Raag Ratlami New DM : मैडम जी आई तो पिंक हुआ पूरा जिला,दहन से बचकर जिम्मेदारों को शर्मसार कर गया दशानन
-तुषार कोठारी
रतलाम। बीते चुनावों में चुनाव आयोग ने पिंक बूथ बनाने का नवाचार किया था। पिंक बूथ में सारे चुनावी कामकाज नारी शक्ति को सौंपे गए थे। लगता है इसी पहल को देखकर सूबे के जिम्मेदारों ने रतलाम को पिंक जिला बनाने का फैसला कर लिया है। जिला इंतजामिया के बडे साहब को दशहरे से ठीक एक दिन पहले अचानक से रवानगी का परवाना थमा दिया गया। जिला इंतजामिया की जिम्मेदारी अब मैडम जी को सौंप दी गई है।
मैडम जी के जिले में आने के बाद अब पूरा जिला पिंक जिला बन गया है। जिला इंतजामिया में पहले से तीसरे नम्बर तक सारी जिम्मेदारियां नारी शक्ति के हाथों में है। इतना ही नहीं जिले की पंचायत सम्हालने की जिम्मेदारी भी एक मैडम जी के ही पास है। इसके अलावा भी कई सारे सरकारी महकमों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां इन दिनों नारी शक्ति के ही हाथों में हैैं।
पुराने साहब को अचानक रवानगी क्यो दे दी गई,लोग इस सवाल का जवाब भी खोज रहे हैैं। किसी को नहीं पता कि अचानक ऐसा क्या हो गया था कि पुराने साहब को रवाना कर दिया गया,लेकिन इसके साथ यह भी महसूस किया जा रहा है कि नई मैडम जी के आने से इंतजामिया में नई ताजगी का एहसास हो रहा है।
नई मैडम जी ने आते ही जिस तरह के कदम उठाए,उससे यही लगता है कि अब इंतजामिया के कामों में कसावट देखने को मिलेगी। नई मैडम जी ने आते ही सबसे पहले तो अपने सारे मताहतों की मीटींग लेकर उन्हे चुस्त रहकर काम करने का फरमान जारी कर दिया। इसके फौरन बाद में उन्होने शहर के तमाम खबरचियों को बुलाकर उनसे ना सिर्फ मुलाकात की,बल्कि उनके सुझाव भी लिए ताकि जिले को बेहतर बनाया जा सके। सरकारी महकमों और खबरचियों के बीच बेहतर तालमेल को भी उन्होने अच्छे कामों के लिए जरुरी माना।
मैडम जी की शुरुआत देखकर तो यही लगता है कि आने वाले दिन जिले की सेहत के लिए अच्छे साबित होंगे। सरकारी महकमों में फैला भ्रष्टाचार और सुस्ती दूर होगी और सरकारी दफ्तरों में आने वाले फरियादियों के लिए दफ्तर और उनके अफसर मददगार साबित होंगे।
दहन से बचकर जिम्मेदारों को शर्मसार कर गया दशानन
रतलाम में इतिहास में इससे पहले जिम्मेदारों को इतना शर्मसार करने वाली कोई घटना नहीं हुई होगी। हजारों की तादाद में मौजूद महिला पुरुषों और बच्चों के सामने शहर सरकार के जिम्मदारों की मिïट्टी पलीत होती रही। दशानन का दहन देखने दूर दूर से आए हजारों लोग इंतजार करते रहे,लेकिन दशानन ने दहन से ही साफ इंकार कर दिया। यहां तक लम्बे के इंतजार के बाद स्टेडियम में मौजूद हजारों लोगों ने शहर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी कर डाली।
शर्मसार हुए जिम्मेदारों ने अपनी शर्म से बचने के लिए स्टेडियम की बत्ती तक गुल करवा दी,ताकि उनकी नालायकी अंधेरे में छुप जाए। दशानन के दहन के लिए शहर सरकार के जिम्मेदारों के अलावा बडे बडे जन प्रतिनिधि भी मौजूद थे। शहर सरकार की इस हरकत से उनके सिर भी शर्म से झुक गए। बताते है कि इस घटना के बाद बडे नेताओं ने शहर सरकार के जिम्मेदारों को जमकर लताड भी लगाई।
जिस दशानन को बनाने का काम हजारों में हो जाता है,उसके लिए शहर सरकार के जिम्मेदारों ने लाखों रुपए का ठेका दिया था। लाखों रुपए के इस ठेके में से अगर पचास फीसदी रकम भी दशानन पर खर्च कर दी जाती तो उन्हे ये शर्मिन्दगी ना उठाना पडती,लेकिन दशानन के दहन में भी मोटी कमाई का लालच जिम्मदारों की आंखों पर पïट्टी बांध देता है और इसी वजह से किसी जिम्मेदार ने यह देखने की जहमत नहीं उठाई कि दशानन कैसा बनाया जा रहा है।
पिछले सालों में तो दशानन के दहन से पहले आतिशबाजी भी की जाती थी और इस आतिशबाजी को देखने में बच्चों के साथ बडों को भी आनन्द आता था,लेकिन इस बार कमाई के लालच में आतिशबाजी को भी तिलांजली दे दी गई। हांलाकि शर्मिंदगी के इस नायाब वाकये के बाद कुछ नेताओं ने अपमी समिति से इस्तीफे देने की पेशकश भी कर डाली,लेकिन उनके इस्तीफे मंजूर नहीं किए गए।
बडा सवाल ये है कि इतनी बडी शर्मिंदगी उठाने के बावजूद मोटी चमडी वाले जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पडा। एक दिन गुजरते ही वो सारी शर्मिंदगी भूल गए। शर्मिंदगी को दूर करने का तरीका ये निकाला गया कि ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने और उसका भुगतान रोकने का एलान कर दिया गया। इतना ही नहीं ये भी कहा गया कि ठेकेदार को पिछले साल का भुगतान भी नहीं किया गया है। अब ये पूछा जा रहा है कि जिस ठेकेदार का पिछले साल का भुगतान ही रोका हुआ था,उसे इस साल फिर से ठेका क्यो दिया गया? सवाल का जवाब आसान है। ठेकेदार ने पिछली बार से ज्यादा देने की पेशकश कर डाली।
वर्दी वालों की बदइंतजामी
दशानन के दहन में जहां शहर सरकार के कारिन्दों ने शर्मनाक हालात पैदा किए वहीं वर्दी वालों ने भी बदइंतजामी के नए रेकार्ड बनाए। ये तो भला हो भगवान का कि हजारों की भीड होने के बावजूद कोई हादसा नहीं हुआ और सब कुछ शांति से निपट गया।
वर्दी वालों की बदइंतजामी का आलम ये था कि भीड में जबर्दस्त धक्कामुक्की होती रही। दशानन का दहन देखने की सबसे ज्यादा उत्सुकता नन्हे बच्चों में होती है,इसलिए हजारों की तादाद में नन्हे बच्चे अपने माता पिता के साथ स्टेडियम में पंहुचते है,लेकिन बदइंतजामी का आलम ऐसा था कि बडी तादाद में बच्चे और उनके अभिभावक स्टेडियम के भीतर ही नहीं जा पाए। वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था भी अस्त व्यस्त थी। लोगों को काफी दूर अपने वाहन रखकर स्टेडियम तक जाना पडा और जब वे स्टेडियम पंहुचे तो वर्दी वालों ने भीड का हवाला देकर उन्हे बाहर ही रोक दिया।
विशेष लोगों के लिए बनाए गए द्वार की भी स्थिति बेहद विकट थी। जिन्हे आमंत्रण पत्र देकर बुलाया गया था,उन्हे भी वर्दी वालों के दुव्र्यवहार का शिकार बनना पडा। कई महत्वपूर्ण लोग आमंत्रण पत्र दिखाते रहे लेकिन उन्हे भीतर नहीं घुसने दिया गया,जबकि कई सारे वर्दी वाले अपने परिवार वालों को लेकर आसानी से भीतर पंहुच गए।
खबरचियों को भी वर्दी वालों से गालियां खाना पडी। कुछ खबरची वर्दी वालों के व्यवहार की शिकायत करने बडे अफसरों के पास पंहुचे,तो बडे अफसरों ने उन्ही को झिडक दिया। कुल मिलाकर वर्दी वालों ने बदइंतजामी का नया रेकार्ड कायम किया। उपरवाले की मेहरबानी थी कि कोई हादसा नहीं हुआ।