राहुल की दोस्त ने खोला मर्डर का राज, बताया उस दिन का खौफनाक हाल
नई दिल्ली,11 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। कितनी उम्मीदें थीं. एक साथ ज़िंदगी जीने का सपना था. लेकिन इन खुशियों को मजहबी कट्टरता वाली सोच ने ग्रहण लगा दिया. दिल्ली के आदर्शनगर में रहने वाले राहुल राजपूत (Rahul Rajput) को कुछ लड़के टयूशन की बात कहकर घर से बुलाकर ले गए. राहुल के साथ उसकी दोस्त भी थी. वहां पर राहुल का पीट-पीटकर बेदर्दी के साथ मर्डर कर दिया गया. आखिर क्यों राहुल अपनी जान के दुश्मनों से मिलने गया था. राहुल की दोस्त ने अब इस पूरे रहस्य से पर्दा उठाया है.
कजिन ने लड़की को फोन किया
राहुल की दोस्त: 6 बजे के करीब मेरे कजिन का मेरे नंबर पर फोन आया. वो कहता है राहुल का नंबर नहीं लग रहा है. मैंने उसे बताया कि उसकी मम्मी ने उसका फोन बेच दिया है. उसके पास नंबर नहीं है. वो कहता है कि कोई दूसरा नंबर है तो दे दे. मैंने राहुल की चाची का नंबर उसे दे दिया. इसके 2 मिनट के अंदर चाची के नंबर पर कॉल आती है. राहुल उससे अच्छे से बात करता है. कजिन उससे कहता है कि भाई 5 मिनट के लिए मिलना है. ट्यूशन के बारे में बात करनी है. इसके बाद कॉल कट ती है.
लड़की के कहने पर राहुल घर से बाहर निकला
राहुल की दोस्त: राहुल मुझसे पूछता है कि चलना है या नहीं. मैंने बोला कि 5 मिनट की बात है, चल लेते हैं. फिर बाहर निकलकर राहुल के कहने पर मैंने कजिन को कॉल किया. कजिन कहता है कि 5 मिनट के लिए वो मिल लेगा. हम पहुंचते हैं, उसके 5 मिनट बाद वो आता है और राहुल को मारना शुरू कर देता है. मैंने राहुल को बचाने की काफी कोशिश की लेकिन बचा नहीं पाई. बचाने की बहुत कोशिश करती हूं.
जान का खतरा देख लड़की को नारी निकेतन में भेजा गया
राहुल की दोस्त को फिलहाल नारी निकेतन में रखा गया है. उसे आदर्शनगर थाने के एसएचओ ने बताया है कि उसकी जान को घरवालों से खतरा है.
राहुल की दोस्त: एसएचओ ने मुझे कहा है कि वे मुझे मार देंगे.मार दें मुझे, अब फर्क नहीं पड़ता. मुझे राहुल चाहिए बस. उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी है.
परिवार में पसर गया जिंदगी भर का मातम
एक परिवार में मातम है और एक दोस्त की आंखों में आंसू हैं. इन आंसूओं का हिसाब तो होना ही चाहिए. राहुल की मौत नहीं हुई, उसकी हत्या की गई है. उसे इतना पीटा गया कि उसकी जान चली गई. लेकिन इस दुखद कहानी में कई और सवाल छिपे हैं. राहुल राजपूत की मौत एक ऐसा सवाल है जिस पर पूरे देश को सोचने की जरूरत है.
मजहबी कट्टरता ने ले ली राहुल की जान
हाथ किसी के भी हों लेकिन 18 साल के राहुल को धार्मिक कट्टरता की सोच ने मारा है. इस कट्टर सोच को कुचलना राष्ट्र प्रेम है. लेकिन इस मामले में पुलिसवालों पर भी उंगली उठ रही है. राहुल की दोस्त की जुबानी आपको ये भी सुनाते हैं कि कैसे अगर कुछ पुलिसवाले अपनी ड्यूटी नहीं भूलते तो राहुल शायद आज जिंदा होता.
पुलिसवाले फर्ज नहीं भूलते तो बच जाता राहुल
राहुल की 7 अक्टूबर को बेरहमी से पिटाई की गई. राहुल की दोस्त के सामने उसके भाई और साथी राहुल को बुरी तरह पीटते हैं. राहुल की दोस्त का कहना है कि राहुल के पेट में पहले से ही दर्द रहता था और राहुल को उसी जगह बार-बार चोट पहुंचाई गई.