माता पिता पूजन दिवस के उपलक्ष्य में शहर में कल भव्य संकीर्तन यात्रा
नईदिल्ली के कलाकार संकीर्तन यात्रा में शहर को झुमायेंगे
रतलाम.10 फरवरी(इ खबर टुडे)। शहर में माता पिता पूजन दिवस के उपलक्ष्य में 11 फरवरी, शनिवार को भव्य संकीर्तन यात्रा रामा भाई जी के सानिध्य में निकलेगी. कालिका माता परिसर से दोपहर 3 बजे शुरू होगी.सम्पूर्ण शहर में संकीर्तन यात्रा भ्रमण करते हुए युवा सेवा संघ और श्री योग वेदांत सेवा समिति द्वारा 12 फरवरी रविवार को कालिका माता मेला परिसर में आयोजित माता पिता पूजन दिवस समारोह में आमंत्रित करेगी. संकीर्तन यात्रा में पहली बार नईदिल्ली से भजन प्रस्तुत रने आर्केस्ट्रा आएगी. जो 35 फिट लम्बे ट्राले में सवार होकर शहर को हरिनाम संकीर्तन से सराबोर करेगी. रामा भाई सभी को भजनों पर झुमायेंगे.
संघ अध्यक्ष रुपेश सालवी ने बताया कि भजन-संकीर्तन और उत्सवी वातावरण में यह यात्रा नगर निगम, कॉलेज रोड, नाहरपूरा, डालूमोदी बाजार,घांस बाजार, चांदनी चौक, तोपखाना, लोहार रोड, शहर सराय, न्यू रोड, दो बत्ती होकर पुन: कालिका माता मंदिर परिसर पर महाआरती के साथ पूर्ण होगी. संकीर्तन यात्रा में रतलाम सहित सम्पूर्ण अंचल से आये भक्तजन शामिल होंगे.जो हरिनाम संकीर्तन करते हुए झूमते नाचते चलेंगे.
श्री सालवी ने बताया कि हर घर परिवार में माता पिता व बुजुर्गों का मान सम्मान और आदर हो, इसी उद्देश्य को लेकर ये भव्य आयोजन विश्व स्तर पर हो रहा है. संकीर्तन यात्रा में भारतीय संस्कृति में माता पिता की सेवा, सम्मान और आज्ञा पालन के आदर्श पर केन्द्रित प्रेरणादायक झांकियां भी शामिल रहेगी.
श्री सालवी ने बताया कि 12 फरवरी को सामूहिक माता पिता पूजन दिवस शाम 4.30 बजे से कालिका माता मेला प्रांगण पर शुरू होगा. युवा सेवा संघ और श्री योग वेदांत सेवा समिति ने सभी नागरिकों को सपरिवार सभी कार्यक्रमों में आमंत्रित किया है.
सत्संग और सेवा में जीवन सफल करें –
माघ पूर्णिमा के मौके पर पंचेड आश्रम पर सत्संग और भंडारा रामा भाई के सानिध्य में सम्पन्न हुआ. यंहा उन्होंने भक्तो को जीवन सत्संग,सेवा और सुमिरन का महत्त्व समझाया. अनमोल मानव जीवन अनके जन्मों के शुभ कर्मों से मिला है.उन्होंने कहा कि माघ मास की पूर्णिमा है। धर्म ग्रंथों में इसे माघी पूर्णिमा कहा गया है। इस पूर्णिमा पर संयम से रहना, सुबह स्नान करना एवं व्रत, दान करना आदि नियम बनाएं गए हैं। इस समय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए इस समय व्रत करने से शरीर रोगग्रस्त नही होता एवं आगे आने वाले समय के लिए सकारात्मकता प्राप्त होती है।
उन्होंने बताया कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजन पितरों का श्राद्ध कर निशक्तजनों को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, जूते, फल, अन्न आदि के दान का विशेष महत्व है। इस दिन गौ दान का विशेष फल प्राप्त होता है। उन्होंने बताया इसी दिन संयमपूर्वक आचरण कर व्रत करें। इस दिन ज्यादा जोर से बोलना या किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए। गृह क्लेश से बचना चाहिए। गरीबों एवं जरुरतमंदों की सहायता करनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके द्वारा या आपके मन, वचन या कर्म के माध्यम से किसी का अपमान न हो। इस प्रकार संयमपूर्वक व्रत करने से व्रती को पुण्य फल प्राप्त होते हैं। भंडारे में जीवन उपयोगी आवश्यक वस्तुएं भेंट की गई.बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तों ने महाप्रसादी ग्रहण की.