हुर्रियत ने बैरंग लौटाया, आज जम्मू जाएगा ऑल पार्टी डेलिगेशन, पंडितों से होगी चर्चा
श्रीनगर 05 सितम्बर (इ खबरटुडे)। जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने कोशिशों को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे से भी धक्का लगा है। अलगाववादियों ने कड़ा रुख अपनाते हुए विपक्ष के पांच सांसदों के उनसे बातचीत के प्रयास को अस्वीकार कर दिया
जबकि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और मुख्यधारा के कुछ अन्य नेताओं के साथ चर्चा करके कश्मीर घाटी में 56 दिन से जारी अशांति को समाप्त करने के बारे में विचार विमर्श किया। सोमवार को प्रतिनिधिमंडल जम्मू जाएगा और कश्मीरी पंडितों और कारोबारियों से हालात पर चर्चा करेगी।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि अपने दौरे के पहले दिन प्रतिनिधिमंडल ने समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित करीब 30 समूहों में आये करीब 200 सदस्यों से मुलाकात की तथा जम्मू कश्मीर के वर्तमान हालात को लेकर आम समाधान तक पहुंचने के लिए उनका दृष्टिकोण सुना। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य धारा के वर्गों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल के पांच सदस्यों का एक समूह उससे अलग होकर अलगाववादियों से मिलने गया।
चार सांसद, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, जदयू नेता शरद यादव और आरजेडी के जयप्रकाश नारायण समूह से अलग हुए और गिलानी से मिलने के लिए उनके आवास पर गए जहां वह पिछले 60 दिनों से नजरबंद हैं। वहीं, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी हुर्रियत कान्फ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फाररूक से चश्मा शाही उप जेल में अलग से मिलने के लिए गए जहां उन्हें बंद रखा गया है।
गिलानी के आवास के गेट सांसदों के लिए खोले तक नहीं गए जबकि बाहर लोगों ने नारेबाजी की। गिलानी ने उन्हें खिड़की से देखा लेकिन सांसदों से मिलने से इनकार कर दिया। यादव ने कहा, ‘हमारा यह प्रयास यह दिखाने के लिए है कि हम किसी से भी बातचीत के लिए तैयार हैं, चाहे वे मिलने के लिए तैयार हों या नहीं।’ समूह जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक से भी मुलाकात करने के लिए गया जो हुमामा में बीएसएफ शिविर में हिरासत में है। मलिक ने सांसदों से कहा कि दिल्ली आने पर वह उनसे बातचीत करेंगे।