यज्ञ करने से पहले परखा जाता है पंडित को, सिंहस्थ का एकमात्र अतिरूद्र यज्ञ
उज्जैन15 मई(इ खबरटुडे)।सिंहस्थ में कई यज्ञ हो रहे हैं लेकिन एक ऐसा यज्ञ भी है जो केवल श्रीआदिनाथ अखाड़ा में ही हो रहा है। इसे अतिरूद्र यज्ञ कहा जाता है। मेला क्षेत्र में विभिन्न् क्षेत्रों में तीन प्रकार के यज्ञ किए जा रहे हैं। लघुरूद्र, महारूद्र और अतिरूद्र। इस विशेष यज्ञ के लिए पंडित को परीक्षा देना होती है।
उजड़खेड़ा क्षेत्र में चल रहे श्री आदिनाथ अखाड़ा में 25 लाख आहुतियों के संकल्प का अतिरूद्र यज्ञ चल रहा है। इस यज्ञ को संपन्न् करवाने के लिए लगभग 150 ब्राह्मण लगे हुए हैं। 12 मई को जब यह यज्ञ प्रारंभ किया गया तो प्राकृतिक ढंग से लकड़ियों को रगड़कर इसमें अग्नि प्रवाहित की गई थी।
हर दिन यज्ञ में तीन लाख आहुतियां दी जा रही हैं। यह यज्ञ 21 मई तक जारी रहेगा। इसमें लगभग 50 क्विंटल सामग्री का उपयोग किया गया है। हवन सामग्री को गंगाजल से धोकर उपयोग में लाया जा रहा है। यहां श्रीआदिनाथपीठाधीश्वर त्रिलोकीनाथ जी महाराज के निर्देशानुसार सारा काम किया जा रहा है।
जनकल्याण और परिवार संतुलन के लिए
आदिनाथ अखाड़ा की ओर से बताया गया कि अतिरूद्र यज्ञ बहुत ही महत्वपूर्ण यज्ञ है और यह जनकल्याण और पर्यावरण संतुलन के लिए किया जाता है। इस महत्वपूर्ण यज्ञ के लिए हम कई तरीकों से पंडितों की क्षमता को परखते हैं। देखा जाता है कि पंडित को उतना ज्ञान है या नहीं। इसके अलावा हम पंडितों की पृष्ठभूमि और परिवार की भी पूरी तरह जांच करते हैं। इसके बाद ही पंडित यज्ञ में शामिल होने की पात्रता पूरी कर पाते हैं।