लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर आज उतरेंगे एयफोर्स के 17 विमान, रचेंगे इतिहास
उन्नाव ,24 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। भारतीय वायुसेना के 15 लड़ाकू विमान आगरा एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार सुबह इतिहास रचेंगे। पहली बार किसी एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना ऑपरेशनल अभ्यास करेगी। पिछले 15 दिनों से इन 15 लड़ाकू विमानों के जांबाज पायलट कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। आगरा एक्सप्रेस वे पर तीन किलोमीटर के रनवे पर पायलट जलवा बिखेरने को बेताब हैं। वायुसेना के अधिकारियों ने सोमवार देर शाम तक कार्यक्रम स्थल पर सभी तैयारियों का जायजा लिया।
परखी जाएगी स्पीड: भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान सुपरसोनिक सुखोई एसयू-30, जगुआर और मिराज जब आगरा एक्सप्रेस-वे पर उतरेंगे तो उनकी गति 260 किलोमीटर प्रतिघंटा की होगी। वैसे तो एक्सप्रेस-वे का पांच किलोमीटर का हिस्सा विमानों के टच और उड़ान भरने के लिए लिया गया है। लेकिन केवल तीन किलोमीटर एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल किया जाएगा। तेज गति से विमान तीन सौ मीटर के पैच पर ही उतरेंगे। वह केवल चार सेकेंड के लिए जमीन को छुएंगे।
गरुड़ कमांडो की विशेष सुरक्षा: आगरा एक्सप्रेस-वे के जिस हिस्से पर लड़ाकू विमान जमीन को छुएंगे वहां दुनिया के सबसे घातक कमांडो गरुड़ की विशेष निगरानी होगी। मालवाहक विमान हरक्यूलिस ग्लोब मास्टर सुबह 10 बजे सबसे पहले एक्सप्रेस वे पर उतरेगा। वह गरुड़ कमांडो को उतारकर रवाना हो जाएगा। रनवे के दोनों ही दिशाओं में गरुड़ कमांडो अपने आधुनिक उपकरणों के साथ हर स्थिति पर नजर रखेंगे।
पशु-पक्षियों से सुरक्षा के इंतजाम: एक्सप्रेस-वे के आसपास के गांवों के जानवर और पक्षी लड़ाकू विमानों के उतरने में कोई बाधा न पहुंचाएं, इसके लिए वायुसेना की कॉम्बैट टीम तैनात होगी। साथ ही किसी हिस्से में आग लगने की स्थिति में उसे बुझाने के लिए भी एक स्पेशल टीम होगी। वायुसेना ने दोनों ओर एक्सप्रेस-वे के किनारे फेंसिंग कराई है। साथ ही मिट्टी की अधिक ऊंचाई वाला टीला भी बनाया गया है, जिससे कोई भी संदिग्ध व्यक्ति एक्सप्रेस-वे के करीब तक न पहुंच सके।
चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी: पुलिस के अधिकारी कैमरों से लैस होंगे। यह कैमरे सामने जेब पर लगाए गए हैं। इसमें 25 जीबी की क्षमता वाले एसडी कार्ड लगे हैं। हर पल की निगरानी इन कैमरों से होगी। यह वीडियो कैमरे लगाकर पुलिस अधिकारी उन क्षेत्रों में रहेंगे जहां लोगों की अधिक भीड़ होगी।
मार्कर बताएगा पायलटों को दिशा: जमीन पर उतरने से पहले सभी 15 लड़ाकू विमान एक्सप्रेस-वे के ऊपर करीब 25 मिनट पहले ही आकर चक्कर काटने लगेंगे। सबसे पहले ग्वालियर वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरने वाले तीन जगुआर लखनऊ से आगरा की तरफ एक्सप्रेस-वे पर अपनी बारी का इंतजार करेंगे। ठीक सुबह 10:15 बजे एक लाइन से तीनों विमान टच होल्ड मार्कर की ओर उतरने लगेंगे। पहला मार्कर देखकर पायलट को इसका पता लगेगा कि उसको अगले दो मार्कर के बाद लैंडिंग करनी है। पायलट करीब 100 मीटर तक दो मार्कर लाइन को पार करने के बाद तीसरे मार्कर से पहले पियानो मार्कर पर अपने विमान का अगला पहिया बीच वाली पट्टी पर उतारेगा।
300 से 400 मीटर के पैच पर उतरेंगे विमान: विमान करीब 300 से 400 मीटर के पैच तक जमीन पर रहेगा। इस बीच पायलट विमान की गति को बढ़ाते हुए आगे बढ़ जाएगा। जगुआर के बाद गोरखपुर वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरने वाले तीन मिराज एक्सप्रेस-वे के करीब पहुंचेंगे। जबकि इनके ठीक पीछे तीन और मिराज गोरखपुर से कार्यक्रम स्थल की ओर उड़ान भरेंगे। एक बार में तीन और फिर दूसरी बार में तीन और मिराज के उतरने के बाद बरेली वायुसेना स्टेशन से सुखोई एसयू-35 एक्सप्रेस वे के करीब पहुंचेगा। मिराज की तरह तीन-तीन सुखोई दो बार में उतारे जाएंगे। इन सबके बाद अंत में सी-130 की लैंडिंग होगी। यह विमान रुकेगा और कमांडो को लेकर रवाना हो जाएगा।
तीन देशों की तकनीक का इम्तिहान: भारतीय वायुसेना इस ऑपरेशनल अभ्यास के जरिए वायु शक्ति का प्रदर्शन करेगी। साथ ही एक्सप्रेस-वे रूस के सुखोई, अमेरिका के सी 130 और फ्रांस के मिराज और यूके व फ्रांस की संयुक्त तकनीक वाले लड़ाकू विमान जगुआर की तकनीक का इम्तिहान भी लेगा। हालांकि मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर जगुआर के एक विमान की लैंडिंग पहले हो चुकी है। जबकि पिछले साल आगरा एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण पर छह सुखोई एसयू-30 ने भी जमीन को छुआ था। पहली बार किसी वायुसेना स्टेशन की जगह हरक्यूलिस ग्लोबमास्टर सी-130 एक्सप्रेस वे पर उतरेगा। वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की नजर अपने लड़ाकू विमानों की तरह इस भारी मालवाहक विमान सी-130 पर भी रहेगी।
टीम-बीकेटी ने भी पूरी की तैयारी: इस पूरे अभ्यास में छह वायुसेना स्टेशन एक साथ शामिल हो रहे हैं। गोरखपुर वायुसेना स्टेशन के मिराज, ग्वालियर के जगुआर, हिंडन के सी-130 और बरेली के सुखोई एसयू-30 विमानों के साथ आगरा से गरुड़ कमांडो की एक्सप्रेस-वे पर कमाल करने के पीछे लखनऊ के बख्शी का तालाब वायुसेना स्टेशन के अफसरों की कड़ी मेहनत है। पिछले 15 दिनों से प्रशासनिक और ऑपरेशनल तैयारियां दिन रात चल रही हैं।