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उम्र सिर्फ एक नंबर,युवाओं से भी कम समय में देश की प्रतिष्ठित अडानी अहमदाबाद मैराथन पूरी की रतलाम के 65 वर्षीय  जूलियस चाको ने
 
 

रतलाम,3 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। बढती उम्र सिर्फ एक अंक है,इसका शारीरिक क्षमता से कोई लेना देना नहीं होता। यह बात साबित की है,रतलाम के  65 वर्षीय मैराथन धावक जूलियस चाको ने। चूलियस चाको ने अहमादाबाद में आयोजित अडानी अहमदाबाद मैराथान 2025 को निर्धारित समय से 45 मिनट पहले पूरा कर फिनिशिंग मैडल प्राप्त किया है। 65  वर्षीय चाको आज भी प्रतिदिन  किमी की दौड लगाते है और वे युवाओं के लिए एक प्रेरणा बने हुए है। 

देश के प्रतिष्ठित उद्योग समूह अडानी ग्रुप द्वारा अहमदाबाद में अडानी अडानी अहमदाबाद मैराथन  किया जाता है जिसमे देश के अलग अलग क्षेत्रो के करीब पच्चीस हज़ार से अधिक प्रतिभागी शामिल होते है। इस वर्ष यह मेराथन "रन फॉर अवर सोल्जर" की थीम पर आयोजित की गई थी। रतलाम के उम्रदराज  
रिटायरर्ड सीटीआई जूलियस चाको ने 65 साल की उम्र मे इस आयोजन में भाग लिया और निर्धारित समय से करीब 45 मिनट पहले इसे पूरा करके फिनिशिंग मैडल प्राप्त किया। 


उल्लेखनीय है कि उक्त मेराथन विभिन्न वर्ग 5 किमी ,10 किमी  21किमी और 42किमी में आयोजित की जाती है। जिसमे ज्यादातर प्रतिभागी  5 किमी और  10 किमी  मे शामिल होते है। लेकिन जूलियस चाको ने मेराथन के 21 किमी वर्ग में हिस्सा लिया और 21 किमी की हाफ मेराथन 2 घंटे 38 मिनिट मे निर्धारित समय से 47 मिनिट पहले पूरी कर फिनिशर मैडल प्राप्त किया। 

 आप को यह जानकर आश्चर्य होगा कि 18 से 30 साल के युवा धावको के लिए भी  21 किमी की दुरी तय करने के लिए निर्धारित समय   2 घंटे 30 मिनिट का है जबकि  65 से अधिक आयु वर्ग के लिए निर्धारित समय 3 घंटे 25 मिनिट है। जूलियस चाको ने 21 किमी की हाफ मेराथन युवाओ के लिए निर्धारित समय में ही पूरी कर ली।  श्री चाको ने बताया कि यह उनका चौथा  21 KM हाफ मैराथन मैडल है और इस साल का तीसरा मैडल है।  इससे पहले वे भोपाल की बंसल टीवी द्वारा आयोजित  पंख मैराथन और दैनिक भास्कर मैराथन इंदौर मे 21 km दौड़ चुके है जिसमे उनका समय 2 घंटे 27 मिनिट और भोपाल पंख मैराथन का समय 2 घंटे 19 मिनिट रहा। 

 जुलियस चाको  एक स्पोर्ट्स लवर परिवार मे पैदा हुए इनके जुड़वाँ भाई जोस चाको मध्य प्रदेश के डिप्टी  डायरेक्ट स्पोर्ट्स थे और इनके बड़े भाई जेम्स चाको  भी बहुत बेहतरीन  फुटबॉल खिलाडी रहे। तीनो भाई कॉलेज और यूनिवर्सिटी की इंदौर और विक्रम यूनिवर्सिटी टीम के शानदार खिलाडी रहे तीनो भाई कॉलेज और यूनिवर्सिटी फुटबॉल टीम के जाने माने खिलाडी रहे और कॉलेज को और विक्रम यूनिवर्सिटी को चैंपियन बनाया।  1981 मे ही जुलियस की कप्तानी मे विक्रम विश्वविद्यालय  की टीम आल इंडिया  यूनिवर्सिटी (वेस्ट जोन ) की चैंपियन बनी थी।  यह एक ऐसा रिकॉर्ड था जो आज तक नहीं टुटा।  आज 45 साल बाद भी विक्रम यूनिवर्सिटी टीम कभी चैम्पियन नहीं बन पाई। ऐसा बहुत कम देखा गया है कि एक ही परिवार के तीन भाई खेलो के मामले में इतने ऊँचे स्तर तक पहुंचे हो।  जोस चाको इतने प्रतिभा के धनी थे कि उन्होंने  क्रिकेट और फुटबॉल दोनों खेलो मे कॉलेज और यूनिवर्सिटी टीम मे कप्तानी की।  
जूलियस चाको बताते है कि  रेलवे मे नौकरी के बाद उन्होंने 24 -25 साल  की उम्र मे खेल छोड़ दिया था जो कि वे अपने जीवन की सब से बड़ी गलती मानते है। लेकिन बाद में जुलियस ने एक पुरानी  कहावत "गलती को कभी भी सुधारा जा सकता है, जब जागो जब सवेरा" की तर्ज पर  एक लम्बे अरसे के बाद फिर 40 साल की उम्र मे खेलो से अपने आप को जोड़ा। 40 की उम्र में जो  जूनन पैदा हुआ वह आज 65 साल की उम्र तक बना हुआ है। उन्होंने दौड़ना  चालू किया शुरू मे 10 राउंड रोज लगाता शुरू किया। पुराने खलीफो ने उन्हें  कहा कि बड़ी उम्र मे मैराथन और 10 किमी  नहीं दौड़ पाओगे क्युकी इसमें  400 मीटर के 25 राउंड और 21 किमी  मे 52 राउंड दौड़ने पड़ते है और आपकी उम्र हो गई और आप पुराने फुटबॉल प्लयेर रहे हो। जूलियस ने  इसे एक चुनौती के रूप मे लिया और अभी तक लगभग  200 बार से ज्यादा बार  21 किमी से अधिक दौड़ चुके है। वे आज भी रोज लगभग  10किमी दौड़ते है और अभी तक 18000 किमी  से ज्यादा दौड़ चुके है। एक विशेष जानकारी देते हुए जूलियस चाको ने बताया कि यदि 21 km हाफ मैराथन के बारे मे पूछा जाये कि  इंडिया मे कितने लोग दौड़ते है  तो गूगल के हिसाब से 150 करोड़ की  जनसंख्या मे केवल 0.00014 प्रतिशत  लोग ही दौड़ पाते है। उन्होंने  बताया कि वे सब को दौड़ के लिए मोटीवेट करते है। शहर के गुजराती स्कूल पोद्दार स्कूल इत्यादि  कई स्कूलों मे  बच्चों को मोटीवेट करने जाते है और सब को खेल और हेल्थ के प्रति जागरूक करते है। उनका अगला लक्ष्य टाटा मेराथन  और कनाडा और  अमेरिका जैसे देशो  मे एक बार मैराथन दौड़ना है।