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 Raag Ratlami Police Time : वर्दी वालों का खराब है वक्त,संगीन मामलों को छुपाने के बावजूद बाहर आ जाती है खबरें
 
 

-तुषार कोठारी

रतलाम। लगता है वर्दी वालों का वक्त इस वक्त खराब चल रहा है। शहर में एक ही रात में दो सूने मकानों में लाखों की चोरी हो गई। एक पखवाडे से ज्यादा वक्त हो गया वर्दी वालों के हाथ खाली है। ठग,नकली वर्दी वाले बन कर लोगों के गहने उडा ले जा रहे है और जब उनका सुराग लगता है तो वर्दी वाले उन्हे पकड नहीं पाते। ये सब भी तब हो रहा है,जब वर्दी वाले तमाम की तमाम वारदातों को खबरचियों से छुपा कर रखते है।

असल में वर्दी वालों के इससे पहले वाले एक कप्तान ने वारदातों को खबरचियों से छुपाने का फार्मूला निकाला था। वरना पहले खबरचियों को जिले भर में होने वाले तमाम गुनाहों और वारदातों की जानकारियां बिना कुछ भी छुपाए भेज दी जाती थी। लेकिन पहले वाले कप्तान ने इस पर सेंसरशिप लागू कर दी। उन्होने खबरचियों को भेजी जाने वाले रिपोर्ट में संगीन मामलों को छुपा देने का हुक्म जारी कर दिया। तब से खबरचियों को महज छोटी मोटी मारपीट, एक-दो बोटल गैरकानूनी शराब और सौ दो सौ के जुए सïट्टे जैसी खबरें ही दी जाने लगी। कहीं चोरी हो जाए या डाका पड जाए या कहीं कत्ल हो जाए तो वर्दी वालों की रोजाना वाली रिपोर्ट से ऐसी वारदातों को गायब कर दिया जाता है।

जब अभी वाले कप्तान आए तो इन्होने भी वही सिलसिला जारी रखा। इन्हे भी लगा कि खबरचियों को सारी खबरें देने लगेंगे तो वर्दी वालों की नाअहली और नालायकी लोगों को साफ नजर आने लगेगी। इसलिए खबरचियों से खबरें छुपा कर रखने में ही समझदारी है। खबरे सिर्फ तभी दी जाती है जब वर्दी वालों को कोई कामयाबी मिल जाती है। लाखों की चोरी की वारदात छुपा ली जाती है,लेकिन जब हजारों का भी कोई माल बरामद हो जाता है,तो बाकायदा खबरचियों को बुला कर,कभी कभी चायपान कराकर उन्हे माल बरामदगी की खबर दी जाती है। 

खबरचियों ने बेचारों ने पहले वाले और अभी वाले कप्तान से कई बार कहा कि रोजाना वाली रिपोर्ट सेंसर किए बिना जारी की जाना चाहिए जैसी पहले हुआ करती थी,लेकिन कप्तान ने इन बातों पर कान नहीं दिए। अब बेचारे खबरची क्या करते,उन्होने अपने ही बलबूते खबरें ढूंढने और जनता तक पंहुचना का काम शुरु कर दिया। शहर की दो पाश कालोनियों में एक ही रात लाखों की चोरी होने की वारदात को भी वर्दी वालों ने अपनी रिपोर्ट में छुपा लिया था,लेकिन खबरचियों ने खबरें ढूंढ ही ली। नकली वर्दी वालों के मामले में भी जब ठग गहने फेंक कर चले गए और गहने वर्दी वालों के हाथ लग गए तो फिर फौरन तमाम खबरचियों को बुलावा भेज दिया गया।

इस बीच वर्दी वालों को एक जोर का झटका तब लग गया,जब नशे के कारोबार को रोकने वाली एजेंसी के अफसर दूसरे शहरों से आए और यहां चल रही नशे की फैक्ट्री का खुलासा करते हुए दो कारोबारियों को दबोच कर ले गए। शहर के लोग सवाल पूछ रहे है कि नशे के कारोबार के खिलाफ मुहिम चलाने का दावा करने वालों के दावों में कितनी हकीकत थी? उन्हे अपने ही शहर मे चल रही नशे की फैक्ट्री का पता नहीं चल पाया और इसका पर्दाफाश दूसरे शहरों की एजेंसियों ने कर दिया।

वैसे तो कप्तान ने वर्दी वालों के काम में कसावट लाने के लिए तमाम थाने वालों को इधर से उधर कर दिया है,लेकिन इसका कितना और कैसा असर होगा इसका पता तो आने वाले वक्त में लगेगा। असर होगा भी या नहीं ये भी पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि वर्दी वाले संगीन मामलों को खबरचियों से छुपा कर गुनाहों पर अंकुश लगाने का मुगालता पालते रहेंगे और खबरची खबरें ढूंढ ढूंढ कर वर्दी वालों की हकीकत सामने लाते रहेंगे। 

बिहार के चुनाव में रतलामी की एन्ट्री

जब से पंजा पार्टी की हालत कमजोर हुई है,तब से पंजा पार्टी के बारे में लिखने के लिए कोई मसाला ही नहीं मिलता। पहले के जमाने में तो पंजा पार्टी की गुटबाजी के चलते अखबारों के पन्नो पर पन्ने भरा जाते थे,लेकिन अब पंजा पार्टी में इतने लोग ही नहीं बचे कि इसमें गुट बन पाए। उंगलियों पर गिने जा सकने वाले नेता है। पीछे कोई नहीं है। पंजा पार्टी की कमान अभी थोडे ही दिन पहले भैया के हाथ से निकल कर शांति रखने वाले पहलवान के हाथों में चली गई,लेकिन पंजा पार्टी की हालत जस की तस है। ना कोई खबर है ना कोई असर है।

लेकिन अभी अचानक से सोशल मीडीया पर एक खबर आ गई तो मामला काबिले जिक्र हो गया।  शहर के एक कबाडी नेता जी को बिहार चुनाव में एक सीट का प्रभारी बना दिया गया है। नेताजी ने अपने एक हैण्डल पर पंजा पार्टी से जारी हुई लिस्ट का फोटो जारी किया और बताया कि अब वो बिहार के प्रभारी है। 

मजेदार बात ये है कि वहां बिहार में लालू के लाल ने पंजा पार्टी के पप्पू की बेइज्जती करने में कोई कसर नहीं छोडी। पप्पू से सरेण्डर तक करवा लिया। साझा मंच पर केवल लालू के लाल की तस्वीर लगाई गई,पप्पू का चेहरा नदारद था। पहले पप्पू लालू के लाल को सूबे का मुखिया बनाने का एलान करने को तैयार नहीं थे,लेकिन लालू के लाल ने इतना दबाव डाला कि पप्पू को राजस्थानी बुजुर्ग नेता से ये एलान करवाना पडा। इतना ही नहीं लालू के लाल ने एक छोटी सी पार्टी के मुखिया को सूबे का नम्बर दो बनाने का एलान भी पंजा पार्टी के बुजुर्ग नेता से करवा दिया। लोग पूछ रहे है कि दूसरे नम्बर की पार्टी तो पंजा पार्टी है फिर उसके किसी नेता को नम्बर दो क्यो नहीं बनाया गया? इसकी वजह यही है कि लालू के लाल और दूसरी पार्टियों के नेता बिहार में पंजा पार्टी की कोई हैसियत नहीं समझ रहे। उन्हे लग रहा है कि पंजा पार्टी चुनाव में बुरी तरह निपट जाएगी। 

इसके बावजूद रतलाम के नेता को बिहार की सीट का प्रभारी बनाया जाना रतलाम वालों के लिए तो खुशी की खबर है। रतलाम के नेता बिहार पंहुचेंगे तो इसी बहाने रतलाम का नाम भी वहां पंहुचेगा।