जयपुर सहित देशभर के 400 से अधिक बड़े स्टेशनों पर पुनर्विकास योजना के तहत निर्माण कार्य चल रहे हैं। ऐसे में इन स्टेशनों से चलने वाली ट्रेनों को आसपास के उपनगरीय स्टेशनों पर शिफ्ट किया जा रहा है। इसी के तहत रेलवे ने दिवाली और छठ पूजा को देखते हुए खडकी-सांगानेर-खडकी वीकली सुपरफास्ट स्पेशल का संचालन किया जा रहा है।
रेलवे के सीपीआरओ शशि किरण ने बताया कि ट्रेन नंबर 01407 खडकी-सांगानेर 18 अक्टूबर से 8 नवंबर तक (7 ट्रिप) खडकी (पुणे) से हर सोमवार व शनिवार को सुबह 9:45 बजे रवाना होकर अगले दिन सुबह 6:45 बजे सांगानेर (जयपुर) पहुंचेगी। ट्रेन नंबर 01408 सांगानेर-खडकी 19 अक्टूबर से 9 नवंबर तक (7) ट्रिप) सांगानेर से प्रत्येक मंगलवार व रविवार को सुबह 11:35 बजे रवाना होकर अगले दिन सुबह 9:30 बजे खडकी पहुंचेगी।
ट्रेन रास्ते में लोनावला, कल्याण, भिवंडी रोड, वसई रोड, पालघर, वापी, वलसाड़, सूरत, अंकलेश्वर, वडोदरा, रतलाम, नागदा, भवानी मंडी, कोटा, सवाईमाधोपुर स्टेशन पर रुकेगी। ट्रेन में 4 थर्ड एसी, 6 स्लीपर, 6 जनरल कोच होंगे। लेकिन लोगों को यह पता ही नहीं है कि खडकी पुणे में है। हालांकि अभी ट्रेन में टिकट बुकिंग शुरू नहीं हुई है।
ट्रेन ऑपरेशन एक्सपर्ट रजनीश शर्मा बताते हैं कि रेलवे के पास बड़े स्टेशनों पर ब्लॉक से कई बार प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं होते हैं। इस कारण रेगुलर ट्रेनों को या तो शॉर्ट टर्मिनेट कर दिया जाता है। या फिर उनके प्लेटफॉर्म में बदलाव कर दिया जाता है। ऐसे में यात्रियों को परेशानी का सामान करना पड़ता है।
लोगों की इस परेशानी को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने पिछले दिनों उप रेलवे सहित सभी जोनल रेलवेज को नई ट्रेनों को आसपास के स्टेशनों से चलाने की योजना बनाने के लिए कहा। इसके बाद जोनल रेलवेज स्पेशल ट्रेनों को आसपास के स्टेशनों से चलाने लगा, लेकिन जोनल रेलवे लोकल स्तर पर जब ट्रेनों को नोटिफाई/फायरिंग करता है, तो उनके साथ पास के बड़े स्टेशन का नाम नहीं जोड़ता।
रिजर्वेशन एक्सपर्ट नीरज चतुर्वेदी बताते हैं कि बड़े स्टेशन का नाम तकनीकी रूप से सिस्टम में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके लिए क्रिस को सॉफ्टवेयर में बड़ा बदलाव करना पड़ता है, लेकिन रेलवे पब्लिक नोटिफिकेशन में छोटे स्टेशन के साथ पास के बड़े स्टेशन का नाम दे सकता है, ताकि यात्रियों को पता लग जाए कि ट्रेन कहां जाएगी। इससे पहले जयपुर से तिरुपति बालाजी जाने वाली स्पेशल ट्रेन को रेनिगुंटा के नाम से चलाया गया था, तब भी ऐसी परेशानी आई थी।