भाजपा गंभीर, कांग्रेस में इंतजार
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने जायजा लिया, इधर प्रदेश स्तर के नेताओं ने झांका तक नहीं
उज्जैन,2 अगस्त (इ खबरटुडे)। नगर निगम चुनाव को लेकर भाजपा शुरु से ही संजीदा है। इसके इतर कांग्रेस में इसे दूसरे स्तर से लिया जा रहा है। यह स्थिति चयन प्रक्रिया में तो सामने आई ही है, जिसकी वजह से गफलत बनी रही। कांग्रेस की इस गफलत का लाभ भाजपा को मिलना तय है लेकिन भाजपा की डगर भी कठिन है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष निगम चुनाव का जायजा ले चुके हैं जबकि कांग्रेस की ओर से प्रदेश स्तर के नेताओं ने अब तक झांका तक नहीं है।
इस बार नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की नगर सरकार की नकारात्मक स्थिति को लेकर पूर्व से ही माहौल बना दिया गया था। बहुमत वाली सरकार के कुछ कार्यों को लेकर जमकर आम जनता के सामने मुद्दे आये थे। इनमें प्रमुख रुप से आगर रोड का मुद्दा बना रहा। इस मुद्दे पर अंतत: राय सरकार को काबू करना पड़ा। मुख्यमंत्री आगर रोड निर्माण के लिये लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित करवाना पड़ी। स्थिति यह रही कि जो मार्ग 5 साल में पूरा नहीं हो सका, उसे लोक निर्माण विभाग ने कुछ माह में पूरा करने की कवायद की। हालात अब भी इस तरह नहीं है कि यह कहा जाये कि आगर रोड पूरी तरह से तैयार है। अब भी स्थिति निर्माणाधीन के तहत ही है। ऐसे ही अन्य कई मुद्दे भी शहरभर में चर्चाओं में रहे। इन मुद्दों के बावजूद कांग्रेस की त्वरित निर्णय न हो पाने की स्थिति के चलते रेत की तरह से पूरा मामला फिसलता दिखाई दे रहा है। भाजपा इस पूरे मसले पर गंभीर है और कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। कैसे भी हो, सिंहस्थ के लिये अपनी नगर सरकार बनाने की कवायद की जा रही है। इसके विपक्ष में कांग्रेस बार-बार इंतजार कर रही है। हालिया दौर में भाजपा की ओर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुध्दे उौन पहुंचे और उन्होंने नगर निगम निर्वाचन का जायजा लिया। श्री सहस्त्रबुध्दे भाजपा के प्रदेश प्रभारी भी हैं।
डेमेज कंट्रोल में फूल रहा दम
भाजपा और कांग्रेस दोनों की स्थिति इस बार समान बन गई है। दोनों ही दलों में बागियों ने पूरे समीकरण बिगाड़ दिये हैं। मात्र 14 वार्ड ही ऐसे हैं जहां सीधी भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर है। शेष 40 वार्डों में निर्दलीय कहीं न कहीं दोनों को प्रभावित कर रहे हैं। डेमेज कंट्रोल में कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा को यादा मशक्कत करना पड़ रही है। ये कहा जाये कि दोनों ही दल का डेमेज कंट्रोल में दम फूल रहा है तो अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता।
कई वार्डों में निर्दलीय भारी
शहर के 40 वार्डों में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से कई वार्डों में निर्दलीयों की स्थिति भारी बनी हुई है। चुनाव के शुरुआती दौर से ही निर्दलीय भारी पड़ने लगे हैं। पहले दिन ही प्रचार में यह स्थिति देखी गई है। आगे के 10 दिनों में ऊंट किस करवट जाता है यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन जिस तरह की रणनीति निर्दलीय अपना रहे हैं उससे तो यही तय हो रहा है कि 6 से अधिक पार्षद पदों पर निर्दलीय जीत कर आ सकते हैं। इनमें से अधिकांश बाद में बोर्ड बनते समय अपने हिसाब से सामंजस्य बैठायेंगे। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भी बागी होकर निर्दलीय लड़े करीब 4 पार्षदों ने बाद में भाजपा का साथ दिया।