September 29, 2024

स्विमिंग पुल-नगर निगम की खुली लूट,आम लोगों के बच्चे सुविधा से वंचित

रतलाम,10 अप्रैल (इ खबरटुडे)। तैराकी सर्वश्रेष्ठ व्यायाम है इसलिए प्रदेश के तमाम शहरों में नाममात्र के शुल्क पर स्विमिंग पुल की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। पूरे प्रदेश में एकमात्र रतलाम नगर निगम ऐसा है जिसने स्विमिंग पुल को खुली लूट का जरिया बना रखा है। शहर में चिकित्सक महापौर होने के बावजूद नागरिकों को स्विमिंगपुल की सुविधा से वंचित रखा जा रहा है। स्विमिंगपुल का शुल्क इतना बढा दिया गया है कि आम आदमी इसका उपयोग ही नहीं कर सकता। चिकित्सक महापौर को बच्चो और नागरिकों  की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। रतलाम में तरणताल का शुल्क मन्दसौर,उज्जैन,इन्दौर और भोपाल जैसे शहरों से दस गुना अधिक कर दिया गया है।
रतलाम में तरणताल की मांग कई बरसों तक की जाती रही थी। जनता की मांग पर आखिरकार राज्यशासन ने स्विमिंगपुल के लिए राशि देकर 2013 में इसका निर्माण करवाया। हांलाकि रतलाम में बनाया गया स्विमिंगपुल किसी तैराकी स्पर्धा के मानदण्डों के अनुरुप नहीं है। यहां केवल तैराकी की जा सकती है। डाइविंग इत्यादि की सुविधा यहां नहीं है। हांलाकि इस स्विमिंग पुल में सोना बाथ,स्टीम बाथ इत्यादि की सुविधाएं देने की व्यवस्था भी रखी गई है,लेकिन नाकारा नगर निगम,तरणताल के निर्माण के 4 वर्ष गुजर जाने के बावजूद नागरिकों को यह सुविधा नहीं दे पाया है।

अन्य शहरों की तुलना में रतलाम में खुली लूट

प्रारंभ में तरण ताल का प्रवेश शुल्क वयस्कों के लिए बीस रु.और बच्चों के लिए दस रु.रखा गया था। लेकिन अब नगर निगम ने इसे बढाकर सीधे साठ रु. कर दिया है। यदि दो बच्चों वाला एक परिवार नियमित स्विमिंग पुल जाने की योजना बनाए तो उसे प्रतिमाह  साढे छ: हजार रु. से अधिक केवल तैराकी के लिए देने होंगे। इसके विपरित रतलाम के आसपास के शहरों में देखें तो नगर निगम नगर पालिकाओं द्वारा संचालित तरणताल के शुल्क बेहद कम है। सबसे नजदीक के शहर मन्दसौर में स्विमिंगपुल का संचालन नगर पालिका द्वारा किया जाता है। मन्दसौर नगर पालिका का बजट रतलाम नगर निगम से काफी कम है। इसके बावजूद मन्दसौर नगर पालिका ने अन्तर्राष्ट्रिय मानकों का स्विमिंग पुल बनवाया है। प्रवेश शुल्क को देखें तो मन्दसौर के अन्तर्राष्ट्रिय स्तर के इस स्विमिंगपुल में प्रवेश शुल्क मात्र ग्यारह रु. प्रतिदिन है।  जबकि मासिक शुल्क मात्र 230 रु. है। मजेदार तथ्य यह है कि मन्दसौर के स्विमिंग पुल के रखरखाव का खर्च रतलाम से चार गुना अधिक है। इन्दौर के तरणतालों को देखें तो यहां दो तरणताल संचालित होते है। इन्दौर नगर निगम द्वारा संचालित इन तरण तालों ता शुल्क प्रतिदिन बीस रु. है। जबकि तीन माह के लिए बारह सौ.रु.शुल्क है। इन्दौर शहर में कई निजी स्विमिंग पुल भी है,जहां हजार-बारह सौ रु. प्रतिमाह का शुल्क है। इसी तरह उज्जैन में नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे स्विमिंग पुल में भी बच्चों के लिए मासिक शुल्क मात्र 20 रु. है यानी कि एक दिन का शुल्क एक रुपए से भी कम है। बच्चों के लिए तीन माह का शुल्क मात्र पचास रु. है,जबकि वयस्कों के लिए मासिक शुल्क मात्र दो सौ रुपए और त्रैमासिक शुल्क मात्र पांच सौ रु. है। इस तरह एक दिन का शुल्क दस रु. से भी कम है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में नगर निगम द्वारा संचालित प्रकाश तरण पुष्कर में वार्षिक सदस्यता का प्रावधान है और यहां शुल्क प्रतिदिन सौलह रु. का लगता है।

नहीं हो सका ठेका

नगर निगम के नाकारापन की स्थिति यह है कि खुद नगर निगम तरणताल को संचालित करने में अक्षम साबित हो रहा है और संचालन का ठेका कोई लेने को राजी नहीं है। निगम सूत्रों के मुताबिक नगर निगम द्वारा ठेके की जो शर्तें रखी गई थी,वे इतनी अव्यवहारिक थी,कि कोई ठेकेदार ठेका लेने को राजी ही नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार नगर निगम ने ठेके की न्यूनतम दर चौबीस लाख रु.वार्षिक रखी थी। आमतौर पर स्विमिंगपुल गर्मियों की छुट्टियों में ही चलता है। बरसात और ठण्ड के दिनों में स्विमिंग पुल नहीं चलता। इस तरह मात्र तीन महीने के व्यवसाय के लिए कोई ठेकेदार चौबीस लाख रु. नगर निगम को कैसे दे सकता है? नतीजा यह हुआ कि किसी ने भी स्विमिंगपुल का ठेका लेने में रुचि नहीं दिखाई।

पूरी क्षमता का उपयोग भी नहीं

उच्च शिक्षित महापौर होने के बावजूद नगर निगम का संचालन मूर्खतापूर्ण तरीकों से किया जा रहा है। तरणताल की क्षमता एक बार में अस्सी व्यक्तियों की है,लेकिन एक दुर्घटना हो जाने के कारण घबराये निगम अधिकारियों ने एक समय में मात्र तीस व्यक्तियों का नियम बना दिया है। परिणाम यह है कि शहर में दूर दराज से तैराकी के लिए आए छोटे छोटे बच्चों को निराश होकर लौटना पडता है। स्विमिंग पुल बने को करीब चार साल हो गए,अब तक मासिक या वार्षिक सदस्यता की व्यवस्था भी नहीं की गई है। यदि कोई तैराकी स्पर्धाओं के लिए अभ्यास करने का इच्छुक है,तो रतलाम में ऐसा संभव नहीं है। कोई सामान्य बच्चा अपने खेल पर अठारह सौ रु.मासिक कैसे खर्च कर सकता है।

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