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लहसुन 2200 और सोयाबीन के दाम भी 2500 रुपए क्विंटल तक गिरे, प्याज 300 रुपए क्विंटल
 

कृषि उपज मंडी इन दिनों किसानों से भरी है। यह भीड़ खुशी की नहीं बल्कि निराशा और गुस्से की है। मंडी परिसर में वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं। ट्रैक्टर और ट्रक उपज से लदे खड़े हैं। मगर किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम नहीं मिल रहा। प्याज, सोयाबीन और लहसुन जैसी प्रमुख फसलों के गिरते भावों ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं।

प्याज के भाव इस हफ्ते 200 से 800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहे। अधिकांश किसानों को औसतन 300 रुपये प्रति क्विंटल ही मिले। सरवनखेड़ा के किसान विवेकसिंह सोलंकी ने बताया हमने प्याज को छह महीने तक घर पर रोककर रखा था कि शायद भाव बढ़ेंगे। आज मंडी में लाकर बेचा तो महज 300 रुपये क्विंटल मिले। इसमें तो लागत भी नहीं निकली, उल्टा हमारी जेब से खर्चा हुआ। लहसुन के दाम 1500 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे लेकिन औसतन 3000 रुपये ही मिल पाए। बरखेड़ा बड़ौद के किसान बालू सिंह ने कहा मेरी लहसुन 2200 रुपये क्विंटल बिकी। कुछ महीने पहले भाव 5000 से ऊपर थे। अब मजबूरी में कम दाम पर बेचना पड़ रहा है। अगली फसल की तैयारी के लिए पैसे चाहिए, नहीं तो खेती करना मुश्किल हो जाएगा।

सोयाबीन के हाल भी बेहाल, मायूस लौट रहे हैं किसान

सोयाबीन किसानों के लिए भी राहत की कोई खबर नहीं। मंडी में भाव 2000 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि किसानों को उम्मीद थी कि कम से कम 4500 रुपये मिलेंगे। माल्या के किसान किशोर सिंह ने कहा सोयाबीन के भाव इतने कम हैं कि पैदावार का खर्च भी नहीं निकलता। ऊपर से उत्पादन भी घटकर एक क्विंटल प्रति बीघा रह गया है।

परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है। किसानों का कहना है कि मौसम की मार, बढ़ती लागत और बाजार की अनिश्चितता ने उनकी कमर तोड़ दी है। मंडी में रोजाना सैकड़ों किसान पहुंचते हैं लेकिन भाव सुनकर मायूस लौट जाते हैं।

कृषि उपज मंडी इन दिनों किसानों से भरी है। यह भीड़ खुशी की नहीं बल्कि निराशा और गुस्से की है। मंडी परिसर में वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं। ट्रैक्टर और ट्रक उपज से लदे खड़े हैं। मगर किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम नहीं मिल रहा। प्याज, सोयाबीन और लहसुन जैसी प्रमुख फसलों के गिरते भावों ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं।

प्याज के भाव इस हफ्ते 200 से 800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहे। अधिकांश किसानों को औसतन 300 रुपये प्रति क्विंटल ही मिले। सरवनखेड़ा के किसान विवेकसिंह सोलंकी ने बताया हमने प्याज को छह महीने तक घर पर रोककर रखा था कि शायद भाव बढ़ेंगे। आज मंडी में लाकर बेचा तो महज 300 रुपये क्विंटल मिले। इसमें तो लागत भी नहीं निकली, उल्टा हमारी जेब से खर्चा हुआ। लहसुन के दाम 1500 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे लेकिन औसतन 3000 रुपये ही मिल पाए। बरखेड़ा बड़ौद के किसान बालू सिंह ने कहा मेरी लहसुन 2200 रुपये क्विंटल बिकी। कुछ महीने पहले भाव 5000 से ऊपर थे। अब मजबूरी में कम दाम पर बेचना पड़ रहा है। अगली फसल की तैयारी के लिए पैसे चाहिए, नहीं तो खेती करना मुश्किल हो जाएगा।

सोयाबीन के हाल भी बेहाल, मायूस लौट रहे हैं किसान

सोयाबीन किसानों के लिए भी राहत की कोई खबर नहीं। मंडी में भाव 2000 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि किसानों को उम्मीद थी कि कम से कम 4500 रुपये मिलेंगे। माल्या के किसान किशोर सिंह ने कहा सोयाबीन के भाव इतने कम हैं कि पैदावार का खर्च भी नहीं निकलता। ऊपर से उत्पादन भी घटकर एक क्विंटल प्रति बीघा रह गया है।

परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है। किसानों का कहना है कि मौसम की मार, बढ़ती लागत और बाजार की अनिश्चितता ने उनकी कमर तोड़ दी है। मंडी में रोजाना सैकड़ों किसान पहुंचते हैं लेकिन भाव सुनकर मायूस लौट जाते हैं।