सैलाना विधायक गेहलोत ने विधानसभा में उठाई फ्लोराईड प्रभावित गांवों में पेयजल की समस्या,146 गांवों को मंझोड़िया समूह जल प्रदाय योजना से मिलगा शुद्ध पानी
रतलाम,10 जुलाई(इ ख़बर टुडे)। माही नदी के जल को यंत्रालय पर शुद्धिकरण कर पाईप लाईन के माध्यम से पेयजल के रूप में गांवों को प्रदाय किया जा रहा है। विधानसभा क्षेत्र में 86 नल जल योजनाएं स्वीकृत होकर 70 पूर्ण हो चुकी हैं। यह बात मप्र के लोक स्वास्थ यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत ‘ गुड्डू ‘द्वारा जिले में फ्लोराइड प्रभावित 27 गांवो में शुद्ध पेयजल प्रदान करने के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में कही।
सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत ने विधानसभा के वर्तमान सत्र में फ्लोराइड प्रभावित गांवों में हैंडपंप से पानी वितरित होने, अधूरी नलजल योजनाओं और धीमे क्रियान्वयन को लेकर सवाल किए है। उन्होंने सवाल पूछा कि 27 फ्लोराइड प्रभावित गांवों में 2016 से 2019 तक पीने के लिए शुद्ध पेयजल किस तरह उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिन 12 गांवों में नलजल योजना अभी भी प्रगतिरत और 7 अप्रारंभ है, उनके कारण और जिम्मेदारों के नाम बताए जाऐं। श्री गेहलोत ने यह भी पूछा कि क्या हैंडपंप का जल शुद्ध पेयजल की परिभाषा में आता है, और यदि नहीं तो कितनी आबादी को शुद्ध पेयजल दिया जा रहा है। क्या शुद्ध और केवल पेयजल की केटेगरी एक ही है? गांव में नलजल योजना का न होना, 83 प्रतिशत आबादी का हैंडपंप का पानी पीना विभाग के दृष्टिकोण से कितना सही है?
नलजल ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी
विधायक गेहलोत के सवाल के जवाब में मंत्री सुखदेव पासी ने बताया कि माही नदी के जल को जल शुद्धिकरण यंत्रालय पर उपचारित कर पाईप लाईन द्वारा ग्राम में स्थापित सिस्टर्न के माध्यम से पेयजल प्रदाय किया जा रहा है। साथ ही बताया कि जिन नलजल योजनाओं का हस्तांतरण हो चुका है उनका संचालन ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी है। सफल नलकूप के खनन, पानी परीक्षण उपरांत, गुणवत्ता के मानकों की सीमा में होने पर ही हैंडपंप लगाया जाता है। अत: हैंडपंप का पानी योग्य होने से पेयजल के रूप में उपयोग किया जाता है। उन्होंने नलजल योजनाओं के संबंध में सवाल पर बताया कि वित्तीय आवश्यक्ता अनुसार नलजल योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है। विधानसभा क्षेत्र में 86 नल जल योजनाएं स्वीकृत होकर 70 पूर्ण हो चुकी हैं। इसके अलावा फ्लोराइड से प्रभावित 146 गांवों को शामिल कर मंझोड़िया समूह जल प्रदाय योजना के तहत डीपीआर बन कर तैयार हो चुका है।
व्यापम से अक्षम एनआरआई कैसे बन गए डॉक्टर ?
इसके अलावा सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत ने विधानसभा में एनआरआई कोटे के तहत व्यापाम द्वारा अभ्यार्थियों को वर्ष 2008 से 2018 तक दिए गए प्रवेश पर भी सवाल उठाया। उन्होेंने सवाल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री से पूछा कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर 2017 में एनआरआई कोट में 114 में से 107 फर्जी पाए गए तो संचालनालय ने चिकित्सा शिक्षा द्वारा परिणाम को लेकर 2008 से 2018 तक सभी एनआरआई कोटे की जांच क्यों नहीं की गई ? गुड्डू ने सवाल में पुछा शिकायत के बाद भी एनआरआई कोटे से अक्षम को डॉक्टर बनाने के षडयंत्र को रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया गया?
इस पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने बताया कि 2008 से 2016 तक निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में एनआरआई कोटे से प्रवेश संस्था स्तर पर ही होते थे। वर्ष 2017 से कॉमन काउंसलिंग के माध्यम से प्रवेश दिया जा रहा है, वर्ष 2016 से पूर्ववर्ती सत्र एवं 2018-19 में स्नातक एवं स्नातकोत्तर में प्रवेशित एनआरआई को संबंध में कोई शिकायत नही है । वर्ष 2017 से संचालनालय द्वारा कॉमन काउंसलिंग के माध्यम से एनआरआई कोटे के तहत अभ्यार्थियों को प्रवेश दिया जा रहा है।