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 सालासर बालाजी में अवधेशानंद गिरि जी महाराज की राम कथा का सफल आयोजन 

 
 

चूरू(राजस्थान),27  दिसम्बर (इ खबर टुडे)।   सालासर बालाजी (चूरू, राजस्थान) में  प्रभु  प्रेमी संघ  द्वारा 19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2025 तक आयोजित  पूज्य श्री अवधेशानंद गिरि जी महाराज की  श्री राम कथा बहुत दिव्य और भक्तिमय रही। यह कथा रामायण की प्रमुख लीलाओं पर केंद्रित थी, जिसमें महाराज जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से भक्तों को राम भक्ति का अमृत पान कराया।

कुछ मुख्य और प्रेरणादायक बिंदु इस प्रकार हैं:

- **राम नाम की महिमा**: महाराज जी ने बताया कि राम नाम ही जीवन का सबसे बड़ा सहारा है। यह नाम संसार के सभी दुखों को हरता है और भक्त को परम शांति प्रदान करता है।
- **मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का आदर्श जीवन**: राम जी के त्याग, धैर्य, मर्यादा और परिवार के प्रति समर्पण पर विशेष जोर दिया गया। वनवास, सीता हरण और रावण वध जैसे प्रसंगों से जीवन में संकटों का सामना कैसे करें, यह सिखाया।
- **हनुमान जी की भक्ति**: सालासर बालाजी होने के कारण हनुमान जी की राम भक्ति पर गहन चर्चा हुई। हनुमान जी को राम का सबसे बड़ा भक्त बताते हुए कहा कि सच्ची भक्ति में अहंकार का त्याग और पूर्ण समर्पण होता है।
- **भरत जी का चरित्र**: भरत जी की माता के प्रति आज्ञा और राम के प्रति प्रेम की मिसाल दी गई, जो आदर्श भाईचारे का प्रतीक है।
- **शबरी और केवट की भक्ति**: निषादराज केवट और शबरी जैसे साधारण भक्तों की राम के प्रति निश्छल भक्ति से सीख दी कि भगवान जाति-धर्म नहीं, केवल श्रद्धा देखते हैं।
- **सीता जी का पतिव्रत धर्म**: सीता माता के त्याग और पवित्रता पर प्रकाश डाला, जो महिलाओं के लिए आदर्श है।
- **जीवन में सत्संग और कथा की आवश्यकता**: महाराज जी ने जोर देकर कहा कि राम कथा सुनना जीवन को दिव्य बनाता है, मन को शुद्ध करता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

 इस दिव्य आयोजन की जजमान श्रीमती सीमा प्रभु रतलाम का विशेष उल्लेख अत्यंत आवश्यक है। उनके पुण्य संकल्प, अपार श्रद्धा और समर्पण से ही यह भव्य श्री राम कथा संपन्न हो सकी। श्रीमती सीमा प्रभु ने इस पावन कार्य के लिए अपने *सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) का संपूर्ण फंड* *भगवान श्रीराम की कथा में समर्पित कर दिया, जो त्याग, भक्ति और सेवा भाव का अद्वितीय उदाहरण है। उनका यह कार्य रतलाम नगर के लिए अत्यंत गौरव की बात है, जिससे समस्त रतलामवासियों को गर्व और आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई। ऐसे यजमान समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए सदा प्रेरणास्रोत रहेंगे।