November 15, 2024

सेवानिवृत्त किए गए जज आरके श्रीवास ने कहा न्यायपालिका में भ्रष्टाचार हावी,संघर्ष करता रहूंगा

रतलाम,20 अप्रैल (इ खबरटुडे)। विधि विभाग द्वारा सेवानिवृत्त किए गए अति.जिला जज आरके श्रीवास ने आज यहां कहा कि मध्यप्रदेश की न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार का हावी हो गया है। कई भ्रष्ट जजों का भ्रष्टाचार सामने आने के बावजूद उन्हे हटाया नहीं जा रहा है,जबकि श्रेष्ठ कार्य करने के बावजूद मुझे हटा दिया गया। जज श्रीवास ने कहा कि वे न्याय व्यवस्था में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के विरुध्द संघर्ष करते रहेंगे।
श्री श्रीवास आज प्रेस क्लब भवन में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। म.प्र. उच्च न्यायालय की अनुशंसा पर प्रदेश के विधि एवं विधायी विभाग द्वारा कल ही उन्हे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। उल्लेखनीय है कि जज आर के श्रीवास लम्बे समय से न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उठा रहे है। अपनी इस मुहिम के दौरान उन्होने जबलपुर उच्च न्यायालय के सामने धरना भी दिया था और नीमच से जबलपुर तक साइकिल यात्रा भी की थी। उच्च न्यायालय द्वारा उनके विरुध्द एक से अधिक विभागीय जांचे भी की जा रही थी। गुरुवार को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाने के बाद आज उन्होने पत्रकार वार्ता  बुलाई थी।
श्री श्रीवास ने कहा कि पूरे सेवाकाल के दौरान उनका काय्र श्रेष्ठ रहा है। उनके विरुध्द एक भी शिकायत नहीं है। इसके बावजूद केवल कुछ अनियमितताओं को सामने लाने के कारण उन्हे बेवजह दण्डित किया जा रहा है। जज श्रीवास ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा एडीजे भर्ती परीक्षाओं में भारी गडबडियां की गई। अयोग्य उम्मीदवारों को अधिक नम्बर देकर भर्ती कर लिया गया। जज श्रीवास ने एडीजे परीक्षा के एक परीक्षार्थी की उत्तर पुस्तिका भी दिखाई,जिसे अयोग्य होने के बावजूद नियुक्ति दे दी गई। जज श्रीवास ने कहा कि प्रदेश में कई ऐसे जज कार्यरत है,जिनके विरुध्द भ्रष्टाचार के आरोप सिध्द पाए गए है। जांच में आरोप सिध्द होने के बावजूद इन्हे मात्र स्थानान्तरित किया गया। वे आज भी कार्य कर रहे है। जज श्रीवास ने कुछ जजों के नाम भी बताए।
जज श्री श्रीवास ने कहा कि उनके सेवानिवृत्ति के आदेश में सेवानिवृत्ति का कारण जनहित को बताया गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि उन्हे सेवानिवृत्ति दी जाने से कोई जनहित नहीं हो रहा है। वास्तव में तो न्यायपालिका में जमे हुए भ्रष्ट तत्व इस बात से घबरा रहे थे कि उनकी पोल खुल सकती है। इसीलिए उन्हे बिना जांच पूरी किए अचानक सेवानिवृत्ति दे दी गई।
सेवानिवृत न्यायाधीश श्री श्रीवास ने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृति के लिए नियमों के तहत विचार नहीं किया गया। उन्होने कहा कि उन्हे लोकहित बताते हुए सेवानिवृति दी गई, जबकि आज तक उनके खिलाफ एक भी शिकायत नहीं है। उन्होने कहा कि मार्च 2016 से जुलाई 2017 तक अल्प अवधी में उनका चार बार स्थानांतरण किया गया। दिसम्बर 2016 में उनके द्वारा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साक्षात्कार के भर्ती में अनियमितता की शिकायत कर जांच की मांग की गई थी। उनके द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदनों का निराकरण बिना किसी आधार के प्राकृतिक न्याय के सिध्दांतो के विपरीत किया गया। उन्हे अकारण सूने बिना चेतावनी प्रदान की गई। सेवानिवृत न्यायाधीश श्रीवास ने आरोप लगाया कि उनके द्वारा  एसी शिकायते की गई है, जिनकी जांच की जाए तो कई अनियमितताएं उजागर हो सकती है। इसलिए उन्हे नियमों का उल्लघंन कर अनिवार्य सेवानिवृती दी गई। उन्होने कहा कि अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई और संघर्ष जारी रहेगा और वे 8 मई के बाद यात्रा निकालकर राष्ट्रपति से मिलकर चर्चा करेंगें। पत्रकारों से चर्चा के अवसर पर बार एसोसिएशन अध्यक्ष संजय पंवार,अभिभाषक अभय शर्मा,अनिल सारस्वत,संजीव सिंह चौहान,मनमोहन दवेसर,प्रवीण भट्ट सुनिल पारिख , सुनिल लाखोटिया और अन्य अभिभाषक भी मौजुद थे। बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने भी श्री श्रीवास को दी गई अनिवार्य सेवानिवृति के संबध में स्टेट बार एसोसिएशन को पत्र लिखकर कार्रवाई करने की बात कही है।

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