कैसे शुरू हुई थी कावड़ यात्रा? जानिए इसका इतिहास और महत्व
Jul 6, 2025, 18:51 IST
Kawad Yatra 2025: सावन के महीने की शुरुआत होते ही भक्त केसरिया रंग में रंग जाते हैं। यह पावन महीना भगवान शिव को समर्पित है। सावन के महीने में शिव भक्त भगवान शिव की पूजन करते हैं। इस महीने में कावड़ यात्रा भी की जाती है। भक्ति गंगाजल से भारी कावड़ लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए लंबी यात्रा तय करते हैं। तो यह जानते हैं कैसे शुरू हुई थी कावड़ यात्रा...
कैसे शुरू हुई थी कावड़ यात्रा?
कावड़ यात्रा को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं सुनने को मिलती है। एक मान्यता के अनुसार सबसे पहले भगवान परशुराम ने कावड़ यात्रा की थी। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के पास स्थित पुरा महादेव मंदिर में जड़ चढ़ाने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल आए थे। इसके बाद कावड़ यात्रा की परंपरा शुरू हो गई।
कुछ विद्वानों की माने तो त्रेता युग में श्रवण कुमार ने सबसे पहले कावड़ यात्रा की थी। उन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्हें कावड़ में बिठाकर हरिद्वार लाया और गंगा स्नान कराया। लौटते समय वह अपने साथ गंगाजल ले गए थे जिसके बाद यहां परंपरा शुरू हो गई।
भगवान राम और बाबा धाम की यात्रा
एक और मान्यता है कि भगवान श्री राम ने सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर देवघर स्थित बाबा बैजनाथ के धाम जाकर शिवलिंग पर जल अभिषेक किया था। इसके बाद कावड़ यात्रा शुरू हो गई।
कावड़ यात्रा के दौरान इन बातों का रखैल
अगर आपको भी कावड़ यात्रा करनी है तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा। आपकी छोटी सी गलती से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं और आपके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट सकता है.
- सात्विक भोजन का करें सेवन : कावड़ यात्रा के दौरान आपको सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। इस दौरान आपको मांस मदिरा से दूर रहना चाहिए।
- शराब से रहे दूर: कावड़ यात्रा के दौरान आपको भूलकर भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए वरना भगवान नाराज हो जाएंगे।
- शुद्धता का रखें ध्यान : कावड़ यात्रा के दौरान आपको शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।