रिश्वत नहीं मिली तो पटवारी ने जमीन के पूर्व मालिक को दिलाया मुआवजा
सिंहस्थ से महीनों पूर्व खरीदी थी कृषि भूमि-नामांतरण के लिए
उज्जैन 02 दिसम्बर(इ खबरटुडे)। 10 हजार की रिश्वत नहीं मिलने पर पहले तो पटवारी ने श्रीमद् जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्री श्रीकांताचार्यजी महाराज द्वारा खरीदी गई कृषि भूमि का नामांतरण नहीं किया। बाद में जमीन मालिक के बारे में जानकारी होने के बावजूद द्वेषपूर्वक सिंहस्थ में अधिग्रहित की गई भूमि का मुआवजा स्वामी कांताचार्य जी को दिलाने की बजाय पूर्व जमीन मालिक को दिला दिया। कांताचार्यजी ने पटवारी की शिकायत तहसीलदार शर्मा से की लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने कलेक्टर से इस मामले की शिकायत की है।
प.ह.न. 24 कस्बा में स्वामी कांताचार्य जी की कृषि भूमि सर्वे नंबर 2820/2/1 मीन-1 रकबा 0.445 हेक्टेयर है जो उन्होंने 27 जुलाई 2015 को खरीदी थी जिसके प्रमाण में पंजीकृत विक्रय पत्र भी उनके पास है। नामांतरण किये जाने का आवेदन 29 जुलाई 2015 को ही पटवारी को कर दिया गया था जिसने समयावधि में नामांतरण नहीं किया और विक्रेता इकबाल पिता मुश्ता अली से सांठगांठ करके उक्त भूमि का मुआवजा जो कांताचार्यजी को मिलना था वह विके्रता इकबाल को दे दिया। कूटरचित दस्तावेज तैयार किये गये और मुआवजे की राशि की खयानत की गई।
कृषि भूमि का स्वामी एवं आधिपत्यधारी विक्रय पत्र के माध्यम से आवेदक का हो चुका है और उसका आधिपत्य 27 जुलाई 2015 से है यह जानकारी विक्रेता इकबाल एवं पटवारी दोनों को थी। कांताचार्यजी ने आरोप लगाया कि पटवारी ने नामांतरण किये जाने के एवज में दस हजार रूपये की मांग की थी जो उनके द्वारा नहीं दिये जाने के कारण नामांतरण की कार्यवाही पेंडिंग रखी और इकबाल तथा पटवारी ने मिलकर मुआवजा धनराषि में खयानत की तथा आपराधिक षड़यंत्र रचा। कलेक्टर को शिकायत कर कांताचार्यजी ने जांच कर मुआवजा दिलाये जाने और पटवारी तथा इकबाल पर आपराधिक धाराओं में कार्यवाही किये जाने की मांग की है।