अवैध बोधि स्कूल का आवंटन निरस्त करने का मामला,भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया ने दिया जवाब,जल्दी ही होगी कार्यवाही
रतलाम,6 मई (इ खबरटुडे)। शहर के कुख्यात भू माफिया राजेन्द्र पितलिया द्वारा डोंगरे नगर में घोटाला करके हासिल की गई बोधि स्कूल की जमीन का आवंटन निरस्त होने की कार्यवाही जल्दी ही पूरी होगी। नगर निगम द्वारा भू माफिया पितलिया को इस सम्बन्ध में जारी किए गए नोटिस का जवाब पितलिया द्वारा दे दिया गया है। नगर निगम प्रशासन पितलिया के इस उत्तर का परीक्षण कर रहा है और इसके बाद जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बोधि स्कूल की महंगी जमीन को कौडियों के भाव पर अवैध रुप से राजेन्द्र पितलिया की एक फर्जी संस्था न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल को आंवटित कर दी गई थी। इस मामले की शिकायत समाजसेवी राजेश सक्सेना द्वारा आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो को की गई थी और इओडब्ल्यू की जांच में घोटाले के तमाम साक्ष्य सामने आने के बाद इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।
घोटाले के प्रमाण सामने आने के बाद नगर निगम पर इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा था कि नगर निगम द्वारा बोधि स्कूल को दी गई जमीन का आवंटन निरस्त किया जाना चाहिए। समाजसेवी राजेश सक्सेना और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष शांतिलाल वर्मा द्वारा इस मामले को उठाए जाने के बाद नगर निगम ने विगत 9 अप्रैल को राजेन्द्र पितलिया को जमीन का आवंटन निरस्त करने हेतु नोटिस जारी किया था।
नोटिस के जवाब में गलत तथ्यों का उपयोग
भू माफिया राजेन्द्र पितलिया द्वारा नगर निगम के नोटिस का जवाब दे दिया गया है। राजेन्द्र पितलिया की पूरी कोशिश नगर निगम की इस कार्यवाही को रुकवाने की है। इसी के चलते श्री पितलिया द्वारा अपने उत्तर में गलत तथ्यों का उपयोग कर मामले को उलझाने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक श्री पितलिया ने अपने जवाब में इस मामले मेें हाईकोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने का हवाला दिया गया है। इ खबर टुडे ने जब इस मामले की जांच की तो पता चला कि हाईकोर्ट द्वारा इस तरह का कोई स्थगनादेश नहीं दिया गया है।
हाईकोर्ट का स्टे,जिला न्यायालय की प्रोसिडिंग रोकने के लिए
अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक राजेन्द्र पितलिया द्वारा अपने उत्तर में जिस स्टे आर्डर का उल्लेख किया गया है,वह समाजसेवी राजेश सक्सेना द्वारा जिला न्यायालय में लगाए गए एक वाद में दिए गए एक अंतरिम आदेश के सम्बन्ध में है।
वास्तव में समाजसेवी राजेश सक्सेना ने वर्ष 2013 में जिला न्यायालय के तृतीय अपर न्यायाधीश एन के गोधा के न्यायालय में नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा 307(5) के अन्तर्गत एक वाद प्रस्तुत कर बोधि स्कूल परिसर में किए जा रहे अवैध निर्माण को रोकने के सम्बन्ध में लगाया था। इस वाद के प्रारंभिक स्तर पर ही भू माफिया राजेन्द्र पितलिया ने वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के अन्तर्गत आवेदन देकर वाद को निरस्त करने की प्रार्थना की थी। विद्वान तृतीय अपर न्यायाधीश श्री गोधा ने 13 दिसम्बर 2013 को पारित अपने आदेश में राजेन्द्र पितलिया द्वारा वाद को निरस्त करने के लिए सीपीसी आदेश 7 नियम 11 के आवेदन को निरस्त कर दिया और वाद को प्रचलन योग्य मानते हुए आगे सुनवाई करने का आदेश दिया था।
तृतीय अपर न्यायाधीश एनके गोधा द्वारा पारित इसी आदेश को राजेन्द्र पितलिया द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इन्दौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने राजेन्द्र पितलिया कइस याचिका को स्वीकार करते हुए 13 अगस्त 2014 को पारित अपने आदेश में तृतीय अपर न्यायाधीश एनके गोधा द्वारा पारित आदेश पर कोई अंतिम निर्णय नहीं देते हुए तृतीय अपर न्यायधीश एनके गोधा के न्यायालय में प्रचलित प्रकरण की प्रोसिडींग पर अगली सुनवाई तर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट का स्टे आर्डर नगर निगम के लिए नहीं
माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 13 अगस्त 2014 को दिया गया स्थगन तकनीकी रुप का होकर केवल अधीनस्थ न्यायालय में प्रचलित सिविल वाद की प्रोसिडिंग को अगली सुनवाई तक रोकने के लिए था,ना कि नगर निगम की किसी कार्यवाही पर कोई स्थगन दिया गया था। नगर निगम द्वारा दिया गया जमीन आवंटन निरस्त करने का नोटिस पूरी तरह से अलग कार्यवाही है और इसका कोई सम्बन्ध हाईकोर्ट के स्थगनादेश से नहीं है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट का उक्त आदेश माननीय तृतीय अपर जिला न्यायाधीश के लिए था,ना कि नगर निगम के लिए।
ऐसी स्थिति में राजेन्द्र पितलिया द्वारा नगर निगम के नोटिस के उत्तर में हाईकोर्ट के इस स्थगनादेश का उल्लेख करना पूरी तरह असंगत है और इसका कोई प्रभाव नगर निगम की कार्यवाही पर नहीं पड सकता। हांलाकि नगर निगम के अधिकारी,इन्दौर उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख सामने आने पर राजेन्द्र पितलिया के उत्तर का परीक्षण इन्दौर उच्च न्यायालय के अभिभाषक से करवाने की योजना बना रहे है। अभिभाषक द्वारा परीक्षण किए जाने के बाद ही इस मामले में जमीन का आवंटन निरस्त कराने की कार्यवाही की जाएगी।
नगर निगम आयुक्त हिमांशु भïट्ट ने इ खबरटुडे से चर्चा करते हुए बताया कि राजेन्द्र पितलिया को जारी किए गए नोटिस का उत्तर प्राप्त हो चुका है। इस उत्तर का परीक्षण इन्दौर उच्च न्यायालय में नगर निगम के अभिभाषक से करवाया जाएगा। उन्होने कहा कि अभिभाषक की विधिक राय मिलने के बाद आगामी कार्यवाही की जाएगी।