November 16, 2024

भारत-चीन का दबाव आया काम, OPEC ने लिया बड़ा फैसला, कम होंगे पेट्रोल-डीजल के दाम

transportation and ownership concept - man pumping gasoline fuel in car at gas station

नई दिल्ली, 23 जून(इ खबरटुडे)। सऊदी अरब की अगुआई वाले तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने शुक्रवार को कच्चे तेल का उत्पादन एक लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाने का ऐलान किया। इससे कच्चे तेल के दामों में अगले कुछ दिनों में गिरावट आने के आसार हैं।

वियना में शुक्रवार को हुई औपचारिक बैठक में सऊदी अरब अपने धुरविरोधी ईरान को तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए राजी करने में सफल रहा। सऊदी के ऊर्जा मंत्री खालिद फालिह ने कहा कि बड़े उपभोक्ता देशों की चिंता को ध्यान में रखकर और आपूर्ति में कमी न होने देने के लिए यह निर्णय लिया गया।

14 देशों वाले ओपेक के सदस्य इराक का कहना है कि असल में उत्पादन में बढ़ोतरी 7.7 लाख बैरल तक ही रहेगी, क्योंकि कुछ देश आपूर्ति बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं। लिहाजा बैठक में हर देश के लिए उत्पादन वृद्धि का कोटा तय करने की बजाय आपूर्ति के लक्ष्य को पाने पर रजामंदी बनी। ऐसे में सऊदी अरब को अपने कोटे से ज्यादा तेल उत्पादन करना होगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका, चीन और भारत ने तेल उत्पादन में कटौती से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को देखते हुए ओपेक से आपूर्ति बढ़ाने को कहा था।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान खुद वियना दौरे पर गए और उन्होंने ओपेक के कई अहम नेताओं से मुलाकात कर तेल के दामों में बनावटी उछाल पर अपनी चिंता जाहिर की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर ओपेक से उत्पादन में बढ़ोतरी करने को कहा था ताकि दाम नीचे लाए जा सकें। एसएंडपी ग्लोबल के विश्लेषक गैरी रॉस का कहना है कि फिलहाल यह बढ़ोतरी पर्याप्त है, लेकिन ईरान और वेनेजुएला पर प्रतिबंध लागू होने के बाद यह कटौती नाकाफी साबित होगी।
अमेरिका प्रतिबंधों से चिढ़ा था ईरान
ओपेक के तीसरे बड़े उत्पादक ईरान के ऊर्जा मंत्री बिजान जंगनेह ने पहले तेल आपूर्ति बढ़ाने का विरोध किया था। उसका कहना है कि अमेरिका के ईरान और वेनेजुएला पर प्रतिबंधों से तेल के दामों में यह उछाल आया है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के नवंबर से लागू होने के बाद उसके उत्पादन में एक तिहाई तक कमी आ सकती है।

भारत-चीन जैसे देशों को राहत
ओपेक देशों के बीच इस सहमति से भारत, चीन जैसे एशियाई देशों ने राहत की सांस ली है, जिनकी अर्थव्यवस्था तेल के ऊंचे दामों की वजह से प्रभावित हो रही है।

You may have missed