सात लाख का चैक बाउन्स होने पर कोर्ट ने दी एक साल की सजा और चौदह लाख अदा करने का आदेश
रतलाम,19 अगस्त (इ खबरटुडे)। सात लाख का चैक बाउन्स होने पर रतलाम के एक न्यायालय ने अभियुक्त को एक साल के कारावास की सजा के साथ दुगुनी राशि यानी चौदह लाख रु. का भुगतान करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि यदि अभियुक्त द्वारा उक्त राशि का भुगतान नहीं किया जाता,तो उसे एक माह का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा।
प्रकरण में बुद्धेश्वर रोड निवासी परिवादी रमेश चन्द्र पिता केशवलाल सोमानी के अभिभाषक नीरज सक्सेना ने बताया कि उनके पक्षकार ने अपने एक परिचित राजू पिता शोभाराम पांचाल नि. त्रिलोक नगर को 15 मई 2012 को उसकी निजी आवश्यकता होने पर सात लाख रु.उधार दिए थे। उधार की राशि की अदायगी के लिए राजू पांचाल ने पंजाब एण्ड सिंध बैैंक का सात लाख रु.का एक चैक रमेशचन्द्र सोमानी को दिया था।
रमेशचन्द्र सोमानी ने उक्त चैक 04 जून 2013 को भुगतान के लिए बैैंक में प्रस्तुत किया,लेकिन बैैंक ने इस चैक को यह कह कर अनादरित कर दिया कि खाते में पर्याप्त राशि नहीं है। इसके बाद परिवादी रमेशचन्द्र सोमानी ने अपने अभिभाषक नीरज सक्सेना के माध्यम से उक्त राशि की अदायगी के लिए राजू पांचाल को विधिक सूचना पत्र भी प्रेषित किया,लेकिन राजू पांचाल ने सात लाख रु. का भुगतान नहीं किया।
आखिरकार परिवादी श्री सोमानी ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनुपम तिवारी के न्यायालय में अभियुक्त राजू पांचाल के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत किया। परिवाद के विचारण और परिवादी के अभिभाषक नीरज सक्सेना द्वारा प्रस्तुत तर्कों से सहमत होते हुए विद्वान न्यायाधीश ने अभियुक्त राजू पांचाल को धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत दोषसिद्ध करार देते हुए उस पर चौदह लाख रु. का आरोपित किया। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि चैक राशि पर नौ प्रतिशत वार्षिक की साधारण ब्याज दर से ब्याज राशि जोडने पर उक्त राशि चैक राशि के दुगुने से भी अधिक होती है परन्तु अधिनियम के प्रावधानों के तहत चैक राशि से दुगुनी राशि का अर्थदण्ड ही दिया जा सकता है। परिणामस्वरुप अभियुक्त को एक वर्ष के कारावास और चौदह लाख रु.प्रतिकर राशि चुकाने के दण्ड से दण्डित किया। यदि अभियुक्त प्रतिकर राशि का भुगतान नहीं करता तो उसे एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।