महावीर ने सिखाई जीवों को त्यागने छोडऩे की कला
रतलाम03 सितम्बर(इ खबरटुडे)।भगवान महावीर यथा नाम तथा गुण की उक्ति को चरितार्थ करने वाले व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी थे। वे वीर नहीं सचमुच के महावीर थे। उन्होंने संसार के सभी जीवों को सबकुछ त्यागने की कला सिखाई। राजकुमार के रुप में राजमहल का वैभव देखने वाले भगवान महावीर ने सबकुछ त्याग करने में बिल्कुल भी देर नहीं की। उनके जीवन में सबके कल्याण की भावना निहित रही है।
यह बात राष्ट्रसन्त वत्र्तमानाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने पर्वाधिराज पर्युषण के छठवें दिन प्रवचन में कही । जयन्तसेन धाम में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को संबोधन में उन्होंने कहा कि पर्युषण में कल्पसूत्र का वाचन चल रहा है। इसमें सबने भगवान के जन्म का प्रसंग सुनने के बाद आज उनके जीवन और दीक्षा का सुन्दर वर्णन श्रवण किया है । भगवान महावीर का पूरा जीवन दुनिया के लिए आदर्श है । माता-पिता के स्वर्गवास के कारण उन्होंने बड़े भाई की आज्ञा का पालन कर दो वर्ष बाद दीक्षा अंगीकार की, अर्थात वे आदर्श आज्ञाकारी भी थे । भगवान महावीर के जीवन चरित्र का वर्णन सब सुन रहे हैं, लेकिन खुद के जीवन में उसको किसी ने समझा नहीं है । मानव कितने ही प्रवचन सुन ले, पर यदि उनका असर उसके जीवन पर नहीं हो तो सब निरर्थक हो जाता है । ज्ञानियों ने इसीलिए कहा है कि सुनकर उठो मत, सुनी गई बात को हृदय में उतारो । मनुष्य की जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं रहता, उसे आत्मकल्याण का कोई अवसर खाली नहीं छोडऩा चाहिए ।
प्रारम्भ में मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कल्पसूत्र का वाचन करते हुए श्रद्धालुओं को जप-तप में अधिक से अधिक शामिल होने की प्रेरणा दी । उनके द्वारा दोपहर में भी कल्पसूत्र का वाचन किया गया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ सुरेश कुमार संजय कुमार कोचर परिवार ने लिया। राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में पर्युषण पर्व के दौरान जयन्तसेन धाम में प्रतिदिन कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। मुनि सुव्रतस्वामी जिनालय में भव्य अंगरचना की जा रही है । जन्मोत्सव के तहत प्रभु की भव्य अंगरचना की गई जिसके हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। रात्रि में प्रभु भक्ति का आयोजन हुआ।
छोटे भक्त की बड़ी गुरुभक्ति –
जयन्तसेन धाम के मंच पर शनिवार को राष्ट्रसन्तश्री के सम्मुख छोटे कद के प्रतिभाशाली अर्पण बाफना ने गुरुभक्ति का बड़ा परिचय दिया । उन्होंने राष्ट्रसन्तश्री को समर्पित धार्मिक स्तवन प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।4 सितम्बर को राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में शाम 5.00 बजे ‘आओ प्रभु से प्रेम करें’ विषय पर प्रभु मिलन का कार्यक्रम आयोजित होगा । शाम 6.00 बजे श्री भक्तामर स्त्रोत का प्रभाव संबंधी के वीडियो का प्रदर्शन किया जाएगा ।