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सिंदूर शक्ति बल और पवित्रता का प्रतीक,सारी दुनिया में चर्चा है आपरेशन सिंदूर की

 ऑपरेशन सिंदूर पर हुई संगोष्ठी में राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने कहा,डॉ रमनसिंह सिकरवार ने की अध्यक्षता 
 
 

रतलाम,24 जून (इ खबर टुडे) । सिंदूर हमारे साथ ऋग्वैदिक काल से रहा है, यह शक्ति बल और पवित्रता से जुड़ा हुआ है। सिंदूर हमारी अस्मिता और शक्ति की साधना का प्रतीक  है। भारत में शक्ति के आराधन में हमारे उपचारों में एक सिंदूर ही होता है इसलिए इस अभियान में वह शक्ति का प्रतीक बनकर उभरा। भारत का प्रतिकार भी भारतीय संस्कृति का संवाहक है।

उक्त विचार मध्यप्रदेश के निर्वाचन आयुक्त और प्रसिद्ध साहित्यकार मनोज कुमार श्रीवास्तव ने पर्यावरण पर राष्ट्रीय हिंदी मासिक पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका द्वारा  'ऑपरेशन सिंदूर : अभिप्रेत और निहितार्थ' विषय पर रविवार को  रोटरी हॉल में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किये। संगोष्ठी की अध्यक्षता मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य डॉ रमनसिंह सिकरवार ने की।

वरिष्ठ प्रशासक मनोज कुमार श्रीवास्तव ने 1 घंटे के अपने धाराप्रवाह व्याख्यान में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सटीकता थी। ऑपरेशन सिंदूर आतंक के विरुद्ध एक सजग राष्ट्र की प्रतिक्रिया के रूप में सारी दुनिया में देखा जा रहा है और इसकी चर्चा हो रही है। लेकिन हमारे देश में कुछ लोग हैं जो हर शक्ति को कमजोरी, हर बल को निर्बलता के रूप में जब तक व्याख्यायित ना करें और हर पवित्रता पर अपने भीतर की गंदगी ना उछालें  तो आधुनिक कैसे कहलाए ?

श्रीयुत श्रीवास्तव ने आश्चर्य व्यक्त  किया कि राजनीति को अपने दिमाग पर आपने इतना कैसे हावी होने दिया कि अपने देश के हित की बात करने को युद्धोन्माद के रूप में बखान करने लगे ?

अध्यक्षता कर रहे डॉ रमनसिंह सिकरवार ने भारतीय सेना के पराक्रम की चर्चा की और कहा कि यह आतंकवाद के विरुद्ध लड़ी जा रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत की इस पहल की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है और भारत की मजबूत और शक्तिशाली देश की छवि बनी है जो हमारे लिए गर्व की बात है।
संगोष्ठी की शुरुआत सिंदूर के पौधे के पूजन से हुई, सभी अतिथियों ने पंडित विजय उपाध्याय के मार्गदर्शन और श्रीमती विनीता ओझा के सहयोग से पूजा विधि संपन्न की। इस नवाचारी प्रयोग को अतिथियों और उपस्थितों ने प्रशंसनीय प्रयास बताया।

प्रारंभ में नगर की संस्थाओं की ओर से अतिथियों का शॉल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया इनमें शिक्षक सांस्कृतिक मंच संगठन, जिला एथलेटिक्स संघ, आंचलिक पत्रकार संघ मध्य प्रदेश और श्रमजीवी पत्रकार संगठन प्रमुख है।

प्रारंभ में पत्रिका के संपादक डॉ खुशालसिंह पुरोहित ने संगोष्ठी के आयोजन और इसके विषय पर संक्षिप्त जानकारी देते हुए पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका के नियमित प्रकाशन की 39 वर्षों की यात्रा के महत्वपूर्ण पडावों के बारे में बताया। डॉ पुरोहित ने हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्षों के इतिहास में रतलाम के योगदान के बारे में चर्चा करते हुए प्रख्यात साहित्यकार गोपाल सिंह नेपाली और देश की प्रथम महिला पत्रकार हेमंत कुमारी चौधरी के योगदान के विषय में उपस्थितों को जानकारी दी।

संगोष्ठी का सफल संचालन प्रसिद्ध रंगकर्मी कैलाश व्यास द्वारा किया गया तथा संगोष्ठी में पधारे अतिथियों को पत्रिका की ओर से डॉ खुशालसिंह पुरोहित एवं नंदलाल मंडलोई ने स्मृति चिन्ह भेंट किये।

संगोष्ठी में बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित हुए इसमें समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, एनसीसी के कैडेट, युवाम और जन अभियान परिषद से जुड़े युवा लोगों के साथ ही शहर के गणमान्य लोग शामिल रहे जिनमें पूर्व विधायक पारस सकलेचा,सतीश पुरोहित,डॉ प्रदीपसिंह राव, रमेश टांक, गोपाल प्रसाद शर्मा 'टंच',दिनेश शर्मा, सुरेन्द्र छाजेड़, अशोक पाटीदार, मोहन मुरलीवाला, अशोक अग्रवाल, कैलाश निनामा, कुसुम चाहर, विनीता जैन, पियूष बाफना, नीलू अग्रवाल, मीनू माथुर, विष्णु पाटीदार, विशाल वर्मा, नीरज शुक्ला, कीर्ति शर्मा,नरेन्द्र सिंह पंवार, लोकेन्द्र सिंह रायपुरिया और तरुण पुरोहित आदि उपस्थित थे। अंत में विपुल पितलिया ने पत्रिका की ओर से सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।