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Devuthni Mahotsav 2025: रतलाम शहर में 2 दिन मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी विवाह सहित मांगलिक कार्य होंगे शुरू
 

Ratlam News: रतलाम शहर में 2 दिन तक देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। पहले दिन 1 नवंबर शनिवार को स्मार्त परंपरा को मानने वाले लोग और दूसरे दिन रविवार को वैष्णव परंपरा को मानने वाले लोग एकादशी मनाएंगे। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

एकादशी 1 नवंबर की सुबह 9.12 बजे शुरू होकर 2 नवंबर की सुबह 7.32 बजे पूर्ण होगी। वैष्णव परंपरा वाले लोग 2 नवंबर को उदित एकादशी मनाते हुए पूजा-अर्चना व उपवास करेंगे। बता दें कि स्मार्त परंपरा वाले एक साथ 5 मुख्य देवताओं (गणेश, विष्णु, शिव, सूर्य और दुर्गा) की पूजा करते हैं, जबकि वैष्णव परंपरा वाले भगवान विष्णु और उनके अवतारों (जैसे राम और कृष्ण) की भक्ति करते हैं।

चातुर्मास 6 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से शुरू हुआ था जो 2 नवंबर को कार्तिक शुक्ल देवप्रबोधिनी एकादशी पर पूर्ण हो रहा है। इस बीच विवाह, यज्ञोपवीत सहित अन्य आयोजन नहीं होते हैं। 2 नवंबर देवउठनी एकादशी से विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

दिसंबर से जनवरी के बीच नहीं होंगे विवाह

श्रीसिद्ध विजय पंचांग के निर्माणकर्ता डॉ. विष्णु कुमार शास्त्री ने बताया कि 13-14 दिसंबर की मध्य रात से शुक्र तारा अस्त हो रहा है जो 31 जनवरी 2026 तक रहेगा। इसके चलते 14 दिसंबर से 31 जनवरी तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे। साथ ही 15 दिसंबर से 14 जनवरी 2026 तक मलमास (धनुर्मास) रहेगा। हर साल मलमास खत्म होने के बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं लेकिन इस बार शुक्र तारा अस्त होने कारण मांगलिक कार्य नहीं होंगे। साथ ही 14-15 मार्च 2026 से 14 अप्रैल 2026 तक मीन संक्रांति (अन्य मलमास) यानी मीन राशि में सूर्य रहेंगे, जिससे विवाह आदि मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे।

जून माह में 7 विवाह मुहूर्त

देवउठनी एकादशी के बाद 16, 22, 23, 25 और 30 नवंबर में विवाह के मुहूर्त हैं। दिसंबर में मात्र एक विवाह मूहूर्त आ रहा है। इसके बाद फरवरी में 4, 5, 10, 20, मार्च में 9, 11, 12, 14, अप्रैल में 20, 21, 26, मई में 5, 6, 7, 8, 14, जून में 19, 20, 22, 23, 26, 27, 29 और जुलाई में 1, 6, 7, 11 को विवाह के मुहूर्त हैं। नवंबर में 21, 25, 26 तथा दिसंबर में 2, 3, 11 और 12 को विवाह के मुहूर्त हैं।

खग्रास चंद्रग्रहण 3 मार्च को

3 मार्च 2026 को खग्रास चंद्रग्रहण होगा, यह पूरे भारत में दिखाई देगा। ग्रहण के एक दिन पहले 2 मार्च से और ग्रहण समाप्ति के बाद 3 दिन बाद यानी 6 मार्च तक ग्रहण का शूल रहेगा। इन 5 दिनों में विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। महर्षि संजय शिवशंकर दवे ने बताया कि 23 जनवरी को बसंत पंचमी पर शुक्र अस्त होने के कारण विवाह मुहूर्त नहीं हैं। अतिआवश्यक स्थिति में बसंत पंचमी पर प्रौढ़ वर-कन्या का विधिवत चतुर्गुण शुक्र पूजन, जप, हवन, दान के बाद विवाह संपादित किया जा सकता हैं। शास्त्रों के अनुसार गुरु अथवा शुक्र दोनों में से एक उदय व अस्त होने पर अस्त ग्रह की विधिवत रूप से चतुर्गुण पूजन, शांति, जाप, दान, हवन करवाने के बाद विवाह संपादित किया जा सकता हैं।