November 22, 2024

सिंहस्थ-2016 के एक वर्ष पूर्व उज्जैन जिला जल अभावग्रस्त घोषित

आदेश उल्लंघन पर दो वर्ष की सजा

उज्जैन, 24 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। वर्ष 2014 के मानसून सत्र में उज्जैन में हुई कुल वर्षा औसत से कम है। इसी को देखते हुए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कवीन्द्र कियावत ने सम्पूर्ण जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किया है। यह आदेश 30 जून 2015 तक प्रभावशील रहेगा।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कवीन्द्र कियावत ने म.प्र.पेयजल अधिनियम-1986 की धारा 3 में उपलब्ध प्रावधान के अनुसरण में जनसाधारण को घरेलू प्रयोजनों के लिये जल उपलब्ध कराने की दृष्टि से सम्पूर्ण उज्जैन जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं। उक्त आदेश 30 जून 2015 तक प्रभावशील रहेगा। इसके अलावा म.प्र.पेयजल परिरक्षण अधिनियम-1986 की धारा 4 में प्रदत्त व्यवस्था के अनुसरण में जिले में कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक जलस्त्रोत से सिंचाई तथा औद्योगिक प्रयोजन के लिये बिना कलेक्टर की अनुज्ञा के जल नहीं लेंगे।
गौरतलब है कि प्राप्त सूचनाओं के अनुसार वर्ष 2014 के मानसून सत्र में पूरे उज्जैन जिले की सीमा में वर्षा जल के निर्धारित आंकड़े औसत से कम है। उपलब्ध वर्षा के आंकड़ों के अनुसार इस साल 2014 में एक जून 2014 तक कुल 617.9 मिमी वर्षा दर्ज हुई है। वर्षा की यह कमी गत वर्षों में वर्षाभाव के कारण लगातार कम होने के कारण जिले में स्थित नगरीय और ग्रामीण पेयजल संकट से सम्बन्धित कठिनाईयां और बढ़ गई हैं। इसलिये लोकहित में यह अत्यावश्यक हो गया है कि जिले में वर्तमान में उपलब्ध जल राशि का ऐसा उपयोग सुनिश्चित किया जा सके कि दैनन्दिनी घरेलू उपयोग की जल आवश्यकता की समस्या का समाधान नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों में संभव हो सके। इसलिये उक्त आदेश पारित किया गया है।
आदेश के तहत नागदा शहर में स्थित ग्रेसिम उद्योग की इकाईयों के लिये यह रियायत अग्रिम आदेश पर्यन्त रहेगी कि वे नागदा नगर के निकट चंबल नदी पर निर्मित एनीकेट से अपनी औद्योगिक इकाईयों के लिये जल प्राप्त कर सकेंगे, परन्तु उन्हें उपलब्ध कराई गई जल की मात्रा का समय-समय पर आंकलन निरन्तर किया जायेगा और जल की उपलब्धता की स्थिति के आधार पर वर्तमान में दी जाने वाली इस रियायत पर पुन: विचार किया जा सकेगा।

उल्लंघन पर दो वर्ष की सजा

जिले के नगर निगम एवं अन्य स्थानीय संस्थाएं अपने क्षेत्र में जल का उपयोग घरेलू प्रयोजन के लिये हो, इस उद्देश्य से जल के उपयोग के विविध तरीकों पर सतत् निगरानी रखेंगे। यह उनका उत्तरदायित्व होगा कि वे अन्य प्रयोजनों के लिये उनके अधिकार क्षेत्र में जल का उपयोग पाये जाने की स्थिति में म.प्र.पेयजल परिरक्षण अधिनियम के तहत आवश्यक वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करने की पहल करें। उक्त आदेश का उल्लंघन किये जाने पर म.प्र.पेयजल परिरक्षण अधिनियम की धारा 9 के प्रावधान आकृष्ट होंगे, जिसके तहत दो वर्ष का कारावास या दो हजार रूपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किये जाने की व्यवस्था है।

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