भीतर के संघर्ष से ही उपजती थी स्व. भंवरलाल भाटी की रचनाशीलता
रतलाम,13 जुलाई (इ खबर टुडे)। रचनाकार के भीतर का अंतर्द्वंद्व ही उसे अपने परिवेश और प्रकृति से जोड़ता है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियां रचनाकार पर प्रभाव अवश्य डालती हैं मगर उसकी रचनाशीलता भीतर के संघर्ष से ही उपजती है । इसे स्व.भंवरलाल भाटी की रचनाओं में भी देखा जा सकता है । उन्होंने अपनी रचनात्मकता में अपने भीतर के रचनाकार को उजागर किया और प्रगतिशील मूल्यों के प्रति संवेदनशीलता दिखाई, यही कारण है कि उनकी रचनाएं इतने वर्षों बाद आज भी प्रासंगिक प्रतीत हो रही हैं ।
उक्त विचार जनवादी लेखक संघ द्वारा आयोजित ' एक रचनाकार का रचना संसार ' श्रृंखला के अंतर्गत दिवंगत कवि भंवरलाल भाटी पर केन्द्रित आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि व्यक्ति की रचनात्मकता ही उसकी वास्तविक वैचारिकता है।
आयोजन में वरिष्ठ रंगकर्मी कैलाश व्यास ने कहा कि विद्यालय जीवन से भाटीजी के अनुशासन और नाट्य प्रेम से शहर की युवा पीढ़ी परिचित रही ।
जिस तरह एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों को तराशता है वैसे भाटीजी ने अपने दौर के सभी विद्यार्थियों को एक समान व्यवहार प्रदान कर एक सूत्र में बंधने का कार्य किया। वरिष्ठ रंगकर्मी ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा कि भाटीजी अच्छे अभिनेता थे और टेब्लो नाट्य प्रस्तुति में माहिर थे । उनकी कई नाटक प्रस्तुतियां आज भी उस दौर के लोगों को याद है।
वरिष्ठ रंगकर्मी यूसुफ़ जावेदी ने कहा कि भाटीजी उनके शिक्षक तो रहे ही पड़ोसी भी थे । पूरे मोहल्ले में उनके व्यक्तित्व का एहसास होता था । उन्होंने कई विद्यार्थियों के जीवन को सही दिशा प्रदान की । वे सितार वादक भी थे और संगीतप्रेमी भी।
इस अवसर पर स्व.भाटी के भाई राजेंद्र सिंह भाटी एवं उनकी पुत्रीवत कहानीकार वैदेही कोठारी ने भी भाटीजी के जीवन संस्मरण साहित्य सुनाए। जनवादी लेखक संघ अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने कहा कि वे एक कवि के साथ गद्यकार भी थे । रतलाम के इतिहास पर उन्होंने कुलिश नाम से श्रृंखला लिखी जो ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में आज भी याद की जाती है।
संचालन करते हुए युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने कहा कि भाटीजी की रचनाओं पर छायावादी काव्य का प्रभाव नज़र आता है। उन्होंने जीवन के विविध पक्षों पर अपनी रचनाएं लिखीं जो आज भी प्रासंगिक हैं।
इन्होंने किया रचना पाठ
स्व. भाटी की रचनाओं का पाठ विनोद झालानी , जितेंद्र सिंह पथिक , रणजीत सिंह राठौर, आई.एल. पुरोहित , इंदु सिन्हा, वैदेही कोठारी, आशा श्रीवास्तव, डॉ.पूर्णिमा शर्मा, पूजा चोपड़ा , कीर्ति शर्मा सहित उपस्थितजनों ने किया।
इनकी मौजूदगी रही
आयोजन में डॉ.एन. के .शाह , प्रकाश हेमावत , राजेंद्र सिंह भाटी , हेमंत भट्ट , रामचंद्र फुहार , मांगीलाल नगावत, हीरालाल खराड़ी ,चरण सिंह जादव, संजय परसाई 'सरल', नरेंद्र सिंह डोडिया , एस. के.मिश्रा , कला डामोर , सीमा भूरिया सहित सुधिजन मौजूद थे।
अगला आयोजन दानिश अलीगढ़ी पर
' एक रचनाकार का रचना संसार' श्रृंखला की पांचवीं कड़ी में मशहूर शायर रहे दानिश अलीगढ़ी की रचनाओं का पाठ 10 अगस्त को होगा । इससे पहले जलेसं का 27 जुलाई को वरिष्ठ कवि निर्मल शर्मा पर केंद्रित आयोजन भगतसिंह पुस्तकालय शहर सराय, रतलाम पर होगा।