रतलाम,09 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। बहुमूल्य धातुएं सोना और चांदी के भावों में इन दिनों तूफानी तेजी देखने को मिल रही है। दोनो ही मूल्यवान धातुओं के भाव रेकार्ड स्तर पर बढते जा रहे है। आसमान छूते भावों के बीच इनके विक्रेताओं द्वारा ग्र्राहकों को जमकर चूना भी लगाया जा रहा है। किसी जमाने में अपनी शुद्धता के लिए देश भर में विख्यात रतलाम के सर्राफा बाजार में कई विक्रेता ग्राहकों को हल्के स्तर का सोना चांदी बेच कर जमकर चांदी काट रहे हैैं। सोने के गहनों में जहां 4 बाय 4 की सील लगाकर ज्यादा मिलावट वाला सोना बेचा रहा है वहीं चांदी के व्यापारी तो मात्र पचास से साठ प्रतिशत शुद्धता की चांदी बेचकर दुगुना मुनाफा कमा रहे हैैं।
ना बिल ना गारंटी
सोने चांदी के व्यवसाय में विक्रेताओं को सबसे बडा लाभ बिना बिल के माल बेचने की वजह से होता है। रतलाम सर्राफा बाजार की ख्याति के चलते आभूषण विक्रेता अपने आभूषणों पर 4 बाय 4 की सील लगाकर देते है और ग्राहकों बिना किसी शंका के यह मान लेता है कि उसके द्वारा खरीदा गया सोना पूरी तरह शुद्ध है। जबकि वास्तविकता इससे अलग होती है।
विक्रेता जानता है कि उसके द्वारा यदि सौ लोगों को सोने के गहने बेचे जा रहे हैैं,इनमें से मात्र दो या चार लोग ऐसे होते है जो अपने गहने फिर से बेच देते है। भारतीय परिवारों में रकम बेचने को अच्छा नहीं माना जाता। परिवार पर बहुत भारी आर्थिक संकट आने पर ही रकम बेची जाती है। चूंकि अधिकांश रकमें बिना बिल के खरीदी गई होती है,इसलिए इन्हे सिर्फ वही दुकानदार वापस लेता है,जिसने उसे बेचा है। किसी अन्य दुकान पर वह आभूषण नहीं खरीदा जाता। जिसने आभूषण बेचा है, वह बिना किसी हुज्जत के अपना आभूषण वापस खरीद लेता है और ग्र्राहक को पूरी रकम भी लौटा देता है। इसलिए रतलाम की यह प्रतिष्ठा बरकरार रहती है कि सोना पूरी शुद्धता का है।
लेकिन सर्राफा व्यवसाय को जानने वाले सूत्रों का कहना है कि कई दुकानदार 80 और 82 प्रतिशत की शुद्धता वाला सोना 92 प्रतिशत शुद्धता का बता कर बेच रहे है। वे जानते है कि उनके द्वारा बेचे गए कम शुद्धता के सोने की शुद्धता का परीक्षण ग्राहकों द्वारा नहीं करवाया जाएगा और जब कभी कोई ग्र्राहक अपने आभूषण वापस बेचने आएगा तो वे बडे आराम से उसकी पूरी राशि लौटा देंगे। इस तरह कई स्वर्ण व्यवसायी खरे सोने के नाम पर कम शुद्धता का सोना बेच कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैैं,साथ ही टेक्स भी बचा रहे है।
यही कारण है कि अधिकांश दुकानदार बिना बिल और बिना शुद्धता प्रमाणपत्र के साथ सोना बेचते है। यदि कोई ग्र्राहक बिल मांग लेता है,तो वे टैक्स की राशि जोडने का डर दिखा देते है। शहर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों पर भी इस तरह की हेराफेरी की जा रही है।
चांदी की चोरी और बडी
सोने में जहां कम शुद्धता की हेराफेरी की जा रही है,वहीं चांदी के आभूषणों में यह चोरी और बडी हो रही है। चांदी के आभूषणों को सर्वाधिक उपयोग आदिवासी समुदाय द्वारा किया जाता है। आसपास के कई जिलों के आदिवासी चांदी के गहने खरीदने के लिए रतलाम आते है। चांदी आभूषणों के व्यवसाय को करीब से जानने वालों का दावा है कि कई दुकानदार तो मात्र पचास और साठ प्रतिशत शुद्धता वाली चांदी को सौ प्रतिशत शुध्दता की चांदी बताकर बेच रहे है।
आदिवासी समाज के भोले भाले लोग केवल दुकानदार द्वारा आभूषण के साथ दी जाने वाली पर्ची पर ही भरोसा कर लेते है। लेकिन जब कभी वे अपने आभूषण बेचने के लिए बाजार में आते है,तब उन्हे पता लगता है कि उनके द्वारा खरीदी गई चांदी की शुद्धता मात्र पचास या साठ प्रतिशत की है। रकम बेचने पर उन्हे उतनी ही राशि वापस मिलती है,जितनी उसकी शुद्धता होती है।
चूंकि चांदी में सोने की तरह 4 बाय 4 की सील भी नहीं लगाई जाती,इसलिए दुकानदार के लिए कोई बन्धन भी नही होता। वह अपने द्वारा बेचे गए चांदी के आभूषण वापस लेने के लिए बाध्य नहीं होता। यदि ग्र्राहक कम शुद्धता के लिए कोई विवाद करता है,तो दुकानदार इस बात से साफ इंकार ही कर देता है कि गहने उसके द्वारा बेचे गए थे। चूंकि बिल नहीं होता इसलिए दुकानदार को साफ इंकार करने में कोई दिक्कत भी नहीं होती।
कई नामचीन प्रतिष्ठान भी चोरी में लिप्त
चांदी और सोने की शुद्धता की हेराफेरी में शहर के कई नामचीन प्रतिष्ठान भी लिप्त है। रतलाम के शोरुम से कारपोरेट कंपनी बन चुकी फर्म पर तो नकली आईएसआइ मार्क लगाने का मामला तक बन चुका है। कारपोरेट कंपनी बनने के बावजूद भी रतलाम की इस कंपनी द्वारा सोने के गहनों के बिल नहीं दिए जाते और ना ही शुद्धता का कोई प्रमाणपत्र दिया जाता है। चांदी के भी कई प्रतिष्ठित व्यवसायी बेहिचक कम शुद्धता की चांदी बेच रहे है।
बिल और प्रमाणपत्र हो अनिवार्य
सोने और चांदी के व्यवसाय में ग्राहकों के साथ हो रही इस धोखाधडी को रोकने का एकमात्र उपाय यह है कि सोने और चांदी के आभूषणों की बिक्री पर बिल और शुद्धता का प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया जाए। यदि कोई व्यवसायी बिना बिल के व्यवसाय करता हुआ पाया जाए तो उसके विरुद्ध कडी कार्यवाही की जाए,तभी ग्र्राहकों को धोखाधडी से बचाया जा सकता है।