सिंहस्थ में पर्याप्त दुग्ध पदार्थ वितरण की संघ की तैयारी
डिमांड के बावजूद सांची का दही गायब
बाजार का दही 80 रुपये, सांची का 60 रुपये किलो होने से कालाबाजारी की आशंका
उज्जैन ,30 मार्च(इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार )।सिंहस्थ में पर्याप्त दूध एवं दुग्ध पर्याप्त वितरण की तैयारी कर रहे उज्जैन दुग्ध संघ की हालिया स्थिति यह है कि डिमांड के बावजूद सांची का दही सांची पार्लरों से गायब है। या यूं कहें कि पार्लरों को पिछले तीन दिनों से दही मिल नहीं रहा है, इसके पीछे बड़े तौर पर कालाबाजारी की आशंका प्रबल हो रही है।
कारण यह सामने आ रहा है कि खुले बाजार का दही 80 रुपये किलो है, सांची का दही 60 रुपये किलो। ऐसे में सांची के दही को सीधे-सीधे काला बाजारी में उपयोग करने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
सांची पार्लरों को दही की डिमांड होने के बावजूद पूर्ति नहीं हो रही है
गर्मी बढऩे के साथ ही दुग्ध पदार्थों में दही और छाछ की खपत सीधे-सीधे बढ़ जाती है। दुग्ध संघ के उत्पादों में नमकीन छाछ और प्लेन दही उपभोक्ता अधिक मांग करते हैं। बाजार में हालिया पिछले दिनों में ही प्रतिदिन करीब एक क्ंिवटल दही विक्रय की जानकारी सामने आ रही है। इसके उलट पिछले तीन दिनों से बाजार में सांची पार्लरों को दही की डिमांड होने के बावजूद पूर्ति नहीं हो रही है।
100 ग्राम 6 रुपये का
सांची का दही उच्च क्वालिटी का होकर 100 ग्राम के पैकिंग में विक्रय के लिये बाजार में दिया जाता है। मात्र 6 रुपये में कप का पैकिंग उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाया जाता है। इस प्रकार से इसका उपयोग भी सुलभ है और सुविधाजनक भी। खुले दही में परेशानी होने की संभावना भी बनती है। सांची का दही पैकिंग में होने से शुद्धता भी बरकरार रहती है।
12 पार्लर पहुंचा ग्राहक नहीं मिला दही
साँची के दही की आपूर्ति और मांग की स्थिति की जाँच के लिये करीब 12 पार्लरों पर इस संवाददाता ने जाँच की। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित इन पार्लरों पर जाकर दही की मांग किये जाने पर एक ही जवाब पार्लर संचालक की ओर से मिला। पिछले तीन दिनों से दही की सप्लाय नहीं मिली है। ज्यादा पूछताछ मिलने पर यह भी बात सामने आई कि दही की सप्लाय अनियमित भी होती है। यह भी बताया गया कि प्लांट में कटोरी की उपलब्धता न होने पर भी सप्लाय ब्रेक हो जाती है।
कालाबाजारी की आशंका
इधर इस बात की आशंका भी प्रबल रूप से सामने आ रही है कि बाजार के खुले दही की दर प्रतिकिलो 80 रुपये है और इसके उलट साँची का दही 60 रुपये किलो में उपलब्ध है। ऐसे में बड़ी मात्रा में दही की सीधी खरीदी कर खुले बाजार में उसका उपयोग हो रहा है। सीधा-सीधा 20 रुपये प्रति किलो का लाभ अर्जित करने के लिये उपभोक्ताओं के हक पर डाका डाला जा रहा हो। यह भी संभव है कि अन्य दुग्ध संघ के क्षेत्रों में दाम अधिक होने से वहां भी इसका उपयोग व्यवसायिक स्तर पर करते हुए लाभ अर्जित किया जा रहा हो।
उपभोक्ता हित का मामला
सूत्रों के अनुसार उज्जैन और उज्जैन के आसपास सहित साँची दुग्ध संघ क्षेत्र में दही की खपत वर्तमान में कई क्ंिवटलों में है। उपभोक्ता को सीधे-सीधे इसका लाभ मिल रहा है। साँची की दर प्रतिकिलो बाजार से 20 रुपये कम होने से भी उपभोक्ता लाभान्वित हो रहा है। इसके उलट भोपाल और अन्य दुग्ध संघ में दही की कीमत प्रतिकिलो 5 से 8 रुपये उज्जैन दुग्ध संघ से अधिक बताई जा रही है। ऐसे में उपभोक्ता हित का यह मामला दैनिक अवन्तिका के लिये प्राथमिकता लिये हुए है।
पर्याप्त दूध एवं दुग्ध पदार्थ उपलब्ध कराएंगे
सिंहस्थ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिये दुग्ध संघ दूध, घी, नमकीन मट्ठा, दही, सुगंधित दूध, श्रीखंड, लस्सी, पनीर, सादी छाछ, मावा, पेड़ा आदि दुग्ध उत्पादों का भंडारण कर विक्रय किया जायेगा। सिंहस्थ में इन दुग्ध पदार्थों की उपलब्धता का संघ की ओर से दावा किया गया है। दुग्ध संघ सिंहस्थ में पहली बार पनीर, मावा, पेड़ा, मिल्क केक श्रद्धालुओं को उपयोग करायेगा। इस कार्य के लिये आवश्यक अतिरिक्त मशीनरी संघ में स्थापित की जायेगी। सिंहस्थ के दौरान उज्जैन दुग्ध संघ का आंकलन है कि प्रतिदिन सामान्य दिनों में 60 हजार लीटर दूध और शाही स्नान के दिनों में एक लाख लीटर दूध का विक्रय होगा। वर्तमान में तो दही की सप्लाय अनियमितता लिये हुए है, इस पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।