शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन, लोकसभा में हंगामा
नई दिल्ली,19 नवंबर (इ खबर टुडे)। संसद के शीत सत्र का आज दूसरा दिन है और आज भी विपक्ष सरकार को घेर सकता है। वहीं सरकार इस कोशिश में है कि महत्वपूर्ण बिलों को सदन में जल्द से जल्द पेश किया जाए। आज का दिन सदन में हंगामेदार हो सकता है क्योंकि सरकार कुछ महत्वपूर्ण बिल सदन में रख सकती है।
जो बिल सदन में पेश हो सकते हैं उनमें जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल (संशोधन) विधेयक 2019, सरोगेसी बिल 2019 शामिल हैं। जलियांवाला बाग बिल लोकसभा में अगस्त में पास हुआ था जिसमें ट्रस्ट के स्थायी सदस्य के रूप में कांग्रेस नेताओं को हटाने की बात कही गई है वहीं इसके ट्रस्टी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नाम हटाने की बात भी करता है।
वहीं सरोगेसी बिल जो की अगस्त में ही लोकसभा में पास हुआ था। इस बिल में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सरोगेसी बोर्ड बनाने की बात कही गई है साथ ही यह भी कहा गया है कि बच्चा चाहने वाले दंपती बच्चे को छोड़ नहीं सकते।
लोकसभा में 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के सवाल के बीच अचानक हंगामा होने लगा और विपक्षी सांसद तानाशाही बंद करो के नारे लगाते हुए वेल में आ गए।
– सीपीआई सांसद बिनोय रॉय के सस्पेंशन ऑफ बिजनेस के नोटिस को सभापति वैकेंया नायडू द्वारा खारिज किए जाने के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और सदन का कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी है।
– नुमलीगढ़ रिफायनरी के प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ असम से सांसद रिपुन बोरा समेत अन्य ने सदन में विरोध प्रदर्शन किया।
– सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले भाजपा ने अपने संसदीय दल की बैठक बुलाई थी जिसमें सभी सांसद शामिल हुए।
इससे पहले सोमवार को सत्र के पहले दिन विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरा। इसी क्रम में नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में रखे जाने का मुद्दा लोकसभा में उठाया। उनकी हिरासत को अवैध बताते हुए उन्हें सदन में आने की अनुमति देने की मांग की। फारूक श्रीनगर से सांसद हैं। विपक्षी सदस्यों ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद सांसदों को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने से रोके जाने का भी मुद्दा उठाया।
चौधरी ने कहा- “हमारे नेता राहुल गांधी को (जम्मू-कश्मीर) दौरे की अनुमति नहीं दी गई। कई सांसदों को वापस भेज दिया गया… जबकि योरप से आए संसदीय प्रतिनिधिमंडल को वहां ले जाया गया। क्या यह सभी सांसदों का अपमान नहीं है? मैं सत्ता पक्ष के भी सदस्यों से पूछना चाहता हूं कि क्या वे नहीं सोचते कि यह उनका अपमान है?”
नेशनल कांफ्रेंस सुप्रीमो की हिरासत का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला 106 दिनों से हिरासत में हैं और सदन के सत्र में भाग लेना उनका संवैधानिक अधिकार है। चौधरी ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री को लोकसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लेने देना “क्रूरता” है।
पिछले सत्र में गृह मंत्री ने सही कहा था : स्पीकरइस बीच, स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि पिछले सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने जब सदन को सूचित किया था कि अब्दुल्ला हिरासत में नहीं हैं तो वह सही थे। लोकसभा सचिवालय को अब्दुल्ला के हिरासत में होने की लिखित सूचना बाद में मिली थी। उन्होंने कहा कि अब उनके पास लिखित सूचना है कि अब्दुल्ला हिरासत में हैं।