपने इलाकों में कम्प्यूटर की दुकानें चलाने वालों के पास जा रहे है। ताकि 2003 की वोटर लिस्ट में वे अपना नाम खोज सके और फिर इसकी जानकारी एसआइआर में लगे कर्मचारी को देकर अपना नाम सुरक्षित कर सके। कम्प्यूटर सेन्टर चलाने वाले इसलिए परेशान है कि वोटर लिस्ट के हजारों नामों में से उन्हे अपने ग्र्राहक का नाम खोजना पड रहा है,जो कि वक्त खाने वाला उबाऊ काम है। 

दूसरी तरफ एसआइआर में लगे कर्मचारी भी परेशान है। कई बूथों पर निर्धारित फार्म नहीं पंहुचे है। ये फार्म वोटरों को दिए जाने है। अफसर नीचे के कर्मचारियों को तेजी से काम करने के लिए चमका रहे है,लेकिन फार्म नहीं होने से काम हो नहीं पा रहा है। कुल मिलाकर एसआइआर ने कई सारे लोगों को परेशान कर दिया है। इतनी सारी उलझनों के बाद एसआइआर का सफलतापूर्वक हो जाना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।