November 22, 2024

युवक का अंग भग होने से बचाया,11 माह बाद फिर खडा हुआ पैरों पर

शासकीय जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में हुई थी जटिल सर्जरी

रतलाम,16 मई (इ खबर टुडे )। जिले की रावटी तहसील के 22 वर्षीय युवक के लिए जिला चिकित्सालय के डॉक्टर भगवान के रूप में सामने आये। युवक का दुर्घटना के बाद एक पैर काटना निश्चित हो गया था, लेकिन यहां के डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद युवक 11 महीने बाद फिर अपने पैरों पर खडा हो गया है। युवक ने अंग भग नहीं होने पर डॉक्टरों का आभार व्यक्त किया है।
रावटी तहसील के गांग नाहरपुरा निवासी 22 वर्षीय पूनमलाल पिता प्रभुजी मई माह 2016 में दुपहिया वाहन से राजस्थान जा रहा थाए तभी रास्ते में पिपलौदा के निकट उसकी भिडंत एक अन्य दुपहिया वाहन सवार से हो गई थी। दुर्घटना में पूनमलाल का सीधा पैर बुरी तरह से क्षतविक्षत हो गया था। उसे गंभीर अवस्था में इंदौर ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने परीक्षण के बाद उसका पैर काटने को कहा। जिसके बाद परिजन उसे गुजरात में वडोदरा एवं अहमदाबाद में निजी हॉस्पिलट भी ले गए। वहां भी डॉक्टरों कहा किए हम ऑपरेशन तो कर देंगे पर पैर कटने से बच जायेगा इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है और जिसका खर्च भी लाखों रूपए आ रहा था। परिवार की आर्थिक स्थिती ठीक नहीं होने पर परिजन फिर उसे रतलाम लाये और शासकीय जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया। यहां युवक का परीक्षण हड्डी एवं जोड रोग विशेषज्ञ डॉण् दिनेश भूरिया ने किया। जिसमें पाया गया किए जांघ की ह)ी का लगभग 7 सेंटी मीटर हिस्सा पूरा चूरा हो गया है और पिडली की ह)ी टूटने के साथ.साथ पंजा भी काफी डेमेज हो चुका है। इस स्थिती में सर्जरी कर पैर का बचाना असंभव था। लेकिन वर्ष 2016 जून माह में डॉण् दिनेश भूरिया ने अपने वरिष्ठ चिकित्सक डॉण् कृपालसिंह राठौर के साथ युवक के पैर की जटिल सर्जरी की और पैर काटने से बचाया। 11 माह बाद युवक अब अपने पैर पर खडा होने लग गया है। अभी वह जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में चैक के लिए भर्ती है। पैर कटने से बचने के लिए पूनमलाल उसके माता.पिता व परिजन डॉक्टरों को धन्यवाद देते हुए नहीं थक रहे है। जिसकी सर्जरी के लिए बाहर लाखों रूपये मांगे जा रहे थे वह वही सर्जरी जिला चिकित्सालय रतलाम में निरूशुल्क हो गई।

टिबूला ग्राफटिंग कर बचाया पैर

जटिल सर्जरी को अंजाम देने वाले डॉ दिनेश भूरिया ने बताया कि पूनमलाल का दुर्घटना में सीधा पैर ऊपर से लेकर नीचे तक बुरी से डेमज हो गया था। जाघ में पाई जाने वाले फिमर हड्डी लगभग सात इंज तो चूरा होकर गायब हो गई थी। वही पिडली की टिबिया फूबूला हड्डी भी तीन.चार जगह से टृट थीए साथ ही पंजा भी बुरी तरह से डेमेज हो गया था। ऐसी स्थिती में तीन.चार सर्जरी की आवश्यकता होती है। जिसके सफल होने के बाद पैर को कटने से बचाया जा सकता था। जिसमें काफी समय लगता है। परिजनों की सहमती के बाद काम शुरु किया गया।

11 महीने तक रहा पलंग पर

डॉ. ने बताया कि सर्जरी के 11 माह बाद ही जाघ की हड्डी में तुकडा डाला जा सका। इसके कारण 11 महीने तक मरीज पलंग पर रहा और टीम ने भी उसकी पूरी देखरेख की। अब रीज का एक बेल्ट के सहारे कुछ देर खडा किया जा रहा है। जल्द ही फिजियोथैरेपी के बाद पूनमचंद स्वयं अपने पैरों पर दुबारा चल सकेगा। समान्यतरू यह काफी जटिल सर्जरी होती हैए दूसरी हड्डी नहीं जुडने पर पैर को काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। जिला चिकित्सालय में सफल जटिल सर्जरी के लिए सिविल सर्जन डॉ आनंद चंदेलकर ने डॉ भूरिया एवं टीम के सदस्यों की प्रंसशा की है।

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