सरकार एवं समाज के सम्मिलित प्रयास से ही यह रह सकेगी शुद्ध
शिप्रा एक नदी नहीं भावना है
उज्जैन 06 फरवरी(इ खबर टुडे)। शिप्रा एक नदी नहीं भावना है। समाज एवं सरकार के सम्मिलित प्रयास से ही इसे शुद्ध रखा जा सकता है। शिप्रा बेसिन विकास के लिए योजना बनाई गई है, जिसके अन्तर्गत उज्जैन एवं देवास जिलों की 52 पंचायतें तथा इन्दौर जिले की 04 पंचायतें शामिल की गई हैं। इसके अन्तर्गत शिप्रा घाटी को जैविक घाटी में बदला जाएगा, जिसमें जैविक खेती होगी। आसपास के सभी गांव खुले में शौच से मुक्त होंगे, सभी गांवों में नाडेप, बायोगैस एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था होगी तथा नदी के दोनों ओर 500 मीटर क्षेत्र में फलदार वृक्ष लगाए जाएंगे।संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर ने आज सोमवार को शिप्रा शुद्धिकरण न्यास की बैठक में यह जानकारी दी। बैठक में सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल, निगम अध्यक्ष श्री सोनू गेहलोत, कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे, नगर निगम आयुक्त श्री आशीष सिंह सहित समिति के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
हर घाट की हो एक प्रबंधन समिति
संभागायुक्त डॉ.पस्तोर ने नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के अधिकारी को निर्देश दिये कि शिप्रा के समस्त घाटों की जानकारी लेकर एक मास्टर प्लान बनाया जाए, जिसके अन्तर्गत हर घाट के प्रबंधन के लिए एक प्रबंध समिति हो, जो कि उस घाट की देखरेख करे। संभागायुक्त ने कलेक्टर को निर्देश दिए कि शिप्रा किनारे की राजस्व भूमि, जो कि वृक्षारोपण के लिए वन विभाग को दी गई है, पर सघन वृक्षारोपण की कार्यवाही करवाएं।
रेत का अवैध परिवहन तुरन्त रूके
संभागायुक्त ने कहा कि नदी की शुद्धि एवं अस्तित्व के लिए यह आवश्यक है कि उसके किनारे की रेत का अवैध परिवहन सख्ती से रोका जाए। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की शिकायतें आ रही हैं, कि नदी की रेत का अवैध परिवहन होता है तथा मंगलनाथ चौराहे पर यह बड़ी मात्रा में बिकती है। उन्होंने कलेक्टर को निर्देश दिये कि इसे तुरन्त रोका जाए।
रामघाट पर हो ‘लाइट एण्ड साउण्ड शो’
बैठक में संभागायुक्त ने सुझाव दिया कि वर्तमान में कोठी पैलेस पर किए जाने वाले ‘लाइट एण्ड साउण्ड शो’ को रामघाट अथवा राणौजी की छत्री पर करवाया जाए, जिससे अधिक संख्या में दर्शकगण इसका लाभ ले सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि शिप्रा के घाटों पर निरन्तर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जिससे नदी के संरक्षण के प्रति आमजन की अधिक से अधिक भागीदारी ली जा सके। उन्होंने शिप्रा मित्र मण्डल को भी सक्रिय करने तथा उनका सहयोग नदी संरक्षण में लिए जाने के लिए कहा। चांदनी रात में नौकायन भी शिप्रा नदी में किया जा सकता है।
मन्दिरों एवं घाटों पर लगें दानपेटियां
संभागायुक्त ने कहा कि शिप्रा के संरक्षण एवं शुद्धिकरण के लिए शिप्रा शुद्धिकरण न्यास की दानपेटियां महाकाल मन्दिर सहित अन्य प्रमुख मन्दिरों तथा शिप्रा के घाटों पर लगाई जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि दान के अलावा कार्य के रूप में भी जनसहयोग लिया जाना चाहिए। उन्होंने श्मशान घाटों के प्रबंधन के लिए श्मशान प्रबंध समितियां भी बनाए जाने पर जोर दिया।
मैली क्यों होती है शिप्रा?
सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष दिवाकर नातू ने कहा कि शिप्रा शुद्धिकरण के लिए सबसे पहले आवश्यक है कि यह जाना जाए कि शिप्रा मैली क्यों होती है। उन्होंने बताया कि शिप्रा एक बरसाती नदी है तथा इस पर 12 डेम बने हैं। जब तक इसमें गन्दे नालों का पानी मिलता रहेगा, तब तक यह मैली ही रहेगी। उन्होंने कहा कि शिप्रा शुद्ध रहे, इसके लिए जिम्मेदारी का निर्धारण करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार नगर निगम है। इसे शुद्ध रखने के लिए इसके किनारों पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। शिप्रा उज्जैन की जीवन रेखा है। इसे शुद्ध रखना उज्जैन के हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
‘नमामि देवी नर्मदे’ जैसा कार्यक्रम बने
उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल ने कहा कि शिप्रा को शुद्ध एवं निरन्तर प्रवाहमान रखने के लिए सरकार को नमामि देवी नर्मदे जैसा कार्यक्रम बनाना चाहिए। शिप्रा के उद्गम से लेकर इसके अन्त तक सघन वृक्षारोपण इसके किनारों पर होना चाहिए। हमारा उद्देश्य रहे कि यह नदी सदानीरा बनें। इसकी शुद्धि के लिए जनता में जागरूकता फैलानी चाहिए। शिप्रा में पुष्पमालाएं, फूल, राख, मूर्ति विसर्जन बिलकुल नहीं होना चाहिए। इसके लिए जन-जागरूकता कार्यक्रम निरन्तर आयोजित होने चाहिए। अधिक से अधिक स्टापडेम भी बनाए जाने चाहिए।
मिट्टी की बनें मूर्तियां
महापौर श्रीमती मीना जोनवाल ने कहा कि शिप्रा का जल प्रदूषित होने का एक प्रमुख कारण इसमें प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियां विसर्जित होना। उन्होंने कहा कि यह जागरूकता फैलाई जानी चाहिए कि गणेश उत्सव, दुर्गा पूजा आदि अवसरों पर स्थापित किए जाने वाली प्रतिमाएं प्लास्टर ऑफ पैरिस के स्थान पर मिट्टी की बनें। साथ ही प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों का नदी में विसर्जन सख्ती से रोका जाए।
कुओं एवं बावड़ियों को भी स्वच्छ किया जाए
नगर निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत ने बताया कि शिप्रा शुद्धिकरण के लिए सिंहस्थ के दौरान अच्छे प्रयास हुए हैं। इन्हें आगे बढ़ाए जाना चाहिए। शिप्रा के दोनों ओर सघन वृक्षारोपण होना चाहिए। नदी में पानी की निरन्तरता बनाए रखने के लिए कार्य किए जाने चाहिएं। उन्होंने नगर के लगभग 150 कुए-बावड़ियों को स्वच्छ करने की आवश्यकता भी बताई। उन्होंने शिप्रा शुद्धिकरण की न्यास की बैठक की भी प्रतिमाह आवश्यकता बताई। शिप्रा शुद्धिकरण न्यास की बैठक वर्ष 2009 के बाद वर्ष 2017 में होने की बात पर संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि शिप्रा शुद्धिकरण न्यास की बैठक अब प्रत्येक माह के पहले सोमवार को दोपहर 12.30 बजे से आयोजित की जाए।
सुझावों पर प्रमुखता से अमल
कलेक्टर संकेत भोंडवे ने कहा कि समिति के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर प्रमुखता से अमल किया जाएगा। उत्सवों पर पीओपी के स्थान पर मिट्टी की मूर्तियां बनाए जाने के लिए लोगों से कहा जाएगा, पीओपी की प्रतिमाओं का विसर्जन नदी में होने से रोका जाएगा। नदी के दोनों ओर वृक्षारोपण कराया जाएगा। घाटों पर लगाए गए लाल पत्थर भारी वाहनों के आने से टूटने की बात पर कलेक्टर ने कहा कि घाटों पर इन्हें रोकने के लिए बूम बैरियर लगाए जाएंगे। उज्जैन विकास प्राधिकरण के सीईओ अभिषेक दुबे ने कहा कि जो पत्थर टूट गए हैं, उनकी मरम्मत कराई जाएगी।
शिप्रा शुद्धिकरण की 550 करोड़ की योजना
शिप्रा शुद्धिकरण के लिए नगर निगम द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए नगर निगम आयुक्त आशीष सिंह ने बताया कि इसके लिए 550 करोड़ की योजना बनाई गई है, जिसकी डीपीआर तैयार करवाई जा रही है। इसके अन्तर्गत त्रिवेणी से लेकर कमेड़ तक एक ‘ट्रंक लाइन’ बनाई जाएगी, जिसके माध्यम से नगर के समस्त नालों का पानी नगर के बाहर ले जाया जाएगा तथा सदावल ट्रीटमेंट प्लांट में फिल्टर का पुन: नदी में छोड़ा जाएगा।